________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org.
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
अथ नवम व्याख्यानं ॥
अब सामाचारीरूप तीसरा अधिकार कहते हुए पर्युषणा पर्व कब करना चाहिये प्रथम यह बतलाते हैं ।
उस काल और उस समय वर्षाकाल के एक मास और बीस दिन बीतने पर श्रमण भगवान् श्रीमहावीरने चातुर्मास में पर्युषण पर्व किया है। १ । हे पूज्य ! किस कारण ऐसा कहा जाता है कि वर्षाकाल के एक मास और बीस दिन बीतने पर श्रमण भगवान् श्रीमहावीरने चातुर्मास में पर्युषण किया है ? इस प्रकार शिष्य की तरफ से प्रश्न होने पर गुरु उत्तर देने के लिए सूत्र कहते हैं। जिस कारण प्रायः गृहस्थियों के घर चटाई से ढके हुए होते हैं, चूने से धवलित होते हैं, घास वगैरह से आच्छादित किये होते हैं, गोबर आदि से लीपे हुए होते हैं, वृत्ति - बौंडरी करने आदि से सुरक्षित किये होते हैं, विषम भूमि को खोद कर सम किये होते हैं, पत्थर के टुकड़ों से घिस कर कोमल किये होते हैं, सुगन्ध के लिए धूप से वासित किये होते हैं, परनालारूप पानी जाने के मार्गवाले किये होते हैं, तथा नालियाँ खुदवाई हुई होती हैं, इस तरह अपने घर अचित्त किये होते हैं, इसी कारण हे शिष्य ! ऐसा कहा जाता है कि वर्षाकाल का एक मास और बीस दिन बीतने पर श्रमण भगवान् श्रीमहावीरने चातुर्मास में पर्युषण पर्व किया है । २ । इसी तरह गणधरोंने भी वर्षाकाल का एक मास और
For Private And Personal