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ज्ञानकृत
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ज्ञानशास्त्र
ज्ञानकृत (वि०) जानकर किया गया।
युक्त होता हुआ भी चारित्रहीन होना। 'स्खलितादिज्ञानगत (वि०) बोधगत, जाना गया।
भिर्ज्ञानपुलाकः' ज्ञानगम्य (वि०) समझने योग्य, अनुभव करने योग्य। ज्ञानप्रमाणं (नपु०) ज्ञान का प्रमाण, आत्मा का अस्तित्व। ज्ञानगुणप्रशस्तिः (स्त्री०) वस्तु स्वरूप का गुणगान। (वीरो० ज्ञानप्रवादः (पुं०) पांचों ज्ञान का विचार, जिस ग्रन्थ में पांचों १७/२१)
ज्ञान का विचार हो, ज्ञान प्ररूपणा वाला पूर्वग्रन्थ। ज्ञानचक्षुस् (नपुं०) बौद्धिक दृष्टि, मन की दृष्टि।
ज्ञानप्रवृत्तिः (स्त्री०) ज्ञानधारक। ज्ञानचिन्तनं (नपुं०) बोधानुभव, आत्म-चिन्तन, आत्मा के सर्वेऽपि प्राणिनोऽस्माभिः सम ज्ञानप्रवृत्तयः। विषय में सोचना।
अयं शत्रुश्यं बन्धुरित्यज्ञानमयी हि धीः।। (हितसंपादक वृ० ५८) ज्ञानचेतना (स्त्री०) शुद्धात्मानुभूति, वीतरागता; शुद्धोपयोग। | ज्ञानशक्तिः (स्त्री०) वस्तु स्वरूप के ज्ञान का कथन।
चेत्यते अनुभूयते उपयुज्यते इति चेतना तस्य कर्मफल ज्ञानबालः (पुं०) ज्ञान से रहित। 'वस्तुयाथात्म्यग्राहिज्ञानन्यूना ज्ञानचेतना (सम्य० १३४) स्वरूपाचरणं भेद विज्ञान ज्ञान ज्ञानबालाः' (भ०आ०टी० २५) चेतना। शुद्धोपयोगनामानि कथितानि जिनागमे।। (सम्य०१४३) ज्ञानबोधिः (स्त्री०) ज्ञान की प्राप्ति। 'बोधनं बोधि: जिनधर्मलाभः। * केवल ज्ञान का अनुभव करना।
ज्ञानबोधि:-ज्ञानावरण-क्षयो पशमसम्भृता ज्ञानप्राप्तिः। * प्राणों से रहित केवल एकमात्र ज्ञान का अनुभव। ज्ञानमदः (पुं०) ज्ञान अहंकार, विद्यापद, श्रुत के प्रति मद। * कृतकृत्य चेतन स्वभाव का अनुभव।
ज्ञानमय (वि०) ज्ञानयुक्त, ज्ञान सहित। 'येणां * किञ्च सर्वत्र सद्दृष्टे नित्यं स्याज्ज्ञान चेतना, स्थितिर्ज्ञानमयैककल्पा'
अविच्छिन्नप्रवाहेण यद्वाऽखण्डैकधारया।। (सम्य० १३३) ज्ञानमयी (वि०) ज्ञानयुक्त। (सम्य० ४०) (भक्ति० २) ज्ञानतत्त्वं (नपुं०) आत्मज्ञान, यथार्थज्ञान, सम्यग्ज्ञान। ज्ञानमाह्वयन्त (वि०) ज्ञान का निरूपण करने वाला (जयो० २३७२) ज्ञानतपस् (नपुं०) उत्कृष्ट तप, ज्ञान/बोधक जन्य तप। ज्ञानमूर्तिः (स्त्री०) ज्ञानप्रतिमा (दयो० १/४) ज्ञानतापस (वि०) ज्ञान परक तपस्या करने वाला।
ज्ञानयज्ञः (पुं०) अध्यात्मवेत्ता, तत्त्वज्ञा ज्ञानदः (पुं०) शिक्षक, गुरु, अध्यापक।
ज्ञानयोगः (पुं०) ज्ञान साधन, आत्मानुभूति का उपयोग, ज्ञानदा (स्त्री०) सरस्वती, मां भारती।
शुद्धज्ञानोपयोग। ज्ञानदानं (नपुं०) चार प्रकार के दान में एक दान।
ज्ञानयोग्य (वि०) जानने योग्य, ज्ञाप्य। (जयो० वृ०२/६५) ज्ञानदुर्बल (वि०) ज्ञानाभाव, ज्ञान की कमी।
ज्ञानवत् (वि०) ज्ञानी, शास्त्रज्ञ, ज्ञाप्य। (जयो० वृ० २७/४६) ज्ञाननयः (पुं०) ज्ञान माहात्म्य का उपदेश, ज्ञान की प्रधानता ज्ञानवती (वि०) वेदिकी, वेदिनी, ज्ञानयुक्ता। (जयो० वृ० १४/९) वाला विचार।
ज्ञानवान् (वि०) ज्ञान युक्त, ज्ञानी. शास्त्रज्ञ। पिशितस्य ज्ञाननिश्चयः (पुं०) बोध का स्थिरीकरण, ज्ञान की स्थिरता। दयाधीनमानसो ज्ञानवसौ। (सुद० १२९) ज्ञान निरूपणं (नपुं०) ज्ञान विवेचन। (जयो० २३/७२) ज्ञानवाञ्जनः (पुं०) ज्ञानी, विज्ञ। (जयो० २/६५) ज्ञाननिष्ठ (वि०) आत्मज्ञान प्रवीण।
ज्ञानविधायिन् (वि०) ज्ञान सहित, ज्ञानपूर्वक। 'यतो नहि ज्ञानपर (वि०) ज्ञानवान, ज्ञान युक्त।
ज्ञानविधायिकर्मकर्तुं तदा प्रोत्सहतेऽस्य नर्म।। (सम्य० ४१) मुनिः कोपीन वासास्स्यान्नग्नो वा ध्यान तत्परः।
ज्ञानविभूषण (वि०) ज्ञानयुक्त, ज्ञान सहित। एवं ज्ञानपरो योगी ब्रह्म भूयाय कल्पते।। (दयो० वृ० २४) ज्ञानविभूषणात्मक (वि०) ज्ञान से परिमंडिता ज्ञानपण्डितः (पुं०) सम्यग्ज्ञान से परिणत जीव, 'पञ्चविधज्ञान- ज्ञानविभूषात्मक (वि०) ज्ञानरूप आभूषण युक्त। 'लब्ध्वा परिणतो ज्ञानपण्डितः' (भ०आ०टी० २५)
ज्ञानविभूषणात्मकतया भूरामलः संभवेत्। (मुनि० ३३) ज्ञानपण्डितमरणं (नपुं०) ज्ञान परिणत जीव का मरण। ज्ञानविराधना (स्त्री०) ज्ञानापलाप, ज्ञान का प्रतिकूल आचरण। ज्ञानपथं (नपुं०) ज्ञानमार्ग।
ज्ञान वृत्तात्मन् (पुं०) ज्ञान युक्त आत्मा। (सम्य० ५३) ज्ञानपरीषहजयः (पुं०) श्रुतज्ञान के प्रति अभिमान। ज्ञानशास्त्र (नपुं०) १. ज्योतिषशास्त्र, नैमिनिक शास्त्र। २. ज्ञानपुलाकः (पुं०) अतिज्ञान युक्त, ज्ञान वाला साधु, ज्ञानाश्रय आत्मज्ञान सम्बंधी ग्रन्थ।
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