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एकवर्ग:
एकाग्रत्व
का एक वचन। २. एककथनं, एक निरूपण, एक | एकसूत्रं (नपुं०) एक उत्पत्ति, एक जन्म। 'किलार्कदेवः स विचार, एक पद्धति, एक परम्परा।
मुदेकसूत्रः' (समु०६/२४) एकवर्गः (पुं०) एक समूह, एक भेद।
एकस्थल (नपुं०) एकतल, एकस्थान। (जयो० २७/१९) एकवर्णः (पुं०) १. एक जाति। २. एकाक्षर।
एकस्थानं (नपुं०) एकमात्र स्थान, एकमात्र आश्रय, एकमात्र एकवस्तु (नपुं०) एक पदार्थ। (सुद० ११७) 'ज्ञानामृतं आधार, एकमात्र निवास। भोजनमेकवस्तु' (सुद० ११७)
एकस्थितिः (स्त्री०) कर्म की एक स्थिति। 'एया कम्मस्सा एकवाक्य (वि०) एक वाक्य, एक मात्र वचन।
ट्ठिदी एयट्ठिदी णाम। (जप०धव० ३/१९१) एकवाणी (स्त्री०) एक विचार, एक कथन।
एक-स्वभाव: (पुं०) भेद कल्पना रहित स्वभाव, शुद्ध एकवारं (अव्य०) केवल एक बार ही, तुरंत ही, उसी समय। द्रव्यार्थिकनय का स्वभाव। 'भेद संकल्पनामुक्त एक स्वभाव एकवारे (अव्य०) तुरन्त ही, उसी समय, तत्काल।
आहितः' (जैन०ल० २९६) एकविंशति (स्त्री०) इक्कीस।
एक-हस्तः (पुं०) एकमात्र हाथ। एकवित्त (नपुं०) एकमात्रधन। (सुद० ११८)
एकहस्तावलम्बिन् (वि०) एकमात्र आधारभूत, एकमात्र आश्रय। एकविध (वि०) एक ही प्रकार का।
'गतिर्ममैतस्मरणैकहस्तावलम्बिनः' (सुद० १/३) एकविधप्रत्ययः (पुं०) एक ही जाति का ग्राहक प्रत्यय, एकजाति- एकरा (स्त्री०) एकमात्र, एकाकी, अकेला। (जयो० १/१०) विषयः प्रत्यय: एकविधः। (धव० १३/२३७) 'एकजाति
एक भी। (जयो०) 'तस्यैका तनया राज्ञो राजते कौमुदाश्रया' विषयत्वादेतत् प्रतिपक्षः प्रत्ययः एकविधः।' (धव० ९/१५२) (जयो० ५/३७) एकविध-बन्धः (पुं०) एक मात्र बन्ध, सातावेदनीय बन्ध/ एकाकि (वि०) [एक आकिनच्] एकान्त, शून्य स्थान वाला, एकविधावग्रहः (पुं०) एक प्रकार के पदार्थ को जानना, एक अकेला, निर्जन। (दयो० ४२, ६२) 'एकाकि एवाङ्गज! मे
जाति का वाञ्छा। 'एगजाईए ट्ठिदएयस्म बहूण वा कुलायः' (समु० ३/६) एकाकिने धूमसमं तमस्तु गह्नमेयविहावग्गहो' (धव०६/२०) 'एकजातिग्रहणमेका- वाष्पाम्बुपूरोदयकारि वस्तु। (जयो० १६/६) उक्त पंक्ति विधावग्रहः' (मूला०वृ० १२/१८७)
में 'एकाकिन' का अर्थ विरही, विरह से युक्त भी लिया एक-विहारी (वि०) एकाकी विचरण करने वाला।
है, 'एकाकिने विरहणे जनाय' (जयो० वृ० १६/६) एकवृत्तं (नपुं०) ०एक बात, एक भाव, एक विचारधारा, एकाकिन् देखो ऊपर।
एकमात्र प्रवृत्ति। 'भव्यव्रजं भव्यतमैकवृत्तः' (सुद० २/३१) एकाकिता (वि०) एकाकी पर, अकेलापना 'तयोरथैककिताऽन्वये
"एकवृत्तमिति स्वामिन्न विक्षिप्त इतीष्यते' (समु० ३/३८) त' (सम्य०२३) 'भेकाः किलैकाकितया लपन्तः' (वीरो०४/१७) एकश: (अव्य०) ०एक एक करके, ०एक प्रकार का, केवल, एकाकित्व (वि०) एकाकीपन। एकाकित्वमिदं ससख्यमशनाभावं
मात्र, एकाकी। 'स्नपनभावमितः प्रभुरेकशः' (जयो० ९/५४) | समिष्ठाशनम्। (मुनि० २५) एकशेष (वि०) एक शब्द शेष, समास में एक शेष। एकशेषो ! एकाकिनी (वि०) अकेली रहनी वाली, (दयो० १११) एका
नाम समासो-रामश्च, रामश्च रामश्चेति रामाः' (जा- किनीनामधुना वधूनामास्वाद्य मांसानि मृदूनि तासाम्' (वीरो० वृ० २६/८५)
४/१४) एकसंघः (पुं०) एक समुदाय, एक समूह।
एकाकी (वि०) स्वयमन्वयसहाय एव, एकान्त, अकेला ही, एकसद्मन् (नपुं०) एक स्थान। (जयो० ९/५)
अपने आप से युक्त। (जयो० १९) 'मयैकाकी किलैकदा' एकसदनं (नपुं०) एक भवन।
(सुद० ८३) मैं एक बार एकान्त में था। एकसप्तति (स्त्री०) इकहत्तर।
एकाकीह (वि०) अकेला ही, एकमात्र ही। 'एकाकीह एकसिद्धः (पुं०) एक समय में मुक्त। 'एकस्मिन् समये एक जरत्कुमारशरतो वृत्तं प्रकृत्या हि तत्' (मुनि० २४) एव सिद्ध' (जैन०ल० २९६)
एकाग्र (वि०) दत्तचित्त, लीन, संयमित। (जयो० २७/५८) एकसिद्धकेवलज्ञानं (नपुं०) एक जीव के सिद्ध होने पर एक अग्रं मुखं, एकमग्रस्येत्येकानः। केवलज्ञान।
| एकाग्रत्व (वि०) वृत्तचित्तपना, संयमितता। (जयो० २७/५८)
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