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अर्थ सहित वारंवार उपदिष्ट किया, अर्थात् पुनः पुनः उसका उपदेश किया । जिस प्रकार प्रभुने कहा -त्यों श्री भद्रबाहुस्वामी ने अपने शिष्यों को कहा था। इस तरह श्री पर्युषणाकल्प नामक दशाश्रुतस्कंध का आठवाँ अध्ययन संपूर्ण हुआ ।
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इस तरह जगद्गुरु भट्टारक श्री हीरविजयसूरीश्वर के शिष्यरत्न महोपाध्याय श्रीकीर्तिविजय गणि के शिष्य उपाध्याय श्री बिनयविजयजी की रची हुई कल्पसूत्रसुबोधिका नामक टीका में सामाचारी व्याख्यान संपूर्ण हुआ और सामाचारी व्याख्यान नामक यह तीसरा अधिकार भी समाप्त हुआ ।
शुभं भवतुं ।
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