Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 356
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गदाधिकृत गदाधिकृत (वि०) मुग्दर युक्त (समु० ७/२) गदाभृत (वि०) गदाधारी । गदामुद्धा (स्त्री०) उर्ध्व गधा युक्त । गदायुद्धं (नपुं०) गदा से युद्ध करना । गदाहस्त (वि०) हस्त में गदा धारण करने वाला । गदित (वि०) कथित, निरूपित (वीरो० २२/४) प्रतिपादित, विवेचिता (जयो० १२ / ११५ ) इत्यनेन वचसा हृदि मोदमप्युपेत्य गदितं च वचोऽदः । (जयो० ४/५०) 'सुदतीत्थं गदितापि मुग्धिकाशु' (जयो० १२/४५) गदिन् (वि०) गदाधर, आयुधधारी । गद्गद (वि०) [गद् इत्यव्यक्तं वदति गद्गद् +अच्] हकलाना। (दयो० १२) भाव विभोर शब्द, हर्ष युक्त शब्द भृशमित्यर्थात्सुदृशः समभाद् गद्गदगिरोद्धरणम्। (जयो० १७ /१२५) गद्गदध्वनि (स्त्री०) हर्ष ध्वनि (जयो० २ / १५८) गद्गदवाक्यं (नपुं०) हर्ष जन्य वचन । गद्य (सं०कु० ) [ गद्+क्त] बोलने या उच्चारण करने योग्य। गद्यं (नपुं०) गद्य रचना, छन्दादि के नियम से विमुक्त वार्तिक । गद्यचिन्तामणि (स्वी०) वादीभसिंहकृत रचना। (जयो० २२/८४) गद्यात्मक (वि०) गद्य से समन्वित, गद्य में रचा गया। , गन्तु (वि०) [गम्+ तृच्] घूमता जाता। मन्त्री (स्त्री० ) [ गम् + ष्ट्रन्+ ङीष् ] बैलगाड़ी। गन्ध् (सक०) क्षति पहुंचाना, पूछना, मांगना, चोट पहुंचाना। गन्धः (पुं०) सुगन्ध, सुरभि । गन्धः (पुं०) सम्बन्ध, आमोद, प्रमोद । गन्धो गन्धके सम्बन्धे' इति वि० (जयो० २५/१०) गन्धो गन्धक आमोदे लेशसम्बन्धगर्वयो:' इति चान्यत्र (जयो० ० २५/७०) गन्धकुटी (स्त्री०) समवसरण सभा के मध्य में सुरभि को प्रदान करने वाली कुटी । (जयो० वृ० २६ / ६०) 'मध्येसभं गन्धकुटीमुपेतः' (वीरो० १३/१७) गन्धकाष्ठं (नपुं०) चन्दन की लकड़ी । गन्धकेलिका (स्त्री०) कस्तूरी। गन्धग्राही (स्त्री०) गन्ध ग्रहण करने वाली (समु०८/११) गन्धगुणं (वि०) गन्ध युक्त द्रव्य गन्धप्राणं (नपुं०) सुगन्ध ग्राहक नाक गन्धजलं (नपुं०) सुगन्धित जल, चन्दन युक्त जल । गन्धज्ञा (स्त्री०) नासिका । गन्धतूर्य (नपुं०) रण दुंदुभि । ३४६ गन्धनकुलः (पुं०) छछुन्दर गन्धनालिका ( स्त्री० ) चमेली । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गन्धतैलं (नपुं०) सुगन्धित तेल। गन्धदायक (वि०) गंध देने वाला गंध प्रदतूलाश (जयो० २६/१९) गन्धदारू (नपुं०) चन्दन, अगर की लकड़ी। गन्धद्रव्यं (नपुं०) सुगन्धित पदार्थ । गन्धधूलि : (स्त्री०) कस्तूरी । गन्धनं (नपुं०) १. गन्धन सर्प विशेष २. प्रसंग (जयो० ६/१२७) गन्धपाषाण: (पुं०) गन्धक। गन्धपिशाचिका (वि०) काले रंग का धुंआ । गन्धर्वनगर गन्धपुष्पं (नपुं०) सुगन्धित पुष्प । गन्धपुष्प: (पुं०) नीलगिरि । गन्धपुष्पा (स्त्री०) नीलगिरि का पौधा गन्धफली (स्त्री०) चम्पककली, प्रियंगुलता । गन्धबन्धुः (पुं०) आम्र वृक्ष । गन्धमातृ (स्त्री०) भूमि, पृथ्वी । गन्धमादनः (पुं०) भ्रमर । गन्धमूषिकः (पुं०) छछुन्दर । गन्धमृग: (पुं०) गन्धविलाय । गन्धमोहिनी (स्त्री०) चम्पक कली। गन्धयुक्तिः (स्त्री०) सुगन्धि का उपाय। गन्धराजः (पुं०) चमेली पुष्प । गन्धलता (स्त्री०) प्रियंगुलता, चम्पककली। गन्धलोलुपी (स्त्री०) मधुमक्खी । गन्धवती (वि०) गन्धवाली (सुद० ३/२५ ) गन्धवहः (पुं०) वायु, मलयानिल (वीरो० ६/३३) १. कस्तूरीमृग । 'ते शारदा गन्धवहाः सुवाहा वहन्ति सप्तच्छदगन्धवाहाः ' (वीरो० २२/१४) For Private and Personal Use Only गन्धवहा (स्त्री०) नासिका । गन्धवाहः (पुं० ) पवन, हवा, समीर । गन्धवाहक (पु० ) वायु (वीरो० २१ / १४ ) गन्धवाही (स्त्री०) नासिका । गन्धर्वः (पुं०) १. गन्धर्व / दैवीय गीतकार, प्रवीण २. हय, अश्व, घोड़ा। 'निम्नानि गन्धर्व शफै: कुलानि ' (जयो० ८/२७) गन्धर्वनगरं (नपुं०) गगनोदितनगर, गीत विद्याधर नगर । (जयो० वृ० २/१५४)

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