Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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गोमृगः
३६६
गौनर्दः
२२/३७) यह अनुष्टुप छन्द ही है, जिसमें आठ, आठ गोष्ठ् (अक०) इकट्ठा होना, सम्मिलित होना, ढेर लगाना। अक्षर हैं।
गोष्ठः (पुं०) व्रज, गौशाला, ग्वालों का स्थान। गोमृगः (पुं०) गो सदृश गवय।
गोष्ठि (स्त्री०) [गोष्ठ्+इन] सभा, सम्मेलन, सामूहिक विचार गोमेदः (पुं०) गोमेद नामक रत्न।
का स्थान, संलाप, प्रवचन, विचार-विनिमय। गोयानं (नपुं०) बैलगाड़ी।
गोष्पद् -दृष्टिगोचर होना, गोखुर समात दिखना। यज्ञानान्तर्गत गोरक्षः (पुं०) गोपाल, ग्वाला।
भूत्वा त्रैलोक्यं गोष्पदायते। (दयो० १/३) गोरक्षणं (नपुं०) गउ संरक्षण।
गोष्पदं (नपुं०) गाय का पैर, गाय के खुर के समान चिह्न। गोरक्षणप्रणालि (स्त्री०) गोरक्षा पद्धति। (जयो० वृ० १८/८३) गोसकृत् (पुं०) गोबर, गोमय। (जयो० १५/३०) गोरसः (पुं०) दहि, दूध, छांछ।
गोस्तनी (स्त्री०) द्राक्षा, दाख। रसने समास्वादने द्राक्षेव यथा गोरस-सारिका (स्त्री०) वचन सम्बन्धी आनंद। 'ते किमु न गोस्तनी तथा मृद्वी' (वीरो० १/१) पश्यसि गोरस-सारिके।' (जयो० २४/१३७)
गोह्य (वि०) गोपनीय, गुप्त, प्रच्छन्न। गोराजः (पुं०) सांड, बलिवर्द।
गौञ्जिकः (पुं०) [गुञ्जा+ठक्] सुनार। स्वर्णकार। गोराटिका (स्त्री०) मैना पक्षी।
गौ (स्त्री०) १. रश्मि, हेतु, २. वाणी। (जयो० २०/२६), गोरोपकारणं (नपुं०) गाय रोग निवारण। (जयो० १९/७९) (वीरो० १/३१) गोरोचना (स्त्री०) एक सुगन्धित पदार्थ।
गौडः (पुं०) देश विशेष। गोर्गम् (नपुं०) [गुर्+ददन्] मस्तिष्क, दिमाग।
गौडिकः (पुं०) [गुड+ठक्] ईख, गन्ना। गोल: (पुं०) १. पिण्ड, समूह, भूगोल, लोक, अन्तरिक्ष। २. गौणः (पुं०) अनावश्यक, अप्रधान। वस्तु विवेचन के मुख्य वर्तुलाकार।
और गौण दो पक्ष होते हैं। द्रव्य की कुछ पर्यायों का गोलकः (पुं०) १. अमृत। अमृते जारजः कुण्डोऽमृते भतरि ग्रहण। गोलक इत्यमरः। (जयो० वृ० १८/७५)
गौणत्व (वि०) गौणता युक्त। ब्राह्मणत्वमपि गौडत्वाद्यपेक्षया २. पिण्ड, भूगोल, ३. जारज पुत्र, विधवा पुत्र। लड्डू सामान्य। (जयो० वृ० २६/९१) (जयो० वृ० १२/१३३)
गौण्यं (नपुं०) [गुण+ष्यञ्] गुणानां भावो गौण्यम्। अनावश्यक, गोलकावली (स्त्री०) भोले। १. लड्डू गोलकानां लड्डुकानां, अप्रधान। गुणेण णिप्पण्णं गोण्णं, गुण के आश्रय से
करकोपलनामावलिः परम्परा। (जयो० वृ० १२/१३३) निष्पन्न। गोलविशेषणं (नपुं०) तिलक, वर्तुलाकार तिलक। (जयो० | गौतमः (पुं०) गणधर, गौतमऋषि। (वीरो० १/७) वर्धमानादनभ्राज वृ० १०/३१)
एवं गौतमचातकः। लेभे सूक्तामृतं नाम्ना साऽऽषाढी गोलवणं (नपुं०) गाय का नमक।
गुरुपूर्णिमा। (वीरो० १३/३८) आषाढी पूर्णिमा के दिन गोलांगुलः (पुं०) लंगूल, बन्दर।
गौतम ने वर्धमान के/महावीर के दिव्य संदेश को प्राप्त गोलोभी (वि०) वेश्या।
किया था। * गौतम बुद्ध। गोवत्सः (पुं०) गाय का बछड़ा।
गौतमकेकि (पुं०) गौतम रूपी मयूर। (वीरो० १२/३९) गोवर्धनः (पुं०) गोवर्धन गिरि वृन्दावन के निकट का पर्वत। वीरवलाहकतोऽभ्युदियाय गौतमकेलिकृतार्थनया यः। अनुभुवनं गोवाट (नपुं०) गौशाला।
स वारिसमुदायः श्रावणादिमदिने निरपायः।। (वीरो० १३/३९) गोवासः (पुं०) गौशाला।
गौतमचातकः (पुं०) गौतम रूपी चातक। (वीरो० १३/३८) गोविदः (पुं०) गोपालक।
गौतमस्वामी (पुं०) गणराजदेव। (वीरो० १/७) गोविंदः (पुं०) १. पुरुषोत्तम, विष्णु। पुरुषोत्तमस्य गोविंदस्य | गौतमी (स्त्री०) १. द्रोण भार्या, २. गोदावरी नदी। ३. हल्दी,
वाहनं गरुडं' (जयो० वृ० ६/७९) २. गोविन्द, गोपालक ४. गोरोचन। प्रधान। (दयो० ५३) गोविंदो नाम गोपालो गौधूमीनम् (नपुं०) [गोधूम+खञ्] गेहूं का क्षेत्र। गोकुलपतिमेदिनीमंडलस्य दशः। (दयो० वृ०५३) गौनर्दः (पुं०) पतञ्जलि ऋषि। महाभाष्यकार।
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