Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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गारुडि
३५३
गिरिस्रवा
गारुडि देखो ऊपर। गारुडिन् (वि०) गारुडी, सर्प विद्या वाचक। (सुद० १३३) गार्दभ ( वि०) [गर्दभस्येदम] गर्दभ सम्बंधी। गार्द्धयं (नपुं०) [गर्द्ध ष्यन्] लालच, प्राप्त इष्ट वस्तुओं के
पति आसक्ति। गार्ध (वि०) गर्भ सम्बंधी। गार्भिक (वि०) भ्रूण विषयक, गर्भ सम्बन्धी। गार्भिण (वि०) [ गार्भिणीनां समूह भिक्षा अण] गर्भावती
स्त्रियों का समूह। गार्हपतं (नपुं०) गृहपति पद। गार्हपत्यः [गृहपतिना नित्यं संयुक्त संज्ञायां व्य] गृहपति पद। गाहमेध (वि०) गृहपति के योग्य। गार्हस्थ्य (नपुं०) [गृहस्थ+ष्यञ्] गृहस्थता (जयो० वृ० ३/६४) ____ गृहस्थी, घर सम्बन्धी। (वीरो० ९/६) गार्हस्थ्यमार्गः (पुं०) गृहस्थी मार्ग। (जयो० १२/१०) गालनं (नपुं०) [गल+णिच्+ ल्युट्] गलना, पिघलना, छानना। गालवः (पुं०) [गल+घञ्] लोध्र वृक्ष। गालिः (स्त्री०) [गल+इन्] गाली, दुर्वचन, अपशब्द। गालित (वि०) [गल+णिच्+क्त] प्रक्षालित, छाना गया,
पिघलाया गया। गालोइयं (नपुं०) [गालोड्य+अण] कमल का बीज। गाहू ( अक०) स्नान करना. डुबकी लगाना, बिलोना, आलोडित
करना। गाहः (पुं०) [गाह्+घञ्] गोता लगाना, स्नान करना। गाहनं (नपुं०) [गाह। ल्युट्] डुबकी लगाना, गोता लगाना। गाहित (वि०) [गाह् + क्त] गोता लगाया, स्नान किया हुआ। गिंडोलः (पुं०) एक जंतु। (सम्य० ५१) गिन्दुकः (पुं०) १. गेंद, २. वृक्ष विशेष। गिर् (स्त्री०) वाणी, शब्द, भाषण, भाषा, वचन, कथन।
गिरमर्थयुतामिव स्थितां ससुतां संस्कुरुते स्म तां हिताम्। (सुद० ३/१२) 'कृत्वा हृद् गिरमपि प्रशस्तौ।' (सुद०
गिरिः (पुं०) पर्वत, पहाड़, नग। 'अहो गिरेगह्वरमेव सौधमरण्यदेशे
गिरिणा (सुद० ११७) गिरि (वि०) [गृ+इ+किच्च] पूजनीय, सम्माननीय, आदरणीय। गिरिकच्छपः (पुं०) पर्वतीय कछुवा। गिरिकष्टकः (पुं०) इन्द्र का वज्र। गिरिकदम्बः (पुं०) पर्वतीय कदम्बतरु। गिरिकन्दरः (पुं०) पर्वत की गुफा। (दयो० २२) गिरिकर्णिका (स्त्री०) भूमि, भू। गिरिकाननं (नपुं०) पर्वत निकुंज। गिरिकुहर: (पुं०) पर्वत गुफा। (दयो० २२) गिरिकूटं (नपुं०) पर्वत शिखर। गिरिगंगा (स्त्री०) पर्वतीय नदी, गंगा नदी। गिरिगुङः (पुं०) गेंद, कन्दक। गिरिचर (वि०) पर्वत पर विचरण करने वाले। गिरिजा (वि०) पर्वत पर उत्पन्न। गिरिजा (स्त्री०) १. पार्वती, गौरी, शिवाङ्गना, पर्वत पुत्री। २.
पहाड़ी कदली। ३. गंगा। ४. मल्लिका लता। गिरीश्वरः सोमसमृद्धभालभृत्वमस्ति सेयं गिरिजापि जायते। (जयो० २४/४४) 'गिरिमाश्रित्य जातेति' (जयो० वृ० २४/४४)
पार्वती रूपास्ति। (जयो० वृ० २४/४४) गिरितनयः (पुं०) कार्तिकेय। गिरिनंदनः (पुं०) कार्तिकेय। गिरिपतिः (पुं०) शिव, शंकर। गिरिपुष्पकं (नपुं०) शिलाजीत, एक शक्तिशाली औषधि। गिरिपृष्ठः (पुं०) पर्वत शिखर। गिरिप्रपात: (पुं०) पर्वतीय ढलान। गिरिप्रस्थः (पुं०) पर्वत प्रान्त की भूमि। गिरिमल्लिका (स्त्री०) कुटज वृक्ष। गिरिमानः (पुं०) विशालकाय हस्ति। गिरिराजः (पुं०) सुमेरु पर्वत, हिमगिरि। गिरिशः (०) [गिरौ कैलासपर्वते शेते-गिरि-शी+ड वा] शिव। गिरिशालः (पुं०) एक पक्षी। गिरि-शृंगः (पुं०) १. उन्नत शिखर, २. गणपति। गिरिषद् (पुं०) शिव। गिरिसानु (नपुं०) पठार। गिरिसारः (पुं०) अयस्क, लोह। गिरिसुता (स्त्री०) पार्वती। गिरिमवा (स्त्री०) पर्वतीय सरिता।
गिरगट : (पुं०) सरट। (जयो० वृ० ५/१३) गिरदेवी स्त्री०) सरस्वती, भारती। गिरा (स्त्री०) वाणी, भाषा, वचन। (जयो० १/४) 'जगौ गिरा
वल्लकिकां जयन्तीं।' (सुद० २/१२) स्वयमुत्तमत्त्वं विषयो दधानः स चाधुना सक्रियते गिर नः।। (वीर० १२/२) मुर्गिरा मोदमही पुनीतो। ( सूट
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