Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 357
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गन्धर्वशफः ३४७ गमिन् गन्धर्वशफः (पुं०) अश्वखुर-'गन्धर्वाणां हयनां शफैः खरैः ३/५१) गच्छतु लभताम्-'बिन्दुमनुस्वारमाप्नोतु' (जयो० (जयो०८/२७) ३/५१) 'काशी प्रति गन्तुमुत्सहते' (जयो० ३/९५) 'स्वैरं गन्धविह्वलः (पुं०) गेहूं। गच्छंती च असतीति निगद्यते' (जयो० १/२०) 'श्रयन्ति गन्धवाती (स्त्री०) गन्ध फैलाती। (जयो० ६/७१) वृद्धाम्बुधिमेव गत्वा' (सुद० १/२८) 'तदेव गत्वा गन्धशेखरः (पुं०) कस्तूरी। सुहृदाश्रयत्वम्' (सुद० ३/३७) 'जगाम धाम किञ्चासौ' गन्धसारः (पुं०) चन्दन। (सुद० वृ० ११२) गन्धसोमः (पुं०) धवल कुमुदिनी। गम (वि०) [गम्+अप्] १. जाने वाला, गमनशील, प्राप्त होने गन्धहारिका (स्त्री०) गन्धकारिका। गन्ध लेकर चलने वाली। वाला, पहुंचाने वाला, प्रमाण कर्ता। २. मार्ग, पथगन्धहेतु (स्त्री०) गन्ध का कारण। (मुनि० २६) (जयो० १३/२४) निजगाम गमं समुत्तरन्' (जयो० १३/१६) गन्धापकर्षणं (नपुं०) आठ सुगन्धित पदार्थ का मिश्रण। गमक (वि०) [गम्+ण्वुल्] अनुक्रमण कर्ता, प्रमाण करने गन्धाधिक (वि०) गन्ध की अधिकता। (जयो० ५/७१) वाला। गन्धोत्तमः (स्त्री०) शराब, मद्य, मदिरा। गमनं (नपुं०) [गम्+ल्युट्] गति, अभियान, प्रमाण, चरण, गन्धोदश (नपुं०) सुगन्धित जल। (जयो० ३/८८) विचरण, जाना, चलना, शनैः रिंगण। २/११५) गन्धोदकवृत्ति (स्त्री०) गन्धोदकबिन्दु (जयो० २६/५८) 'समुद् गमनं तेन सहितं रिङ्गणं शनैर्गमनं तेन सुगमा' गन्धोदसंसिक्त (वि०) सुगन्धित जल से सिंचित, गन्धोदकेन (जयो० १३/२४) यात्रा गमनमवशयमेवास्तु (जयो० वृ० सुगन्धिजलेन संसिक्ता उक्षिताः' (जयो० ८८) ३/९१) गन्धोपजीविन् (वि०) सुगन्धित पदार्थों को बेचकर आजीविका गमनक्रिया (स्त्री०) सूर्याभिमुख होने की क्रिया। निर्ग्रन्थ चलाने वाले। अवस्था में स्थानक्रिया, ०आसनक्रिया, शयनक्रिया और गभस्तिः (पुंस्त्री०) [गम्यते ज्ञायते-गम्+ड+ग:विषयः तं गमनक्रिया का विशेष महत्त्व है। 'सूर्याभिमुखगमनादिका विभस्ति, भस्+क्तिच्] १. प्रभा, कान्ति, चन्द्रकिरण। २. गमनक्रिया' (भ०आ०टी०८६) दिनकर, सूर्य। (वीरो० २१/३) गमनभावः (पुं०) प्रयाण भाव। गभस्तिकरः (पुं०) सूर्य, दिनकर। गमनशील (वि०) प्रयागी, प्रवासी। 'यः प्रवासी नित्यमेव गभस्तिपाणिः (पु०) सूर्य, दिनकर। गमनशीलः स सूर्यो झगिति हि' (जयो० १४/९५) चरिष्णु, गभस्तिमाली (पुं०) सूर्य, प्रभाकर, भानु। (दयो० १८) संचरणशील-(जयो० ११/४) गभस्तिहस्तिः (पुं०) सूर्य, दिनकर। गमनसाधनं (नपुं०) यान, विमान, सुसज्जित वाहन। 'विमानमेव गभीर (वि०) [गच्छति जलमत्र, गम्+ईरन्] घना, सटा हुआ। सुयानं गमनसाधनम्' (जयो०५/५८) गहरी (जयो० वृ० ३/४८) गहन, दुर्गाह्य, अंगाध, गुप्त, गमनेच्छु (वि०) गमन की इच्छा करने वाला, चरिष्णु, प्रयाणेच्छु, रहस्यपूर्ण। निकलने की इच्छा वाला। 'किमु भो भवता त्वरावता गभीरचरितं (नपुं०) गूढचरित। (जयो० ९/९१) (जयो० १२/४९) द्रुतमग्रे गमनेच्छुना हताः।' (जयो० १३/७०) गभीरता (वि०) गहनता, रहस्यपूर्ण। गमिक (वि०) अक्षर समानता। * गतिमान्। गभीरताविधिः (स्त्री०) रहस्यपूर्ण विधि। प्रभुरेष गभीरताविधिः गमित (वि०) अभियान कर्ता, प्रयाण करने वाला, उतारने स तन्वा परिवारितोऽबनिधेः। वाले, प्रामित (जयो० १/१३) 'सुदर्शनत्वं गमितासि सन्तुष' गभीरहत (वि०) गम्भीर चित्त। (जयो० ६/२१) (सुद० ३/४१) गभीरार्थवती (वि०) गुर्वी। (वीरो० ७/२२) गमितप्रजावान् (वि०) समस्त प्राणियों को पार उतारने वाले। गभीरात्मन् (पुं०) परमात्मा प्रभु, ईश्वर। 'वीरप्रभुः स्वीयसुबुद्धि नावा भवाब्धितीरं गमितप्रजावान्। गभीरिका (स्त्री०) [गभीर+कन्+टाप्] गंभीरता, दुर्गमता युक्त। | गमिताङ्ग (वि०) गमन रूपमित (जयो० १२/६२) (सुद० गम् (सक०) जाना, पहुंचना, प्रस्थान करना, प्राप्त १/१) करना-'मुखमेव सखीकृत्य बिन्दुमिन्यत्र गच्छतु' (जयो० | गमिन् (वि०) प्रायाणकर्ता, यात्री। For Private and Personal Use Only

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