Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 353
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गडोल: www.kobatirth.org गडोल: (पुं० ) [ गड् + ओलच्] कच्ची खांड। गड्डर: (पुं०) भेड़। गड्डरिका ( स्त्री० ) [ गड्डरं मेषमनुधावति उन्] १. भेड़ों की पक्ति २. नदी, धारा, प्रवाह, भेड़िया धसान। गड्डुक: (पुं०) स्वर्णपात्र । गण (सक०) गिनना, गणना करना, हिसाब करना, जोड़ना, मूल्य निर्धारण करना, मानना, समझना, गणित करना। (जयो० ३) + गण: (पुं०) [गण+अच्] गणना, गिनना, मानना, समझना। (जयो० ३/३) गणः समूहे प्रमचे संख्या सैन्यप्रभेदयोरिति (जयो० ० ६/४४) १. समूह माता पिता पुत्रादि २. प्रधान (जयो० ) कुटुम्बीजन देही देहस्वरूपं स्वं देहसम्बन्धिनं गणम् (सुद० ४/७) ३. स्थविर सन्तति, आचार पद्धति । 'पूरयेद्यतिषु सन्मना गुणगृह्य एव यतिनाममहौ गणः' (जयो० २/९५) कुल समुदाय। गणक (वि०) गणितज्ञ, दैवज्ञ निमित्त तन्त्रि (जयो० वृ० ३/६६ ) गणकारः (पुं०) वर्गीकरण, विश्लेषण । गणकृत्वस् (अव्य० ) कई बार, अनेक बार । गणगच्छभेदः (पुं०) गण के गच्छ का भेद । आगारवर्तिषु यतिष्वपि हन्त खेदस्तेनाऽऽश्वभूदिह तमां गण गच्छभेदः । (वीरो० २२/१८) गणगतिः (स्त्री०) उच्च संख्या, विशिष्ट गणना। गणचक्रकं (नपुं०) गुणी समूह का स्नेह भोज, ज्योनार, सहभोज, प्रीतिभोज । गणछन्दस् (नपुं०) विनियमिद छन्द, गण के प्रयोजन से छन्द । गणणीय (वि०) पूजनीय, आदरणीय (जयो० ) गिनने योग्य (जयो० ५/९४) गणदीक्षा ( स्त्री०) सामूहिक प्रव्रज्या । गणदेवता ( पुं०) इष्ट देवता। युक्त गणद्रव्यं (नपुं०) सार्वजनिक सम्पत्ति । गणधर (पुं०) १. गण रक्षक- गणभृत्स (वीरो० १४/२) 'गणपरिरक्खो मुणेयच्वो' (मूला०४/३५) 'गणं धारयतीति गणधर : ' गणान् धारयन्ति गणधर । : ' गणनं (नपुं०) १. गिनना (जयो० ६६२) २. मानना, संख्या (समु० १५९) गणनभावः (पुं०) पूज्यभाव (जयो० ) ३४३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गणना ( स्त्री०) समय (जयो० १/१६) एक, दो, तीन आदि संख्या विधान (जयो० ० ११/८८ ) गणनाथः (पुं०) गणस्वामी, गच्छनायक । गगनप्रयोग (पुं०) गुणन प्रयोग। (जयो० १/३४) गणनायकः (पुं०) गणपति । गणप: (पुं०) गणेश । गणपति: (पुं०) गणेश, गणपति, गणनायक । गणपर्वतः (नपुं०) कुलाचल, गणाचल । गणपीठकं (नपुं०) वक्षस्थल गणपुंगवः (पुं०) संघ प्रमुख | गणपूर्व: (पुं०) संघाधिपति, मुखिया । गणभर्तृ (पुं०) शिव । गणितपदं गणभृत् (पुं) देवसमूह (जयो० १९८५) गणभृत्सः (पुं०) गणधर । अभूद् द्वितीयो गणभृत्स वायुभूतिस्तृतीयः सकलीकृताऽऽषुः (वीरो० १४/२) गणयज्ञ: (पुं०) सामूहिक संस्कार । गणराड (पुं०) गणधर । (वीरो० १४/८) वीरस्य सान्निध्यमुपेत्य जात स्तत्त्वप्रतीत्या गणराडिहातः । गणराजदेवः (पुं०) गौतम स्वामी (वीरो० १/७) (वीरो० १४/८) गणशरणं (नपुं०) मुनिसंघ-शरण, गच्छशरण (समु० १३६ ) गणाग्रणी (पुं०) गणपति । गणाचल: (पुं०) मेरुपर्वत । गणाधिप: (पुं०) १. गणपति (जयो० १/२) गणधर (जयो० १९/४४) २. सैन्यपति। ३. संघ प्रमुख गच्छाधिपति । आचार्य गुरुकुलका प्रमुख गणाधिपः धर्माचार्यस्तादृग्गृहस्थाचार्यो वा' (सागार ६०२ / ५१ ) गणाधिपतिः देखो ऊपर। गणावच्छेदकः (वि०) गण का नेतृत्व करने वाला, धर्माचार्य। गणि: (स्त्री० ) [ गण् + इनि] गिनना, हिसाब करना । गणि: (पुं०) संघ नायक, आचार्य, साधुओं में अग्रणी आचार्य विशेष | For Private and Personal Use Only गणिका (स्त्री०) [गण ठञ्+टाप्] वैश्या । पण्यस्त्री, सुरतस्याधिष्ठात्री । (जयो० १७ / ५१) (जयो० ३/८०, १ / १३३)। यूथिका, जूती (जयो० २४/११५) गणिका यूथिका वेश्या इति विश्वलोचन (जयो० वृ० २४/१९५) गणित ( वि० ) [ गण्+क्त] गिना हुआ, गुणित, क्षेत्रित गणितपदं (नपुं०) क्षेत्रफल |

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