Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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जनिः
४०५
जन्मन्
३/७२) कलत्रं हि सुवर्णोरुस्तम्भं कामिजनाश्रयम्' (जयो० जनुष्मता (वि०) जन्मता, उत्पत्तिपना। (दयो० ३९) ३/७२) चम्पापुरी नाम जनाश्रयं तं श्रियो निधाने सुतरां जनु:सर्थि (वि.) जन्म की सार्थकता, उत्पत्ति का महत्त्व, लसन्तम्। (सुद० १/२४)
जन्म लेने का प्रयोजन। (सुद० ११५) तस्यैव साधोर्वचसः जनिः (स्त्री०) [जन्+इन] १. जन्म, उत्पत्ति, सृजन, प्रसूति। प्रमाणाज्जनी जनुः सार्थमिति ब्रुवाणा' (सुद० ११५)
(सम्य० ४५) २. स्त्री, माता, पत्नी। ३. पुत्रबधू, स्नुषा। | जनेन्द्रः (पुं०) नृपति, अधिपति। जनिका (स्त्री०) [जनि कन्+टाप्] १. पुत्रवधू-जनीवजनिका जनेश्वरः (पुं०) नृपति, अधिपति, राजा। (जयो० वृ० १२/८९)
वधूवा (जयो० वृ० ४/५४) २. रूपवती नारी (जयो० | जनेश्वरी (स्त्री०) ज्ञानी। (सुद० ८९) भोजने भुक्तोज्झिते भुवि ६/४१) पुनरनु काविल राजं जनीकया तर्जनीकया कृत्वा | भो जनेश्वरि। (सुद० ८९) (जयो० ६/४१)
जनैक-बन्धुः (पुं०) प्राणिमात्र का एक मात्र मित्र। (सुद० जनिभू (वि०) उत्पन्न करने वाली, जन्म देने वाली। (सुद० १/३) ११२)
जनोघः (पुं०) जन समुदाय। जनित (वि०) [जन्+णिच्+क्त] उत्पन्न किया गया, प्रसूतित। जनोदाहरणं (नपुं०) यश, कीर्ति। (जयो० वृ० १/२२, २/३७)
जन्तुः (पुं०) प्राणी, मनुष्य, जीव। (सम्य० ५३) 'संसार जनित् (पुं०) [जन णिच्+तृच्] जनक, पिता।
स्फीतये जन्तो वः' (सुद० ४/१२) सुखं च दु:खं जगतीह जनित्री (स्त्री०) जननी, माता।
जन्तोः (सुद० वृ० १११) जनी (स्त्री०) नारी, स्त्री, महिला। (जयो० १६/४६) 'रजनीव जन्तुबधः (पुं०) प्राणिवध, प्राणियों का घात। त्वमेकदा जनी महीभुज।'
विन्ध्यगिरेनिवासी भिल्लस्त्वदीयाघ्रियुगेदेकदासी। तयोरगाज्जीव जनीका (स्त्री०) पत्नी. नारी। (जयो० ६/४१ जननशीला नमत्यधेन निरतरं जन्तुबधाभिधेन।। (सुद०४/१७) वीरो० ६/४०)
जन्तुमात्रः (पुं०) प्राणि मात्र। (वीरो० १४/३७) जनीजनः (पुं०) प्रमदासमूह, नारी समूह। (जयो० १०/५८) जन्तुविरहित (वि०) जीव रहित, चैतन्य प्राणि रहित। (हि० जनीजन (पुं०) वृद्ध स्त्री। (सुद० ३/११) कुलदीपयशः ४३)
प्रकाशिते ऽपतमस्यत्र जनीजनैर्हिते। (सुद० ३/११) जन्तुत्पत्तिः (स्त्री०) जीवोत्पत्ति। (सुद० १३०) जनीमनस् (पु०) स्त्रीमन, नारी स्वभाव। रविर्धनुः प्राप्य जनीमनांसि जन्मन् (नपुं०) [जन्+मनिन्] जन्म, उत्पत्ति (जयो० वृ० किल प्रहर्तुं विलसमांसि। (वीरो० ९/२८)
१/१५) १. उद्गम, मूल, जीव। २. कर्म के कारण, चार जनीसमाजः (पुं०) स्त्री समाज, नारी वर्ग। (वीरो०६/१७) गति रूप उत्पत्ति।। प्राणग्रहण जन्म। (भ०आ०टी० २५) जनीस्वनीतिः (स्त्री०) स्त्रियों की चेष्टा, नारी पद्धति। (वीरो० जन्म कर्मवशाच्चतुर्गतिषूत्पत्तिः।' ६/२२)
जन्मकीलः (पुं०) विष्णु। जनु (स्त्री०) [जन्+3] जन्म, उत्पत्ति, प्रसूति, प्रसव। (सुद० जन्मकुण्डली (स्त्री०) जन्मपत्रिका। वृ०७०)
जन्मकृत् (पुं०) जनक, पिता। जनुज (वि०) उत्पन्न करने वाली, जन्म देने वाली। (जयो० जन्मगत (वि०) जन्म से प्राप्त। वृ० १२/१३३)
जन्मक्षेत्रं (नपुं०) जन्म स्थान। जनुसृत्यु (स्त्री०) जन्म मरण। (दयो० १०७) लाभालाभौ जन्मतिथि: (स्त्री०) जन्म दिन, जन्म का समय। जनुमृत्युर्यशोऽपयश एव च। (दयो० १०७)
जन्मदः (पुं०) जनक, पिता। जनुरुत्सवः (पुं०) जन्मोत्सव। (भक्ति० २२) श्रीहीभिरासेवित- जन्मदात्री (वि०) जन्म देने वाली। (समुद० ३/१२, जयो० मातृकाय देवैः सुमेरौ जनुरुत्सवाय' (भक्ति० २२)
११/५४) जनुस् (नपु०) [जन्+ उसि] जन्म, उत्पत्ति, प्रसूति, उत्पादन जन्मदिनं (नपुं०) जन्मतिथि, जन्म लेने का दिन।
जीवन। 'अनुबुध्य जनुर्जिनेशिनः' (जयो० १२/१३८) (वीरो० जन्मदिवसः (पुं०) जन्मतिथि। ७/३)
जन्मन् (नपुं०) उत्पत्ति। (जयो० वृ० १/३)
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