Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 309
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुपित २९९ कुमुदः कुपित (वि०) क्रोधित। (समु० २/३१) कुपिनिन् (पुं०) [ कुपिनी मत्स्यधानी अस्ति अस्य] मछुवा। कुपिनी (स्त्री०) क्रोधित। (समु० २/३१) कुपिनी (स्त्री०) जाल, मछली पकड़ने का जाल। कुपूय (वि०) [कृ+पूय्। अच्] निम्न, पतित, गिरा हुआ, ___ अधम, निन्दनीय, घृणित। कुप्यं (नपुं०) अपधातु, लोह ताम्रादि धातु। (भक्ति०४०) कुष्पं (नपुं०) अपधातु-मिट्टी के बर्तन। कुप्यं क्षौम-कास कौशय-चन्दनादि-'कुप्यशब्दो घृताद्यर्थस्तदभाण्ड भाजनानि वा। (लाटी संहिता ६/१०७) सुवर्ण, चांदी के अतिरिक्त कांस, लाह. मिट्टी के बर्तन आदि कृप्य कहलाते हैं। उङ्गि, काष्ठमंचक, मचिका, ०मसूर आदि। रथ, गाडी, हल, भी द्रव्य कुप्य हैं। कुपप्रमाणिक्रमः (पुं०) कुप्य सामग्री का अतिक्रमण, ०अपधातु का अतिक्रमण, मिटटी आदि बर्तन की मर्यादा का उल्लंघन। कुबुद्धिः (स्त्री०) बुद्धि, हीनबुद्धि। भक्ति०४० (समु०८/१२)। कुबेरः (पृ०) [कुत्सितं बरं शरीर यस्य स] कोषाधिकारी, धन स्वामी, धनपति। २. वृक्ष, नन्दीवृक्ष। ३. उत्तरदिशा का दिक्पाल। (जयो० वृ० २४/१०६) कुबेरकः (पुं०) नन्दीवृक्षा। कुबेरक (वि०) धनद, धन देने वाला। (जयो० वृ० २४/१०६) कुबेरप्रियः (पुं०) १. धन-धान्य सम्पन्न गृहस्थ। २. कुबेरप्रिय नाम, पुण्डरीक नगरी का एक धनिक। कुबेरस्य प्रियो नाम्ना धनी यतिदत्तिकृद् धाम्नाम्।। (जयो० २३/४४) कुबेरकाष्ठा (स्त्री०) उत्तर दिशा। कुबेरकाष्ठाऽऽश्रयणे प्रयत्न ____ दधाति पौष्प्ये समये धुरत्नम्' (वीरो० ६/१६) कुब्ज (वि०) [कु ईषत् उजमार्जनं यत्र] कुबड़ा, कुटिल, वक। (जयो० २/१४८) कुब्जः (पुं०) १. कूब, पीठ का उभार, पीठ का उठा हुआ भाग। २. कुब्जक वृक्षा (जयो० २४/१०६) कुब्जकः (पुं०) कुब्जकवृक्ष, अर्जुनवृक्षा कुब्जो वा अर्जुनो वृक्षो। (जयो० २४/१०६) कुब्जा (स्त्री०) कुबड़ी स्त्री, एक स्त्री। कुब्जिका (स्त्री०) [कुब्जक टाप्] छोटी लड़की, आठ वर्ष की लड़की। कुभृत् (पुं०) [कु+भृ+ विप्] पर्वत, गिरि, पहाड़। कुमारः (पुं०) [कम्+आरन् उपधाया उत्वम्] छह वर्ष के | बाद का बालक। (जयो० २/१३) कुमार, बालक, पुत्र, युवराज। कुमारः (पुं०) कुमार। बालकः परकरोपलेखक: संलिखत्यथ कुमार एककः। (जयो० २/१९) आत्मजः कोपवानत्र भरतस्य क्षमापतेः। समञ्चसि श्री कुमार दीपतुत्थकथां तथा।। (जयो० ७/३९) कुमारकः (पुं०) [कुमार+कन्] युवा, युवक बच्चा। कुमारकाल: (पू) कुमार समय। कौमार समया(जयो० वृ० १७/५८) कुमारकार्तिकेयः (पुं०) कार्तिकेयानुप्रेक्षा नामक प्राकृत काव्य रचनाकार। कुमारवयः (पुं०) कुमारावस्था, बालकपन। (दयो० ६५) कुमारयति-क्रीड़ा करना, खेलना। कुमारश्रमण: (पुं०) तरुण श्रमण। (वीरो० ८/४१) कुमारिक (वि०) कुमारी, लड़की। कुमार अवस्था को प्राप्त दस बारह वर्ष की पुत्री। कुमारिन् देखो कुमारिक। कुमारिका (स्त्री०) [कुमारी+ठन्+टाप्] तरुणी, कन्या, अविवाहित पुत्री, दस-बारह वर्ष की लड़की। (वीरो० ५/२६) 'कुमारिकाणामिति युक्तमेव विभाति' कुमारी (स्त्री०) तरुणी, कन्या (जयो० वृ० ३/८६) 'विषा नाम कुमारी कुमारवयोऽतिक्रमणेन द्वितीयाश्रम-सन्धारण' (जयो० ६५) कुमाली (स्त्री०) कन्या, तरुणी। 'र-लयोर भेदात्' (जयो० १२/९६) कुमुद (वि०) [कुमुद क्विप्] कुमुदा कृपणादीनामाशयः' अमित्र, दयाहीन। (जयो० वृ० ६/९६) कुमदं (नपुं०) 'कौ मोदते इति कुमुदम्' सफेद कुमुदिनी, रात्रि में चन्द्रोदय होने पर खिलने वाली। कैरव-(जयो० वृ० ६/९६) ४/८३। 'कं निशासु कुमुदैः समवेतम्' (जयो० ४/६३) 'कं जलं प्रमुदितैः विकसितैः कुमुदैः कैरवैः समवेतमस्तु' (जयो० वृ० ४/६३) कौमुदं तु परं तस्मिन् कलावति कलावति। (सुद० ९०) हे कलापति! जैसे कलावान् चन्द्रमा को देखकर कुमुद प्रमोद को प्राप्त होता है, उसी प्रकार सुदर्शन को देखकर प्रमोद युक्त हूं। रक्त कमल को भी कुमुद कहा गया है। कुमुदः (पुं०) १. कुमुद नामक दैत्य। कुमुद नाम-दैत्य स्यावाग्भवनदशासौ शोच्या शोचनीयास्ति (जयो० १८/३०) १. विष्णु, २. कपूर, ३. वानर जाति, ४. नाग विशेष। For Private and Personal Use Only

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