Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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कुमुद-बन्धु
३००
कुरंडः
कुमुद-बन्धु (नपुं०) कुमुद का मित्र चन्द्र। 'कुमुदानां बन्धुः
कैरवविकासकारकश्चन्द्रः' (जयो० वृ० ३/५) कुमुदवती (स्त्री०) [कुमुद मतुप् ङीप्] कैरविणी, कुमुदिनी
लता। कुमुदिनी (स्त्री०) कैरविणी, कमलिनी। कुमुदती (वि०) १. कुत्सित हर्ष युक्त। (जयो० वृ० १५/३९)
२. कुमुदिनी सहित। कुमुद्वती (स्त्री०) कुमुदिनि, कमोदनी। (दयो० ५२ (सुद०
८६) कुमुदलता (जयो० वृ० १५/७२) कुमुदशिवः (पुं०) कमलिनियों का सौभाग्य। 'कुमुदानां शिवं ____ विकास सौभाग्य' (जयो० ६/१२) कुमुदोदयः (पुं०) श्वेतकमल विकास। (वीरो० २१/२७) कुमोदकः (पुं०) [कु+मुद्+णिच्] विष्णु। कुंकुम (नपुं०) रोली, अवीर। निशा सुधा कुंकमतां प्रयातः
(समु०८/५) कुम्भः (पुं०) [कुं भूमिं कुत्सितं वा उम्भति पूरयति-उम्भ+अच्]
१. घट, घड़ा, जलपात्र, कलश (जयो० ३/७२) २.
कुम्भराशि, ३. कुम्भस्थल, हस्तिमस्तक। कुम्भकः (पुं०) [कुम्भ कन्] स्तम्भ का आधार, कलशसम,
२. वक्षस्थल। (सुद० १००) कुम्भक (वि०) कलश वाले। कुम्भक कल्पः (पुं०) १. कुम्भकविद्या, २. कुम्भविधि दार्शनिक
पद्धति। कुम्भ के सदृश पृथुला 'सत्कुचो भवति कुम्भकल्पः (जयो० ५/४२) कुम्भ एष कुम्भकस्तत्कल्प: कलश इव
पृथुलाकारः' (जयो० वृ० ५/४२) कुम्भकमञ्चवर (वि०) कुम्भ का अनुकरण करने वाले।
(सुद० १००) सुद,ढं हदि कुम्भकमञ्चवरं किन्न यतस्त्वं
प्रभवे शुचिराट्। (सुद० १००) कुम्भकार: (पुं०) कुम्भं करोति-कुम्हार। (जयो० वृ० ११/३७)
(जयो० वृ० ७/८) कुम्भ-कारिणी (वि०) कुम्भ बनाने वाली, घर निर्मात्री। कुम्भकृत (पुं०) कुम्भकार, कुम्हार। (वीरो० १९/४४) तान्नयेच्च
परितोषयन् धृति कुम्भकृत्युपरते क्व वाः स्थितिः। (जयो०
२/९८) कुम्भनी (स्त्री०) पृथिवी, भू, भूमि। 'सुचिरं शुचिरद्य कुम्भनी'
(जयो० २६/५४) कुम्भ-बद्ध (वि०) भुंगड़ों का घट, चने से युक्त घट। (समु० ।
५/८) मुच्यमान इह सञ्चणकानां कुम्भबद्ध- कपिवच्च
निदानात्। (समु० ५/८) कुम्भयुगः (पुं०) कुम्भराशि का योग। (जयो० १/३३) कुम्भयुग्मः (पुं०) कुम्भराशि का युगल। (जयो० १/३३) कुम्भयोनिः (स्त्री०) कुम्भ में जन्म। कुम्भवासी (स्त्री० कुटनी, दूती। कुम्भलग्नं (नपुं०) कुम्भ राशि का योग। कुम्भस्थलं (नपुंc) हस्ति मस्तक गिर श्री। (जयो० वृ०
६/२२) कुम्भा (स्त्री०) [कुत्सितं उम्भति पूरयति इति उम्म्+अच्-टाप् ।
वेश्या, वारांगना। कुम्भिका (स्त्री०) [कुम्भा कन्+टाप्] १. वेश्या, २. लघु
पात्र। कुम्भिन् (पुं०) [कुम्भ इनि] हस्ति, करि, हाथी। कुम्भिलः (पुं०) [कुम्भ। इलच] सेंध लगाकर चोरी करने
वाला, २. साला, ३. काव्य चोर। कुम्भी (स्त्री०) [कुम्भा ङीष्] लुटिया, छोटा पात्र। कुम्भीषाकः (पुं०) कुम्भ में पकाया जाने वाला, घड में
पकाया जाने वाला। कुम्भीकः (पुं०) पुन्नाग वृक्ष। कुम्भीरः (पुं०) [कुम्भिन ईर+अण] घड़ियाल, मगर। कुम्भीरकः (पुं०) चोर। कुम्भोपम-कुचवति (स्त्री०) घटकल्प-सुस्तनि (जयो० वृ०
१२/१२४) उन्नत स्तन वाली स्त्री। कुयुक्तिः (स्त्री०) खोटी उक्ति। (सम्य० ९२) मिथ्या
कथन। कुर् (अक०) शब्द करना, ध्वनि करना। कुरंकरः (पुं०) [कुरं इति अव्यक्त शब्दं करोति-कुरं+कृ+कृ] ।
सारस पक्षी। कुरङ्ग (पुं०) [कु+अङ्गच्] मृग, हिरण। कुरङ्गनेत्रं (नपुं०) मृगाक्षी, कङ्गस्य नेत्रे इव नेत्रे यस्याः '
(जयो० १७/१०) कुरङ्गमः (पुं०) कुरङ्ग, मृग, हिरण! कुरङ्गरङ्कः (पुं०) मृगाङ्क। (वीरो० २/१३) चित्तेऽध्वनीनस्य
विलेप्य शङ्कामुत्पादयन्तीह कुरङ्गारकाः। (वीरो०२/१३) कुरटः (पुं०) मोची। कुरंटः (पुं०) [कुर् अंटक+किन] सदाबहार, कटसरैया। कुरंडः (पुं०) [कुर+अण्डक] अण्डकोष का रोग।
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