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जन्मनक्षत्रं
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जम्बूद्वीपः
जन्मनक्षत्रं (नपुं०) जन्म का ग्रह। जन्मनामन् (नपुं०) जन्म के समय रखा गया नाम। जन्मपत्रं (नपुं०) जन्म पत्रिका, जन्मकुण्डली। (जयो० १५/६९) जन्मपत्रिका (स्त्री०) जन्मपत्र, जन्मकुण्डली। जन्मप्रतिष्ठा (स्त्री०) जन्मस्थान, १. मातृस्थान। जन्मभाज् (पुं०) जीवित प्राणी। जन्मभाषा (स्त्री०) मातृभाषा। जन्मभूमिः (स्त्री०) मातृभूमि। जन्मभृत् (पुं०) जीवित प्राणी। कस्मै जन्मभृतेऽप्यपद्रवकरं न
स्यात् प्रभुज्यताम्। (मुनि० १३) जन्मयात्रा (स्त्री०) जीवन यात्रा। (वीरो० १८७१) जन्मयोगः (पुं०) जन्मपत्र, जन्म की गणना। जन्मरोगिन् (वि०) जन्म से रोगी होने वाला। जन्मलग्नं (नपुं०) जन्म समय। जन्मवत् (वि०) जन्म की तरह। (जयो० १/२३) जन्मवर्त्मन् (नपुं०) योनिस्थान, उत्पत्ति स्थान। जन्मवार्ता (स्त्री०) जन्म लेने की कथा। जन्मशोषणं (नपुं०) जन्म परिपालन, जन्म की सार्थकता। जन्मसाफल्यं (नपुं०) जीवन का उद्देश्य, जीवन का लक्ष्य,
जीवन की सफलता। जन्मसंस्कारः (पुं०) प्रारम्भिक संस्कार, जन्म के समय के
उचित नियम। (जयो० ११/५५) जन्मस्थानं (नपुं०) १. जन्मभूमि, स्वदेश। २. गर्भाशय। जन्माभिर्षयः (पुं०) जन्माभिषेक, तीर्थंकर बाल का प्रथम
स्नान जो सुमेरु पर्वत की पांड्क शिला पर किया जाता। जन्माभिषेक देखो ऊपर। जन्मिन् (पुं०) जीवनधारी, प्राणधारी। जन्मोत्थ-कथा (स्त्री०) जन्मवार्ता। निजीयपूर्वजन्मवार्ता। (जयो०
वृ० २३/३३) जन्य (वि०) [जन्+ण्यत्] १. जन्म लेने वाला, जनित,
उत्पन्न, 'कुल से सम्बंधित। २. वारयात्रिक-वराती, वर के शोभा बढ़ाने वाले आगन्तुक कुटुम्बी (जयो० वृ० १२/१३४) ३. यान, वाहन, यात्रा का साधन। (जयो०
६/३९) जन्यः (पुं०) १. वराती, वरयात्री, वर/दुल्हे के सगे सम्बंधी। २.
जनश्रुति, किंवदन्ती। जन्यं (नपुं०) १. उत्पत्ति, सृष्टि, जात, जन्म। २. बाजार, मेला,
मण्डी। ३. अपमानजनक शब्द। ४. संग्राम, युद्ध।
जन्यजन: (पुं०) १. वार यात्रिक, वाराती। (जयो० १२/१२३)
२. संवाहक लोक (जयो० ६/३३) जन्यानां जन: समूहो
जन्यजन: संवाहकलोक: (जयो० ७० ६/३३) जन्यहस्तं (नपुं०) १. वरातियों के हाथ, प्रेमभाव। 'जन्यानां
वारयात्रिकाणं हस्तेषु' (जयो० वृ० १२/१३४) २. वधू/बहुत की सेविका/परिचारिका। ३. सुख, आनन्द। ४. यानवाहका। (जयो० वृ० ६/३९) उचितं चक्रुरिलापतिमितरं जन्या
नयन्तस्ताम्। (जयो० वृ० ६/३९) जन्युः (पुं०) जन्म, उत्पत्ति, प्राणी। १. बह्नि, आग, २. ब्रह्मा। जप् (सक०) जपना, स्मरण करना, गुन गुनाना, मन्त्र उच्चारण
करना, कहना, बोलना, प्रार्थना करना। जपा (स्त्री०) जपा पुष्य। (सुद० ७६) जपः (पुं०) [जप्+अच्] अपना, स्मरण करना, उच्चारण,
कहना, दुहराना, प्रार्थना (जयो० वृ० ६/६४) जपपरायणः (पुं०) मन्त्र साधाना में रत। जपमाला (स्त्री०) मन्त्र जपने की माला। (जयो० वृ० १७/८२) जपमालिका (स्त्री०) मन्त्र की माला। जपाशं (नपुं०) जपा पुष्प, कामना करना। (जयो० वृ० ६/६४) जप्य (वि०) [जप्+यत्] जपने योग्य, प्रार्थना करने के योग्य। जभ/जम्भ (अक०) जंभाई लेना, उबासी लेना। जम् (अक०) खाना, जीमना, भोजन करना। जमदग्निः (पुं०) नाम विशेष, भृगुवंश में उत्पन्न ब्राह्मण। जम्पती (पुं०) पति-पत्नी।। जम्पती-कहती हुई, कहने वाली, बोलती हुई। 'प्रत्याव्रजन्तामथ ____ जम्पती तौ' (सुद० २/२४) जम्बालः (पुं०) [जम्भ+घञ्] काई, सेवार, कीचड़। जम्बालिनी (स्त्री०) नदी विशेष। जम्बीरः (पुं०) [जम्भ+ईरन्] नींबू। जम्बीरः (नपुं०) चकोतरा। जम्बुकः (पुं०) १. गीदड़, २. अधम पुरुष। (दयो० ९६) जम्बू (स्त्री०) [जम्+कु] जामुन, जामुन का वृक्षा
(सुद० १/१९) (जयो० वृ० १२/१४) जम्बू (पुं०) जम्बुकुमार, एक नाम विशेष। जम्बूकुमारः (पुं०) अर्हद्दास श्रेष्ठी का पुत्र राजपुरी नगरी के
सेठ का पुत्र। श्रेष्ठिनोऽप्यर्हद्दासस्य। जम्बू तरुः (पुं०) जामुन वृक्षा (वीरो० वृ० १५/२५) जम्बूद्वीपः (पुं०) मनुष्य लोक के ठीक मध्य में स्थित एक
लाख योजन प्रमाण का एक द्वीप। (जयो० वृ० २३/४३)
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