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आठवां पाख्यान.
कल्पसूत्र हिन्दी अनुवाद । ॥१३९ ॥
भद्रगुप्त, श्रीगुप्त और वज्रसूरीश्वर ये दश दशपूर्वी युगप्रधान हुए हैं।
गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यवज्र से आर्यवज्री शाखा निकली'। गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यवज के तीन स्थविर शिष्य पुत्र समान प्रसिद्ध थे। स्थविर आर्यवज्रसेन, स्थविर आर्यपद्म और स्थविर आर्यरथ । स्थविर आर्य वज्रसेन से आर्य नागिला शाखा निकली स्थविर आर्य पद्मसे आर्य पद्मा शाखा निकली और स्थविर आर्य रथसे आर्य जयन्ती शाखा निकली । वच्छ गोत्रीय स्थविर आर्य रथके कौशिक गोत्रीय स्थविर आर्य पुष्पगिरि शिष्य थे। कौशिक गोत्रीय स्थविर आर्य पुष्पगिरि के गौतम गोत्रीय स्थविर आर्य फल्गुमित्र शिष्य थे । गौतम गोत्रीय स्थविर आर्य फल्गुमित्र के वासिष्ट गोत्रीय स्थविर आर्य धनगिरि शिष्य थे । वासिष्ट गोत्रीय स्थविर आर्य धनगिरि के कुच्छ गोत्रीय स्थविर आर्य शिवभूति शिष्य थे । कुच्छ गोत्रीय स्थविर आर्य शिवभृति के काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्य भद्र शिष्य थे । काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्य भद्र के काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्यनक्षत्र शिष्य थे। काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्य नक्षत्र के काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्यरक्ष शिष्य थे । काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्य रक्षके गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यनाग शिष्य थे । गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यनाग के वासिष्ट गोत्रीय स्थविर आर्य जेहिल शिष्य थे । वासिष्ट गोत्रीय स्थविर आर्य जेहिल के माढर गोत्रीय स्थविर आर्य विष्णु शिष्य थे। माढर गोत्रीय स्थविर आर्य विष्णु के गौतम गोत्रीय स्थविर आर्य कालिक शिष्य थे । गौतम गोत्रीय स्थविर आर्य
१ आज भी साधुसाध्वी की दीक्षा के समय यही शाखा बोली जाती है।
॥ १३९॥
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