Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 346
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खट्टा ३३६ खनिः खट्टा देखो ऊपर। खण्डशर्करा (स्त्री०) मिसरी। खट्वापदं (नपुं०) खाट के पास। (समु० ४/३८) खण्डाभेदः (पुं०) खण्ड खण्ड हो जाने वाली वस्तु। रांगा, खट्टिः (स्त्री०) [खट्ट+इन्] अर्थी। शीशा, दर्पण आदि। खट्टिकः (पुं०) खटीक, कसाई। (दयो० ५७) (वीरो० खण्डित (भू०क०कृ०) [खण्ड+क्त] विनष्ट, परित्यक्त, विध्वंस १६/१६) (मुनि०१०) वैद्योभवेद्भुक्तिरुधेव धन्यः सम्पोषयन् जन्य, विखण्डित। (सुद० १०३) खट्टिकको जघन्यः। (वीरो० १६/१६) खण्डिता (स्त्री०) खण्डिता नायिका, जिसका पति अपनी खट्टिककः देखो ऊपर। __ पत्नी के प्रति अविश्वासी हो। खण्ड् (सक०) तोड़ना, काटना, टुकड़े करना, कुचलना, नष्ट खण्डिनी (स्त्री०) [खण्ड् इनि डीप्] पृथ्वी, भू, भूमि, धरा। करना, खण्डित करना, भग्न करना। २. छोड़ना, त्यागना। खण्डोत्तमः (स्त्री०) उत्तमखण्ड, आर्य खण्ड। (सुद० १/१४) 'न खण्ड्यते सुखं यस्य सोऽखण्ड सुखस्सन्।' (जयो० खतमाला (स्त्री०) धूम, धूमानां तमोसि। (जयो० १२/६८) २५/५३) खदिकाः (स्त्री०) १. खील, लाजा, २. चांवल से बनने वाले खण्डः (पु०) [खण्ड्+घञ्] खाई, कटाव, भंग। २. टुकड़ा, लाजा। ३. सिका हुआ धान्य, जो फूल का रूप ले लेता डली, अंश। 'न जंगमायाति सुवर्णखण्ड:' पंके पतित्वापि च लोहदण्डः । (सम्य०६१) ३. अध्याय, अनुभाग, सर्ग। खदिरः (पुं०) [खद्+किरच्] खैर का पेड़। खैर, कत्था। ४. शर्करा खण्ड, घटादि के टुकड़े। 'खण्डो घटादीनां (सुद० १२८) १. इन्द्र का गुण, २. चंद्र। कपालशर्करादि:' (स०सि०५/२४) खदिरपत्री (स्त्री०) लाजवंती का बेल। खण्डं (नपुं०) ईख पोर, चीनी, शर्कर, खाण्ड। (जयो० | खदिरसारः (पुं०) खैर, कत्था, जो पान में लगाया जाता है, ३/२२) खण्डभिक्षुविकार। यह चूने की संगति से लालिमा धारण कर लेता है। खण्डकः (पुं०) टुकड़ा, अंश। 'खदिरस्य नाम वृक्षविशेषस्य सार इव सारो यस्मिन् स खण्डकुटः (पुं०) खण्ड रूप में धारण। खदिरसारस्सुदृढावयवीत्यर्थः'। (जयो० वृ०२२/९४) खण्डकथा (स्त्री०) लघु कथा। खद्योतः (पुं०) जुगनू, (वीरो० ४/२६) एक कीट जो वर्षा के खण्डकाव्यं (नपुं०) लघु काव्य, जिसमें एक ही संक्षिप्त समय रात्रि में विशेष रूप से चमकता है, यह छोटा उड़ने कथानक होता है जो चार से लेकर सात अध्याय से कम वाला कीट है। २. सूर्य। का भी हो सकता है, यह एकदेशानुसारि काव्य होता है। खद्योतकः (पुं०) दिनकर, सूर्य। खण्डजः (पुं०) खांड। खद्योतनः (पुं०) दिनकर, सूर्य। खण्डधारा (स्त्री०) कैंची। खन् (सक०) खोदना, खनन करना, उन्मूलन करना, उखाड़ना। खण्डन (वि०) १. तोड़ने वाला, ०खण्ड खण्ड करने वाला, 'उच्चखान कचौधं स कल्मपोपममात्मनः।' (वीरो० विघ्न डालने वाला, २. समाधान में आपत्ति उपस्थित १०/२५) करने वाला, ३. यथार्थ का भी विरोध करने वाला। ४. खनकः (पुं०) [खन्+ण्वुल्] १. भूगर्मीय तत्त्व, खनिज, विद्रोह, विरोध। खदान। २. मूषक, चूहा। ३. कर्ण, कान। ४. सेंध लगाने खण्डपालः (पुं०) हलवाई। वाला चोर। ५. गर्त, गड्डा (दयो० ९८) भुङ्क्ते कर्माणि खण्डमण्डलं (नपुं०) वृत्त का अंश। कर्लेव खनको यात्यधः स्वयम्। (दयो० ९८) खण्डमोदकः (पुं०) खांड के लड्डू। खनक (वि०) खोदने वाला। समस्ति गर्ने खनकस्य पात:। खण्डलः (पुं०) टुकड़ा, अंश, भाग। (दयो० वृ० ३) खण्डलवणं (नपुं०) लोडी नमक, सांभर झील का नमक। खननं (नपुं०) खनन क्षेत्र। खण्डवस्त्रं (नपुं०) कौपीन, लंगोटी। (जयो० १/३८) खनिः (स्त्री०) [खन्+इ, स्त्रियां डीप्] खान, खदान, खनन खण्डविकारः (पुं०) शर्करा, शक्कर, चीनी। क्षेत्र। (वीरो० ) 'एषोऽपि सन्मणिरभूत् त्रिशलाखनीतः। खण्डश: (अव्य०) [खण्ड+शस्] अंश अंश में, टुकड़े टुकड़े में। (वीरो० ) For Private and Personal Use Only

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