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कल्पसूत्र हिन्दी बनुवाद।
| हल तथा गाड़ी न चला सके । इत्यादि कर हमारी आज्ञा पालन करो अर्थात् पूर्वोक्त काम कर, वापिस आकर पांचवां मुझे कहो कि हमने वैसा ही सब कुछ कर दिया है।
व्याख्यान. इस प्रकार सिद्धार्थ राजा द्वारा आदेश पाकर वे कौटुम्बिक पुरुष हर्ष और संतोष को प्राप्त होगये, हर्षसे पूर्ण हृदयवाले दोनों हाथोंसे अंजली कर सिद्धार्थ राजा की आज्ञा को बिनयसे सुनकर तुरन्त ही क्षत्रियकुण्डग्राम | नगरमें जाकर कैदियोंको छोड़ देनेसे लेकर हजारों जुवे और मुसल एकत्रित करने तक तमाम कार्य कर, सिद्धार्थ
राजा के पास आकर आज्ञा पालन का समाचार देते हैं। भी अब सिद्धार्थ राजा स्वयं वहाँसे उठकर कसरतशाला में जाता है । वहाँ पर अनेक प्रकार के व्यायाम करता का है। व्यायाम कर के स्नानघरमें जाकर सुगन्धित कवोष्ण जलसे स्नान करता है, फिर वस्त्राभूषण धारण कर सुशो
भित हो राजसभा में आता है। अब सर्व प्रकार की ऋद्धि से, सर्व उचित वस्तुओं के संयोग से, सर्व सैन्य से, पाल की, घोड़ा आदि सर्व वाहनों से, परिवार के समूह से, सर्व अन्तेउर से, सर्व पुष्प, वस्त्र, गन्ध, माला, अलंकारादि की शोभासे, सर्व प्रकार के वार्जित्रों से तथा सब बाजों के एक साथ ही होनेवाले शब्दसमूह से युक्त सिद्धार्थ राजा दश दिन तक स्थितिपथि का नामक महोत्सव करता है। उस महोत्सव में बेचनेवाली वस्तुओं पर कर माफ कर दिया, प्रति वर्ष प्रजासे जो कर लिया जाता था सो भी उस समय माफ कर दिया। इन कारणों से प्रजाजनों के हर्ष द्वारा वह महोत्सव अत्यन्त उत्कृष्ट होगया। उस महोत्सवमें राजा की ओर से आज्ञा हो गई कि M५७॥
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