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आदिसे लिपवाओ, तीन कौनेवाले स्थान, तीन मार्गों के मिलापस्थान, चार मार्गों के मिलापस्थान, देवालयादि स्थान, राजमार्गों, साधारण मार्गों को जलसिंचन कर और साफ कर शोभायुक्त करो। मार्ग के मध्य भागों, दुकानों के मार्गों अर्थात् बाजारों में मंच बन्धा दो कि जहां पर बैठ कर लोग महोत्सव देख सकें। इत्यादि करके शहर को शोभायमान करो। अनेक प्रकार की रंगविरंगी सिंहादि के चित्रोंवाली ध्वजायें, तथा पताकायें लगा दो । दीवारों पर सफेदी कराओ, तथा गोशीर्ष चंदन, रसयुक्त रक्त चंदन, दर्दर के दीवारों पर थापे लगवाओ, घरो में चोकड़ियों पर चंदनकलश स्थापन कराओ और ऐसा करा कर नगर को सजा दो । मकानों के दरवाजों पर पुष्पमालाओं के समूह लटका कर उन्हें शोभा युक्त करो, जमीन पर पंचवर्ण के सुगन्धित पुष्पों की वृष्टि कराओ, जलते हुए कृष्णागरु, श्रेष्ठ कुंदरुक्क, तुरुष्क आदि विविध जाति के धूप की सुगन्ध से सुगन्धित करो, सुगन्धवाले चूर्गों से मनोहर करो। यह सब कुछ कराकर नाटक करनेवालों, नाचनेवालों, रस्सों पर खेल करनेवालों, मुट्ठी से युद्ध करनेवाले मल्लो, मनुष्यों को हसानेवाले विषकों मुखविकार की चेष्टा से लोगों को खुश करनेवालों, सुन्दर सरस कथा करनेवालों, बाँस पर चढ़कर खेल करनेवालों, हाथ में तसवीर रखकर भिक्षा मांगनेवाले गौरी पुत्रों, तूण नामक वाद्य बजानेवालों, वीणा बजानेवालों और तालियाँ बजाकर कथा करनेवालों से इस क्षत्रियकुण्ड ग्राम नगर को स्वयं शोभायुक्त करो एवं दसरोंसे कराओ ! ऐसा कराकर हजारों ही गाड़ियों के जुवों तथा मृसलों का एक जगह ढेर लगादो कि जिससे महोत्सव के अंदर कोई मनुष्य
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