Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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जलाञ्जलिः
४११
जह
जलाञ्जलिः (स्त्री०) चुल्लुभर पानी। (वीरो० १/३१) जलाटनः (पुं०) सारस। जलाटनी (स्त्री०) जोंक। जलायितत्त्व (नपुं०) जल तत्त्व (वीरो० २०/६) जलाशयः (पुं०) सरोवर, तालाब। (सुद० १/१८)
जलाशय जलाधार जलदे तु जलाशयं इति वि (जयो० वृ० २१/३३) जलाष्टकः (पुं०) घड़ियाल, मगरमच्छ। जलात्ययः (पुं०) शरद, पतझड़। जलाधिदैवतः (पुं०) वरुणदेव। जलाधिपः (पु०) वरुणदेव। जलानयनदासी (स्त्री०) रहट, कुटकुटी। (जयो० २५/९) जलाम्बिकः (पु०) कूप, कुआं। जलार्कः (पुं०) सूर्य प्रतिबिम्ब। जलाजीवानार्थ (वि०) जल से आजीविका चलाने वाला।
(जयो० १/३७) जलावगाहः (पुं०) जल में तैरना। (जयो० १४/८०) जलित्व (वि०) जलधारित्व, नीरधारी (जयो० २०/७७) जलभिघ (वि०) तडादिक, तालाब आदि। (जयो० वृ० १/७४) जलार्णवः (पुं०) वर्षाऋतु। जलार्थिन् (वि०) प्यासा। जलार्द (वि०) गीला। जलूका (स्त्री०) जोक। जलेन्द्रः (पुं०) वरुणदेव। १. समुद्र। जलेन्धनः (पुं०) वडवाग्नि। जलेभः (पुं०) जलहस्ति। जलेशः (पुं०) वरुणदेव। जलेशयः (पुं०) मछली। जलोत्सर्जनं (नपुं०) जलदाय। (जयो० वृ० ६२/१२१) जलौकः (पुं०) जोंक। (जयो०४/२०) (समु० १/१९) जलोदभवः (पुं०) कमल। (जयो० ४/५९) ०नीरज। जलोद्वैलनं (नपुं०) जलप्रवाह। (जयो० ११/३) जल्प (अक०) बोलना, कहना। (जयो० २/१५५) संलाप
करना, गुनगुनाना, प्रलाप करना। जल्पन्ती। जल्पः (पुं०) [जल्प्+घञ्] १. भाषण २. कलकलरव (जयो०
वृ० १८/५८) ३. प्रवचन, वार्तालाप, संवाद, विचार, (सुद १/१२) वितण्डावाद (जयो० वृ० १८/५८) ४. वाद-विवाद। वाक् युद्ध। (सम्य० ३३) ०साध्य के विषय में दूसरे को तिरस्कृत करना।
जल्पका (वि०) व्यर्थ का बोलने वाला, बातूनी, गप्पी, मुखरी,
बाचाल। जल्पित (वि०) भाषित। (जयो०५/२७) जल्लः (पुं०) मल, शरीर पर पसीने से जमने वाला मेल,
मलपरीषह। 'सर्वाङ्गमलो जल्लः' शरीरमलं जल्लः। जल्लौषधिः (स्त्री०) मल परीषह, एक ऋद्धिविशेष, जिसके
प्रभाव से मल को दूर किया जाता है। जव (वि०) ०स्फूर्तिमान् तंदुरुस्त, चुस्त। ०स्फूर्ति, ०तेजी।
जवेन (तृ०ए०) (सुद० २/४२) जवात्-त्वरितमेव (जयो०
१९/५) जवञ्जय (वि०) अत्यधिक शीघ्रता। (वीरो० ९/१६) संहति
यत्क्रियते जवञ्जये (समु० ९/१३) जवलेविका (स्त्री०) जलेबी, एक मिष्ठान्न, रस से परिपूर्ण
वर्तुल। भङ्ग विभङ्गरकारो मिष्ठान्न भेदः। (जयो० २४/७७)
(जयो० ९/६०) जवन (वि०) स्फूति, तेजी, गतिशीलता, शीघ्रगामी। जवनं (नपुं०) वेग, गति, चाल। जवनिका (स्त्री०) [जूयते आच्छदयते अनया जु+ल्युट्+डी.
जवनी कन्+टाप्] १. पर्दा, आवरण, २. दृश्य, सदृक का
एक अंश, प्राकृत में रचित सदृक रचना का एक वर्ग। जवनी (स्त्री०) पर्दा, कनात। जवशील (वि०) वेगशील। जवत एव वेगादेव (जयो० वृ०
६/२६) जवसः (पुं०) [जु+असच्] घांस। जवा (स्त्री०) [जव+टाप्] जपा पुष्प। अडहुल। जवाहर (नपुं०) एक रत्न। जवाहरलालनेहरु (पुं०) भारत के प्रथम प्रधानमंत्री। (जयो०
१८/८४) नवम्बर १४ सन् १८८९ प्रयाग-आनंद भवन। जविवाहः (पुं०) घोड़ा, घोटक, अश्व। (जयो० १३/२६) जष् (सक०) मारना, क्षति पहुंचाना, घायल करना। जस् (सक०) १. मुक्त करना, छोड़ना, २. प्रहार करना,
मारना। ३. अपमान करना। जह (सक०) छोड़ना- जहाति (सुद० १२०) (जयो० १/८) जहकः (पुं०) १. समय, २. सर्प की केंचुली। जहत् (वि०) त्यागने वाला। जहासि-छोडते हो। (सुद० ३/३८) जहानकः (पुं०) [हा+शानच्क न्] महाप्रलय। जहुः (हा+उण्) शावक, वत्स, बछड़ा। जह्व (पुं०) एक नृप विशेष। (जयो० ६/३३)
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