Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 409
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छिति छुरणं छिति (स्त्री०) भूतल, पृथिवी। (समु० १/२२) छितिपरायणः (पुं०) १. पृथिवी प्रवीण, २. तलवार में निपुण। (समु०१/२२) छित्तिः (स्त्री०) [छिद्+क्तिन्] काटना, खण्ड करना, विनाश करना। येनासौ जनिरायतिः सकशला पञ्चायतच्छित्तये। (जया० २७/६६) छित्तय-विनाशाय ( जयो० वृ० २७/६६) छित्वर (वि०) [लिवरप्] १. काटना, खण्ड करना. विनाश, मारना. विदीर्ण करना। २. शांत करना, सुधारना। छिद् (सक०) काटना, फाड़ना, विदीर्ण करना, नाश करना। जीतना (समु०४/७९) 'मोहमश्छिद्यत इत्युदारात्' (भक्ति०३०) छिदकं (नपुं०) १. वज्र, आयुध विशेष। २. हीरा, हीरक। छिदा (स्त्री०) [छिद्+अ+टाप्] विभाजन, विनाश, खण्ड। छिदि (स्त्री०) [छिद्+इन् ] छेदन, कुल्हाड़ा। छिदिभृत् (पुं०) श्वेत, सच्छिद्र। (जयो० १०/२७) छिदिरः (पु०) [छिद्-किरच] कुल्हाड़ा। छिदर (वि०) विभक्त करने वाला, काटने वाला। छिद्यमान (वि०) विभक्त किया गया, छेदा गया। (सम्य० १३९) छिद्रं (नपुं०) [छिप्रक] विल, गर्त, गड्ढा, छेद, विवर, रन्ध, गव्हर-(जयो० वृ० २४/४७) दरज, कटाब, दरार। (वीरो०१/१९) * दोष, सुराख। (वीरो० वृ० १/१९) छिद्र (वि०) छेदा हुआ, कटा हुआ, विभक्त, छिद्र युक्त। छिद्रकुट (वि०) घड़े के नीचे छेद। छिद्रकर्ण (वि०) छिदे हुए कानों वाला। छिद्रगत (वि०) छिद्रयुक्त, दोष युक्त। छिदघट (वि०) छेद वाला घड़ा। छिद्रदर्शन (वि०) दोष प्रदर्शन। छिदपूरणं (नपुं०) १. बिल भरण छिद्र, पूरना। २. दोषापकरण, कलहनिवारण। नीरपूर इव संचरन् स वा छिद्रपूरणविधी विचारवान्। (जयो० ७/५६) छिद्रानुजीविन् (वि०) दोष निकालने वाला, कलह करने छिद्रान्तरः (पुं०) वेंत। छिदात्मन् (वि०) दोष प्रकट करने वाला। छिद्रान्वेष (वि०) दोष निकालने वाला। छिद्रान्वेषी (वि०) दोष व्यक्त करने वाला। छिद्रित (वि०) [छिद्र इतच्] रन्ध्र युक्त, विवर सहित, छेद से परिपूर्ण, छिदा हुआ, विधा हुआ। छिन्न (भू०क०कृ०) [छिद्+क्त] विभक्त, कटा हुआ, खण्डित, विकीर्ण, टूटा हुआ। (सम्य० १३९) छिन्नकर्मन् (वि०) कर्म विमुक्त हुआ। छिन्नकषाय (वि०) कपाय रहित। छिन्नक्षोभ (वि०) राग-द्वेष रहित। छिन्नकेश (वि०) कटे हुए केश वाला, मुण्डित। छिन्नतप (वि०) तप से रहित। छिन्नतरु (वि०) कटा हुआ वृक्षा छिन्नतेज (वि०) क्षीण तेज वाला। छिन्नदान (वि०) दान में अन्तराय। छिन्नदोष (वि०) दोष रहित। छिन्नधर्म (वि०) धर्म च्युत, धर्म विमुख। छिन्ननिमित्त (वि०) त्रैकालिक ज्ञान का कारण। छिन्नपाप (वि०) पाप से रहित। छिन्नपुण्य (वि०) क्षीण पुण्य वाला, विदीर्ण 'पुण्य। छिन्नफल (वि०) गिरा हुआ फल। छिन्नभिन्न (वि०) क्षत-विक्षत। छिन्नमस्तक (वि०) कटे हुए सिर वाला। छिन्नमूल (वि०) विमूल विनष्ट वाला, सर्वस्वक्षीण, रिक्त, अभाव। छिन्नमोह (वि०) मोह रहिता 'छिन्नः प्रणष्टो मोहो मुग्धभावो' (जयो० वृ० १०/९६) छिन्नश्वास (वि०) दमा युक्त। छिन्नसंशय (वि०) संशय रहित। छिन्नस्वप्न (वि०) परस्पर के सम्बंध से रहित स्वप्न, तीर्थकर की माता को दिखने वाले स्वप्न। छुछुन्दरः (पुं०) एक जन्तु, जो मूषक की जाति का होता है। छुछुन्दरी (स्त्री०) एक जन्तु। छुद्र,टिका (स्त्री०) किंकिणी (वीरो० ६/२९) छुप् (सक०) १. काटना, विभक्त करना, उत्कीर्ण करना। २. लीपना, पोतना, अवगुण्ठित करना, मिलाना। छुरणं (नपुं०) [छुर् + ल्युट्] लीपना, सानना। वाला। छिद्रानुसन्धानिन् (वि०) छिद्रान्वेषी, दोषी, दूसरे पर आरोप लगाने वाला। छिद्रानुसारित्व (वि) दोय निकालने वाला। कौटिल्यमेतत्खलु चापवल्ल्या छिद्रानुसारित्वमिदं मुरल्याम्। (सुद० १/३४) For Private and Personal Use Only

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