Book Title: Jain Agam Sahitya Ek Anushilan
Author(s): Jayantsensuri
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust

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Page 289
________________ * कतिपय प्रमुख व्यापार केन्द्र . चंपा प्राचीन काल में उद्योग व्यापार का बहुत बड़ा केन्द्र था । यहाँ के बाजार शिल्पियों से आकीर्ण रहा करते थे। यह मिथिला से जुड़ा हुआ था। यहाँ अनेक प्रसिद्ध पोतवणिक सार्थवाह रहा करते थे। वे जल और स्थल मार्ग से दूर-दूर तक जाकर माल का क्रय-विक्रय करते थे। यहाँ कई दकानें थी, जिनमें विविध प्रकार की एक से एक उपयोगी वस्तुएँ बिकती थीं । कर्मान्तशाला (कम्मांतशाला) में उस्तरे आदि. पर धार लगाई जाती थी। पाणागार (दसावण, दसापण) में मद्य बेची जाती थी। इसी प्रकार चक्रिशाला में तेल, गोलिय शाला में गुड़, गोवियशाल में गाय, दोसिय.शाला में दूष्य (वस्त्र), सोत्तिय शाला में सूत और गंधिय शाला में सुंगधित पदार्थ बेचे जाते थे। उज्जयिनी व्यापार का दूसरा बड़ा केन्द्र था। धनवसु यहाँ का एक प्रसिद्ध व्यापारी था। उसने अपने सार्थ के साथ व्यापार के लिए चंपा प्रस्थान किया था। उज्जयिनी के व्यापारी पारसकुल (ईरान) तक जाते थे। राजा प्रद्योत के समय में . उज्जयिनी में आठ बड़ी-बड़ी दुकानें थी, जहाँ प्रत्येक वस्तु मोल मिलती थी। . मथुरा उत्तरापथ का एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र था। यहाँ के लोग बनिज-व्यापार से ही निर्वाह करते थे। खेती-बाड़ी यहाँ नहीं होती थी । यहाँ के लोग व्यापार के लिए दक्षिण मथुरा (मदुराई) जाते-आते रहते थे । उत्तरापथ के टंकण (टक्क) म्लेच्छों के विषय में कहा है कि पर्वतों में रहने के कारण वे दुर्जेय थे और सोना तथा हाथी दाँत आदि बहुमूल्य वस्तुएँ लेकर व्यापार के लिए दक्षिणापथ की यात्रा करते थे। ये लोग दक्षिण वासियों की भाषा नहीं समझते थे, इसलिए हाथ के इशारों से मोल तोल होता था। जब तक अपने माल का उचित मूल्य नहीं मिलता था, तब तक वे अपने माल पर से हाथ नहीं उठाते थे। सुशुपरिक (सोप्पारय-नाला सोपारा जिला ठाणे) व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र था। यहाँ बहुत से व्यापारियों के रहने का उल्लेख है। भृगुकच्छ और सुवर्णभूमि (बर्मा) के साथ इनका व्यापार चलता था। सौराष्ट्र के व्यापारी वारिवृषभ जहाज से पांडुमथुरा समुद्र के रास्ते जाया-आया करते थे। धन, कनक, रत्न, जनपद, रथ और घोड़ों से समृद्ध द्वारका (बारबइ) सौराष्ट्र का प्रधान नगर था । व्यापारी यहाँ देयालंग पट्टण (वेरावल) से नावों द्वारा अपना माल लेकर आते थे। वसन्तपुर के व्यापारी व्यापार के लिए चंपा जाया आया करते थे। क्षितिप्रतिष्ठित नगर के व्यापारियों का वसन्तपुर जाने का उल्लेख मिलता है। (२१४)

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