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• अध्याय ११- आगमों में अर्थोपार्जन व्यवस्था का उल्लेख .
कृषि उपज, अन की सुरक्षा के उपाय, पशुपालन, वनोपज, खनिज पदार्थ, कताई-बुनाई, आभूषण निर्माण, लोह मिट्टी आदि के उपकरणों का निर्माण, सुगंध, इत्र, धूप आदि के व्यापारी, अन्य कारीगरी, अन्य पेशेवर लोग, भृत्य दास आदि, कतिपय प्रमुख व्यापार केंद्र, यातायात के साधन माप-तौल, उधार लेना देना व्यापारिक संगठन।
२०० - अध्याय १२- आगम साहित्य में धार्मिक व्यवस्था का रूप ... धर्म की बहुलक्षी व्याख्या, आगमगत, निग्रंथ साधना के सिद्धांत, व्रत नियम पालन की दुष्करता, निग्रंथ श्रमण का वेश, निग्रंथ श्रमणचर्या का रूप, निग्रंथ श्रमणों का संकटमय जीवन, जनसामान्य के श्रद्धा केन्द्र, प्रव्रज्या के लिए अभिभावकों की अनुज्ञा आवश्यक, निष्क्रमण समारोह, दीक्षा का निषेध, दीक्षा के प्रकार, निग्रंथों के प्रकार, अन्य श्रमण परम्पराएँ, शाक्य श्रमण, परिव्राजक श्रमण, आजीवक श्रमण, अन्य श्रमण व्रती साधु, अन्य मतमतांतर।
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