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कल्प्य-व्यवहार, कल्प्याकल्प, महाकल्प्य, पुंडरीक महापुंडरीक, निषिद्धिका, उपांगविभागगत आगम, औपपातिक, राजप्रश्नीय, जीवाभिगमसूत्र, प्रज्ञापना, सूर्यप्रज्ञप्ति, जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति, निरयावलिका आदि । दशाश्रुत स्कंध, व्यवहार सूत्र, वृहतकल्पसूत्र, निशीथसूत्र, मूलसूत्रों का परिचय, उत्तराध्ययन, . दशवैकालिकसूत्र, आवश्यकसूत्र, चूलिकासूत्र, नंदीसूत्र, अनुयोगद्वारसूत्र, महानिशीथ, जीतकल्प, पिण्डनियुक्ति, ओघनियुक्ति, चतुःशरण, आतुरप्रत्याख्यान, महाप्रत्याख्यान, भक्तपरिज्ञा, तंदुलवैचारिक, संस्तारक, गच्छाचार, गणि विद्या, देवेन्द्र स्तव, मरणसमाधि।
७६ • अध्याय ८- आगमिक व्याख्या साहित्य
__ व्याख्या के प्रकार, व्याख्या के प्रकारों का अभिधेय, व्याख्या के प्रकारों में संकलित आगमों के नाम, कतिपय प्रमुख व्याख्याकार, भाष्यकार, चूर्णिकार, टीकाकार, लोकभाषा टीकाकार, व्याख्या ग्रंथों का परिचय, आचारांग, सूत्रकृतांग, स्थानांग, समवायांग, व्याख्याप्रज्ञप्ति, ज्ञाता-धर्म कथा, उपासकदशांग, अन्तकृतदशा, प्रश्नव्याकरण, विपाकसूत्र, औपपातिकसूत्र, राजप्रश्नीय, जीवाभिगमसूत्र, प्रज्ञापनासूत्र, सूर्यप्रज्ञप्ति, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति, निरयावलिका, कल्पावतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूला और वृष्णिदशा, व्यवहारसूत्र, बृहत्कल्प, दशाश्रुतस्कंध, निशीथसूत्र, दशवैकालिकसूत्र, आवश्यकसूत्र, नन्दीसूत्र, अनुयोगद्वारसूत्र, अवशिष्ट आगमों के व्याख्या ग्रंथ (पिंडनियुक्ति, महानिशीथ, जीतकल्प, चतुःशरण आतुर प्रत्याख्यान, भक्तपरिज्ञा, संस्तारक, गच्छाचार, तंदुलवैचारिक, चन्द्रवेध्यक, देवेन्द्रस्तव, गणिविद्या, महाप्रत्याख्यान, वीर स्तव)। • अध्याय ९- आगम साहित्य में समाज व्यवस्था
वर्ण और जाति, ब्राह्मणों के सम्बंध में जैन मान्यता का दृष्टिकोण, ब्राह्मण आदि चार वर्णों के कार्य, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, श्रेणी संगठन, पारिवारिक जीवन, संतान के प्रति ममता, लौकिक देवी देवता, जादू टोना और अंधविश्वास, आमोद-प्रमोद और मनोरंजन के साधन, जीवनोपयोगी साधन, जीवन यापन स्तर, मरण संस्कार, आयुर्वेद ।
१६४ • अध्याय १०- आगम साहित्य में शासन व्यवस्था के उल्लेख
राजा और राजपद, राजा की दिनचर्या का प्रारम्भ, राजा का उत्तराधिकारी, राजा का अंत:पुर, राजा के प्रधान पुरुष, सैन्य व्यवस्था, राज्य की आय के स्रोत, शासन की इकाई गाँव, राजा का एकछत्र राज, अपराध और दण्ड, न्याय-व्यवस्था। १८५
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