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भी
व्याख्यान
कल्पसूत्र हिन्दी बनुवाद।
॥५१॥
अभिनन्दन स्वामी आठ महीने और अट्ठाईस दिन गर्भ में रहे, सुमतिनाथ प्रभु नव मास और छह दिन गर्भ में रहे, पद्मप्रभ स्वामी नव मास और छह दिन गर्भ में रहे, सुपार्श्वनाथ प्रभु नव मास और उन्तीस दिन गर्भ में | रहे, चंद्रप्रभ नव मास और सात दिन गर्भ में रहे, सुविधिनाथ प्रभु आठ मास और छब्बीस दिन गर्भ में रहे, शीतलनाथ प्रभु नव महीने और छह दिन गर्भ में रहे, श्रेयांसनाथ प्रभु नव महीने और छह दिन गर्भ में रहे, वासुपूज्य स्वामी आठ मास और वीस दिन गर्भ में रहे, विमलनाथ प्रभु आठ मास और इक्कीस दिन गर्भ में रहे, अनन्तनाथ प्रभु नव महीने और छह दिन गर्भ में रहे, धर्मनाथ प्रभु आठ महीने और छब्बीस दिन गर्भ में रहे, शान्तिनाथ प्रभु नव मास और छह दिन गर्भ में रहे, कुंथुनाथ प्रभु नव महीने पाँच दिन गर्भ में रहे, अरनाथ प्रभु नव महीने और आठ दिन गर्भ में रहे, मल्लीनाथ प्रभु नव महीने और सात दिन गर्भ में रहे, मुनिसुव्रत स्वामी नव मास और आठ दिन गर्भ में रहे, नमीनाथ प्रभु नव मास और आठ दिन गर्भ में रहे, नेमिनाथ प्रभु नव मास और आठ दिन गर्भ में रहे, पार्श्वनाथ प्रभु नव मास और छह दिन गर्भ में रहे और श्री महावीर प्रभु नव मास साढ़े सात दिन गर्भ में रहे ।
उस समय सब ग्रहों के उच्च स्थान में आने पर,-मेषादि राशि में रहे हुये सूर्यादिक ऊंचे समझना, उस में भी दशादि अंशों तक परम उच्च समझना चाहिये । उन का फल सुखी, भोगी, धनवान, स्वामी, मंडलाधिप, राजा और चक्री अनुक्रम से समझना चाहिये । उन में तीन ग्रह उच्च हों तो राजा होता है, पाँच उच्च हों
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