Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 364
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गिरीन्द्रः ३५४ गुञ्जा गिरीन्दः (पुं०) सुमेरु, हिमालय। गीतिः (स्त्री०) १. स्तुति, गान, संकीर्तन। सार्हत्सद्गुण गीतिरेव गिरीशः (पुं०) सुमेरु, हिमालय। सुदृशा क्लृप्ता प्रतीतिस्तु मे। (जयो० ८/८५) २. प्रशंसा, गिरीश्वरः (पुं०) शिव, महादेव। १. प्रशस्त वाणीश्वर। गिरां गुणस्तवन। सा गीतिं जगाविति पुन : कलितप्रशंसा (सुद० वाचामीश्वरोऽधिपः प्रशस्तवाणीश्वरोऽसि। (जयो० २४/४४) १२३) २. गिरीश्वरः शिवोऽथ च गिरीणामीश्वरः कैलासः। (जयो० गीतिका (स्त्री०) [गीति कन्+टाप्] गाना, गीत, लघुस्तुति। २२/४४) गिरीश्वरः पर्वत मुख्यो महादेवश्च। (जयो० गीतिन् (वि०) सस्वर पाठ युक्त। २४/६) ३. उर्वीध्रपतिः (जयो० ) ४. बृहस्पति-गिरामीश्वरा गीतिपरायणं (नपुं०) गीतिकाव्य में निपुण। (सुद० १२३) वाग्मिनो बृहस्पतिः। (जयो० वृ० ५/८१) ५. सुमेरू गीतिरीतिः (स्त्री०) गीति के प्रकार, संगीत की विविधकला। पर्वत-प्रतिभाति गिरीश्वरः स च। (वीरो०७/१९) यातु ताल-लय-मूर्च्छनादिभिर्जुनकीर्तनकलाप्रसादिभिः। गिरीशसानु (पुं०) पर्वतराजशृंग भाग। गिरीशस्य पर्वतराजस्य गीतिरीतिमपि तच्छृतात्पुनर्म वाक्त्वमिह विश्वमोहनम्।। सानुःशृंग भागस्तस्मात् गगनरूप पर्वतोपरिमस्थलात्। (जयो० गीतिशास्त्राद् गीतानां रीतिः प्रकार: (जयो०२/६०) वृ० १५/१३) गीतिशास्त्रं (नपुं०) संगीतशास्त्र। (जयो० २/६०) गिल् (सक०) निगलना, चबाना। गीर्ण (वि०) []+ क्त] निगला हुआ, वर्णित, कथित, वर्णन गिल (वि०) निगला गया, उदरस्थ किया गया। किया गया. गाया गया। गिलः (पुं०) नींबू वृक्षा गीर्णिः (स्त्री०) [गृ+क्तिन्] प्रशंसा, यश। गिलगिलः (पुं०) मगरमच्छ, घड़ियाल। गी देवी (स्त्री०) सरस्वती, भारती। गिलनं (नपुं०) [गिल्+ल्युट] निगलना, खा लेना। गीर्वाण (पुं०) सुर, देवता। गिलित (वि०) [गिल्+क्त] निगला हुआ, खाया हुआ। गीर्वाण-वाणी (स्त्री०) देववाणी। सनाभयस्ते त्रय एव गिष्णुः (वि.) गाने वाला। गी: (स्त्री०) १. वाणी, भाषा, वचनवाक्। मम सुलोचनायास्तु यज्ञानुष्ठायिनो वेदपदाऽऽशयज्ञाः। गीर्वाणवाण्यामधि कारिणोऽपि समो ह्यमीषामपरो न कोऽपि।। (वीरो० १४/३) गीर्वाणी (जयो० वृ० २४/४४) नियोगिने तस्य समस्ति नो गीः। (जयो० वृ० २७/६) २. सरस्वती (जयो० १२/१८) गु (सक०) मलोत्सर्ग करना, गीत (वि०) गया गया, उच्चरित किया गया, घोषित किया। गु (स्त्री०) रश्मि, किरण। (जयो० वृ० १/९६) गीतं (नपुं०) गीत, गाना, भजन, कथन, प्रणीत, संकीर्तन, गुग्गुलः (पुं०) राल, गोंद, गुग्गल, गूगल नामक औषधि। लयात्मक शब्द। धान्यस्थली-पालक-बालिकानां (जयो० १९/७६) गीतश्रुतेनिश्चलतां दधानाः। (वीरो० २/१३) गुग्गुलधूपः (पुं०) गुग्गल औषधि की धूप। (जयो० १९/७५) गीतकं [गीत+कन्] स्तोत्र, स्तुति, गान। गुच्छ: (पुं०) गुच्छा, फूलों का समूह। [गु+क्विप्-गुत्) मयूरपंख। गीतक्रमः (पुं०) गान परम्परा। गुच्छकः (पुं०) गुच्छा, पुष्प समूह, गुलदस्ता। कशिम्ब (जयो० गीतज्ञ (वि.) गानकला में प्रवीण। १५/६२) गीतनियुक्तिः (स्त्री०) गीत शब्द, गान भाव। केवलं न भविता गुज् (अक०) गुंजार करना, गूंजना, भनभनाना। गुं गुं शब्द मृदुभुक्तिः सम्भविष्यति च गीतनियुक्तिः । (जयो० ४/५२) करना, गुन गुनाना। 'गीतानां नियुक्तिरपि सम्भावष्यति' (जयो० वृ० ४/५२) गुजः (पुं०) [गुज+क] गूंजना, गुनगुनाना। गीतप्रिय (वि०) गान विद्या कुशल, गान विद्या प्रेमी। गुञ् (अक०) गूंजना, शब्द टकराना। (सुद० ८२) आम्रस्य गीतमोदिन् (पुं) किन्नर, गन्धर्व। गुञ्जत्कलिकान्तराले लीकमेतत्सहकारनाम। (वीरो०६/२१) गीतवती (वि०) गान करने वाली, गाने वाली। 'विपिनेऽस्यकुतोऽपि | गुञ्जनं (नपुं०) [गुन्+ ल्युट्] गूंजना, भिनभिनाना, मंद मंद कौतुकान् मिलिता गीतवतीसु तासु का। (समु० २।८) शब्द करना, ध्वनि करना। 'गर्जनं वारिदस्येव दुन्दुभेरिव गोतवन्त (वि०) गीतज्ञ, गीत गाने वाला। निवार्यमाणा अपि गुञ्जनम्' (वीरो० १५/१) गीतवन्तः सत्यान्वितैरागमिभिर्हदन्तः। (वीरो० १८/५३) । गुञ्जा (स्त्री०) [गुञ्ज+अच्+टाप्] धुंधची, गुमची, काजीफल, गीता (स्त्री०) कर्म प्रधान गेयात्मक काव्य। कृष्णला। गुञ्जा नामक लता में लगने वाला फल, जो For Private and Personal Use Only

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