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श्रा
नौवा
कल्पसूत्र
व्याख्यान
हिन्दी
अनुवाद।
॥१४॥
बीस दिन जाने पर चातुर्मास में पर्युषणा पर्व किया है।३। जिस तरह गणधरोंने वर्षाकाल का एक मास
और बीस दिन गये बाद पर्युषणा पर्व किया, उसी प्रकार गणधरों के शिष्योंने एक मास और वीस दिन गये बाद पर्युषणा पर्व किया । ४ । जिस तरह गणधरों के शिष्योंने एक मास और बीस दिन गये बाद पर्यषणा पर्व किया उसी तरह स्थविरोंने भी एक मास और बीस दिन गये बाद पर्युषणा पर्व किया । ५। जिस तरह स्थविरोंने एक मास और बीस दिन गये बाद पर्युषणा पर्व किया उसी तरह आर्यता से या व्रतस्थिरता से वर्तते हुए आधुनिक श्रमण निग्रंथ विचरते हैं वे भी वर्षाकाल का एक मास और बीस दिन गये बाद पर्युषणा पर्व करते हैं। ६। जिस तरह आधुनिक समय में श्रमण निग्रंथ भी वर्षाकाल का एक मास और बीस दिन गये बाद चौमासी पर्युषणा पर्व करते हैं उसी तरह हमारे आचार्य और उपाध्याय भी पर्युषणा पर्व करते हैं । ७। जिस तरह हमारे आचार्य और उपाध्याय पर्युषणा पर्व करते हैं उसी तरह हम भी वर्षाकाल का एक मास और बीस दिन गये बाद चातुर्मास में पर्युषणा पर्व करते हैं। भाद्रपद सुदि ५ से पहले भी पर्युषणा पर्व करना कल्पता है परन्तु भादवा सुदि ५ की रात्रि उल्लंघन करनी नहीं कल्पती ।।
परि-उषणं-पर्युषणं-चारों तरफ से आकर एक जगह रहना इसे पर्युषणा कहते हैं। वह पर्युषणा दो प्रकार की है । एक गृहस्थों को मालूम होनेवाली और दूसरि गृहस्थों को मालूम न होनेवाली। उसमें गृहस्थों को
* यह पर्युषणा वार्षिक पर्वरूप समझना चाहिये।
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