Book Title: Hindi Jain Kalpasutra
Author(s): Atmanand Jain Sabha
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 325
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अर्थ सहित वारंवार उपदिष्ट किया, अर्थात् पुनः पुनः उसका उपदेश किया । जिस प्रकार प्रभुने कहा -त्यों श्री भद्रबाहुस्वामी ने अपने शिष्यों को कहा था। इस तरह श्री पर्युषणाकल्प नामक दशाश्रुतस्कंध का आठवाँ अध्ययन संपूर्ण हुआ । Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir इस तरह जगद्गुरु भट्टारक श्री हीरविजयसूरीश्वर के शिष्यरत्न महोपाध्याय श्रीकीर्तिविजय गणि के शिष्य उपाध्याय श्री बिनयविजयजी की रची हुई कल्पसूत्रसुबोधिका नामक टीका में सामाचारी व्याख्यान संपूर्ण हुआ और सामाचारी व्याख्यान नामक यह तीसरा अधिकार भी समाप्त हुआ । शुभं भवतुं । -> fetc For Private And Personal

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