Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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गतभर्तृका
३४५
गदान्वित
गतभर्तृका (स्त्री०) विधवा स्त्री।
पहुंचना। २. अवस्था, दशा, परिणति, स्थिति, अवस्थिति। गतभ्रान्ति (वि०) भ्रम रहित, संशय विमुक्त।
चेष्टा-वामा गतिर्हिवामानां को नामावैति वामित:' (जयो० गतरूप (वि०) रूप रहित।
१५०) ३. संसार, भव। ४. जीवों का परिणमन। ५. गतरूपध्यान (वि०) देहस्थ ध्यान से रहित, इन्द्रिय व्यापार से देशान्तर संचरण। ६. उत्पत्ति। 'दधती कञ्जगति स्थिराशयम्' रहित
(जयो० १३/५९) स्रोत, उद्गम, प्राप्ति स्थान, गमन, गतलक्ष्मी (वि०) धनाभाव।
आवागमन। (जयो० १३/२४) ७. निर्वाह-'मकरतोऽवतरस्य गतवयस्क (वि०) वयस्क पने से रहित, वृद्ध, बूढ़ा।
सरस्वति (जयो० २/९७) भवितुमर्हति नासुमतो गतिः। गतवर्षः (पुं०) पिछला वर्ष, बीता हुआ वर्ष।
(जयो० ९/६१) प्रवृत्ति-गतिर्ममैतस्मरणैकहस्तावलाम्बन: गतवर्ष (नपुं०) पिछला साल, बीता वर्ष।
काव्यपथे प्रशस्तरा। (सुद० १/३) गतवान् (वि०) गया हुआ। (जयो० वृ० १/८९)
गतिनियतिः (स्त्री०) आकाश गमन। “कियती जगतीयती गतवैर (वि०) वैर रहित प्रीतिभाव मुक्त।
गतिर्नियतिर्नो वियति स्विदित्यतः।' (जयो० १३/२४) गत-व्यथ (वि० ) पीड़ा मुक्त।
गतिभङ्गः (पुं०) ठहरना, रुकना, स्थान ग्रहण करना, विराम। गतशील (वि०) शील रहित।
गतिमत् (वि०) प्रसरण। (जयो० ११/६९) गतशैशव (वि.) बचपन रहित।
गतिरोधः (पुं०) विराम, ठहरना। 'गतिरोधवशेनासावेतस्योपरि गतसत्त्व (वि०) जीवन रहित।
रोषणा' गतसत्य (वि०) सत्यनिष्ठा शून्य अलोक युक्त, मिथ्यात्व गतिविद्या (स्त्री०) गणित तथा विज्ञान विद्या। (सुद० १३३) सहित।
गतिहीन (वि०) अशरण, निस्सहाय, परित्यक्त। गतसन्मति (वि०) बुद्धिहीन।
गत्वर (वि०) [गम्+क्वरप्] गतिशील, जंगम, चर। गतसन्तोषः (वि०) संतोष रहित।
गत्वरत्व (वि०) गमनशील। 'गत्वरत्वसमयातिसत्वरः' (जयो० गतसाधना (वि०) साधना का अभाव।
२१/१) गतसम्यक्त्व (वि०) सम्यक्त्व शून्य।
गद् (सक०) बोलना, कथन करना, वर्णन करना। निजगात् गतस्पर्श (वि०) स्पर्शरहित।
(सुद०७७) 'राजा जगाद न हि दर्शनमस्य' (सुद० १०५) गताङ्गता (वि० ) अनुकूलता। 'फलितैः फलिनैर्गताङ्गता' (जयो० 'तदा विलक्षभावेन जगादेतीश्वरीत्वरी' (सुद० १०५) १३/४२)
'किमिति गदसि लज्जाऽऽस्पदं' (सुद०८७) सज्जङ्घभावं गताद्य (वि.) विद्यमानता।
भजतो नगत्वं जगौ परोऽमुष्य पुनस्तु सत्त्वम्। सपर्यावरो गताक्ष (वि०) दृष्टिहीन, अन्धा।
बभूवेति जगुर्न वर्याः। (वीरो० ५/६) गतानुगत (वि०) पूर्व परम्परा का अनुयायी। (वीरो० १०/३९) | गदः (पुं०) [गद्+अच्] १. बात कहना, भाषण करना। २. गतानुगत (वि.) सहज गति वाला। गतमनुगच्छति यतोऽधिकांश: रोग विशेष। (वीरो० वृ० ३/५) मया नावगतं भद्रे! सहजतयैव तथा मतिमान् सः।' (वीरो० १०/३९)
सुहृत्द्यापतितं गदम्। (सुद० ७७) गतानुगतिः (स्त्री०) १. अनुगामी। 'गतं पूर्वजननमनु पश्चाद् | गदयित्नु (वि०) [गद्+णिच्+इत्नुच्] १. मुखर, वाचाल, २.
गतिस्तया।' (जयो० २/१४१) २. भेड़ चाल। (वीरो० कामुक। ५/३३) ३. अन्योन्यानुकरण-(वीरो० ५/३३)
गदयित्नुः (पुं०) मदन, कामदेव। गतानुगतिक (वि०) अन्धानुकरण करने वाला। 'गतानुगतिकत्वेन गदा (स्त्री०) [गद्+अच्+टाप्] मुद्गर, एक आयुध। सम्प्रदाय: प्रवर्तते' (वीरो० १०/१७)
गदाग्रजः (पुं०) कृष्णा। गतानुगतिकत्थ देखो ऊपर
गदाग्रपाणिः (वि०) गदा युक्त, गदाधारी। गदाञ्चितो माधव गतार्थ (वि०) निर्धन, दोन।
इत्थमस्य निरामयस्य क्व सपो नृपस्य। (वीरो० ३/५) गतासु (वि०) प्राणहीन।
गदान्वित (वि०) गदायुक्त, गदाधारी। 'सखी तेऽप्यभवत् पश्य गतिः (स्त्री०) [गम्। क्तिन्] १. गमन, जाना, प्राप्त करना, | नरोत्तम गदान्वितः। (सुद० ७७)
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