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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.।
हरीतकीनामानि । हरीतक्यभया पथ्या कायस्था पूतनामृता। हैमवत्यव्यथा चापि चेतकी श्रेयसी शिवा ॥ वयस्या विजया चापि जीवन्ती रोहिणीति च॥६॥ हरीतकी, अभया, पथ्या, कायस्था, पूतना, अमृता, हैमवती, मध्यमा, चेतकी, श्रेयसी, शिक्षा, वयस्था, विजया, जीवन्ती और रोहिनी पर हरीतकीके संस्कृत नाम हैं।
इसे हिन्दी भाषामें हरड, हरी, हरीतकी, यूनानीमें इललाजई और अंग्रेजीमें Myraaglans कहते हैं ॥ ६ ॥
हरीतकी जातयः। विजया रोहिणी चैव पूतना चामृताभया ॥
जीवन्ती चेतकी चेति पथ्यायाः सप्त जातयः॥ ७॥ विजया, रोहिणी, पतना, अमृता, अभया, जीवन्ती और चेतकी पर हरीतकीकी सात जातिये ॥ ७ ॥
हरीतीलक्षणम् । अलावुवृत्ता विजया वृत्ता सा रोहिणी स्मृता । पूतनास्थिमती सुक्ष्माकथिता मांसलामृता ॥ ८ ॥ पंचरेखाभया प्रोक्ता जीवन्ती स्वर्णवर्णिनी। त्रिरेखा चेतकी ज्ञेया सप्तानामियमाकृतिः ॥९॥ तूम्बीके पाकार की गोल हरडको विजया कहते हैं। साधारण गोल हरद रोहिणी कही जाती है। जिस हरड़में गुठली बड़ी और छिलका पतला हो उसको पूतना कहते हैं । मोटे गुहे वाली हरडे अमृता कही जाती हैं। यश्च रखाओंवाली हरडको अभया करते हैं। स्वर्गक समान वर्णवाली जीवन्ती कही जाती है। गौर तीन रेखावाली हरहको की कहते हैं । इस प्रकार सात जातिकी हरडोंके यह सात स्वमने