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जातिकोशः
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जामात
जातुचित (वि०) रंचमात्र, किञ्चित् भी, कुछ भी। 'न
जातुचिदभूल्लक्ष्यस्तत्कृतोपद्रवे पुनः' (सुद० १३५) जातुधानः (पुं०) पिशाच, राक्षस। जातुष (वि०) लाक्षादिघटित। (जयो० २७/३८) लाख से ढका
हुआ।
जातिकोशः (पुं०) जायफल। जातिकोशी (स्त्री०) जावित्री, जायफल की छाल। जातिछन्दः (पुं०) मात्रिकछन्द या वर्णिकछन्द। 'मात्रिकछन्दो
जातिर्वर्णिक छन्दश्च वृत्तमिति' (जयो० २२/८१) १. जन्म से सदाचरण युक्त 'जात्या जन्मना वृत्तेन स्वाचरणेन
च लसन्तौ' (जयो० वृ० २२।८१) जातिधर्मः (पु०) धर्म कर्त्तव्य, धर्म आचरण, सदाचरण प्रवृत्ति। जातिध्वंसः (पु०) विशेषाधिकार की हानि। जातिपत्री (स्त्री०) जावित्री। जातिब्राह्मण (पुं०) जन्म से ब्राह्मण, नाम से ब्राह्मण। जातिभ्रंशः (पुं०) जातिच्युत। जातिभ्रष्ट (वि०) जातिच्युत, जाति से पृथक किया गया। जातिमात्रं (नपुं०) कर्त्तव्यपद, जीवन प्राप्ति। जातिलक्षणं (नपुं०) जाति का स्वरूप, जन्मसम्बंधी विशेषताएं, ___वंशज स्वरूप। जातिवाचक (वि०) जाति का प्रकट करने वाला वचन। जातिविद्या (स्त्री०) मातृपक्ष की विद्याएं। जातिविरोधिन् (वि०) जातिगत विरोध करने वाला। (१५/१०) जातिवैरं (नपुं०) जातिगत द्वेष, स्वभाविक शत्रुता। जातिवैरिन (वि०) जन्मविरोधी। सहजा सह जातिवैरिभिर्हदि
मैत्री यदिमैधृताङ्गिभिः' (जयो० २६/४३) जातिशब्दः (पु०) जातिबोधक वचन, ०वर्ग युक्त शब्द।। जातिसंकरः (पुं०) जातिगत द्वेष, दो परस्पर जाति के योग से
उत्पन्न दोष। जातिसम्पन्न (वि०) कुलागत विशेषता। जातिसारं (नपुं०) जायफल जतिस्थाविरः (पुं०) साठ वर्ष का व्यक्ति। जातिस्मर (वि०) जन्म का स्मरण! जातिस्मरणं (नपुं०) पूर्व जन्म का स्मरण। (जयो० २३/१०) जातिस्मृति (स्त्री०) जाति का स्मरण। (वीरो० ११/२३)
(जयो० २३/११) जातिस्वभावः (पुं०) जातिगत लक्षण। जातिहीन (वि०) जाति से बहिष्कृत। जातिहुङ्गित (वि०) वेश्यादि से उत्पन्न। जातीयकता (वि०) जाति युक्त (वीरो० १८४८) जातीयता (वि०) जाति सम्बन्धी। (वीरो० २२/१८) जातु (अव्य०) १. कभी, सर्वथा, किसी प्रकार, संभवतः,
कदाचित्, किसी समय, एकबार, किसी दिन। २. जीव। (सम्य ११७/७४)।
जात्य (वि०) [जाति+यत्] एक ही जाति का, एक कुल से
सम्बंधित। जान-समझें। जानकी (स्त्री०) जनक की पुत्री सीता। जानन्ति -जानती हैं, समझती हैं। (सुद० १०७) जानन्तु-वे समझे, वे सब जाने। (जयो० वृ० १/२०) जानपदः (पुं०) [जनपद-यम्] ग्रामीण। १. देश, २. विषय,
३. उक्ति विचार। जानासि-जानते हो (सुद० ४/४०) जानु (नपुं०) [जन्+अण्] घुटना, जंघा, ऊरु। (दयो० ३९)
'वापी तदा पीनपुनीरतजानुः' (सुद० १०१) जानुचितलम्बबाहु (स्त्री०) घुट ने तक लम्बी भुजाएं। (वीरो०
३/११) जानुज (वि०) जानने वाला। (सुद० ३/४) जानुजसत्त (वि०) जानने वाला पक्षी। जानुजाधिपति (पुं०) वैश्यराज। (सुद० ४/३) जानुदधन (वि०) घुटनों तक ऊँचा, घुटनों का गहरा। जानुफलकं (नपुं०) घुटने की फाली। जानुमण्डलं (नपुं०) घुटने की फाली, ऊरुवृत्त, जंघाकार।
(जयो० ११/२७) जानुसन्धि (स्त्री०) घुटनों का जोड़। जानीहि-समझें जाने। (जयो० वृ० (सुद० २/४०), २/३) जापः (पुं०) [जप्+घञ्] १. जपना, स्मरण करना, याद
करना, प्रार्थना करना, स्तुति करना। २. प्रार्थना, जाप,
स्मरण, मंत्रोच्चारण। जाबाल: (पुं०) [जबाल+अण] रेवड़, बकरों का समूह। जाबालोपनिषदः (पुं०) अथर्ववेद का छग सूत्र। (दयो० २२/ जामदग्न्यः (पुं०) [जमदग्नि+यञ्] पराशुराम, जमदग्नि का
पुत्र। जामा (स्त्री०) [जम्+अण्] १. पुत्री, २. स्नुषा, ३. पुत्रवधू। जामातु (पुं०) [जायां माति मिनोति वा] १. दामाद, जमाता।
(दयो०७३) जामातरमुज्ज्वलान्तर। (जयो० १०/३) २. स्वामी, मालिक। ३. सूरजमुखी का फूल।
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