Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 337
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षपक श्रेणी ३२७ क्षमाभृत् तपस्वी 'मोहक्खयं कुणतो उत्तो खवओ जिणिंदेहि' (भाव क्षमता (स्त्री०) सामर्थ्य, ०शक्ति, ०बल, धैर्य, साहस, सं०६६०) चारित्रमोह-क्षपणकरिणः क्षपकाः। (धव० १/१८२) सहनशक्ति। (सम्य० ७०) 'क्षमता दातुमहो बलाय मे' क्षपकश्रेणी (स्त्री०) गुणस्थान की सीढी। मोहनीय कर्म का (जयो० १३/३०) 'कस्यास्ति क्षमता परस्य स पुनस्त्वां क्षय करता हुआ आत्मा जिस श्रेणी पर आरुढ़ होता है। पातयेदापदि।' (मुनि० २०)। 'क्षयमुपगमयन्नुद्गच्छति सा' (त० वा० ९/१८) क्षप्प (स्त्री०) [क्षम् अङ्कटाप्] शान्ति विनत, सहिष्णुता क्षपणं (नपुं०) १. कर्म का पृथक्भाव। नाश, विनाश, क्षय। धैर्य। (जयो०७/३५) (जयो० वृ०५/१११) 'क्षमा सहिष्णुता 'अट्ठह कम्माण मूलुत्तर-भेय-भिण्ण-पयडि-ट्ठिदि- यस्यां सा' (जयो० वृ० ११/८८) 'परिवृतः क्षमयाप्यपरिग्रहः' अणुभाग-पदेसाणं जीवादी जो णिस्सेस-विणासो तं खवणं (समु० ७/२९) 'राज्ञी क्षमा ब्रह्मगुणैकनावे' (सुद० १०३) णामा' (धव० १/२१५) 'मान-माया-मदामर्षक्ष-पणाक्ष- ०क्षमा गुण विशेष, धर्म विशेष, ०दश धर्मों में एक धर्म पणः स्मृतः' (उपासका०८५९) उत्तम क्षमा। दुष्ट लोगों के द्वारा कहे गये गाली गलौच, क्षपणकः (पुं०) [क्षपण+कन्] याति, साधु, श्रमण। (जयो० हंसी मजाक आदि निरादर के वचन तथा ताड़न, मारण, वृ० १/९७) शरीरच्छेदन सरीखी आपत्तियों के जाने पर भी मन में क्षपणकाधिपतिः (पुं०) यतिवर! 'यतिवरेण क्षपणकाधिपतिना' मैलापन न आने देना।' (तत्त्वार्थ सू०वृ०१४२, सू०९/६) (जयो० वृ० १/९७) क्षमा क्रोधनिग्रहः कालुष्यानुत्पत्तिः कालुष्याभाव, सहनभाव। क्षपणत्वधारी (वि०) दिगम्बरत्नधारी, श्रमणत्वधारण करने 'क्रोधोत्पत्ति-निमित्ताविषह्याक्रोशादि-संभवे कालुष्योपरमः वाला। 'समस्त-सत्त्वैकहितप्रकारि मनस्तयाऽन्ते क्षपणत्व- क्षमा' (त० वा० ९/६) २. पृथ्वी-'समु द्रेण तान्ता व्याप्ता धारी।' उपत्य वै तीर्थकरत्वनामाच्युतेन्द्र तामप्यगमं सुदामा।। कमधिकृत्य क्षमा पृथ्वी (जयो० वृ० ११/८८) ३. गुण (वीरो० ११/३६) विशेष-क्षमासन्तोषादयस्ते कीदृशा अचला निश्चला अपि' क्षपणी (स्त्री०) [क्षप्+ ल्युट्+ ङीप्] १. चम्पू, २. जाल। (जयो० वृ० १/९४) पञ्चम्या नभसः प्रकृत्य-भवतादूर्जस्विनी क्षपच्यु (स्त्री०) अपराध। या ह्यमा. तावद्घस्त्रशतावधौ निवसतादेकत्र लब्ध्वा क्षमा' क्षपंत (वर्त०कृ०) क्षय करने वाले। प्रत्यग्रहीत्सापि समात्मनीतं (मुनि० ७) __ चैनः। क्षपन्तं सुतरामदीनम्। (सुद० ११९) क्षमाक्षक (वि०) क्षमाधारक। 'क्षमायाः सहिष्णुताया अक्षः क्षपा (स्त्री०) [क्षप्+अच्+टाप्] रात्रि, रात, रजनी। 'यन्मीलितं शकट एव क आत्मा यस्य सः।' (जयो० वृ० १/१०८) सपदि कैरविणी भिराभिः क्षीणा क्षपास्तमितमय्यत तारकाभिः। क्षमाकर (वि०) क्षमा करने वाला। (जयो० १८/२१) क्षमागुणं (नपुं०) क्षमा की विशेषता। क्षपाकरः (पु.) चन्द्रमा, चंद्र, शशि। 'उदिते समु द्धतपदैः क्षमाधर (वि०) क्षमा धारक। 'गुरुमाप्य स वै क्षमाधरं सुदिशो क्षपाकरे प्रयये ततोऽनुपदिभिः स्फुरत्तरे। (जयो० १५/९५) ___मातुरथोदयन्नरम्' (सुद० ३/२०) क्षम् (सक०) १. क्षमा करना, शान्त करना, 'क्षन्तव्यं तदहो क्षमाधर्मन् (नपुं०) क्षमाधर्म, विनय धर्म। पुनीत भवता देयं च सूक्तामृतम्।' (सुद० १२४) क्षमापदं (नपुं०) क्षमामार्ग। 'क्षम्यतामिति विमुत्युपार्जितम्' (सुद० १००) २. आज्ञा | क्षमाप्रार्थना (स्त्री०) क्षमा याचना, क्षमा करना, क्षमा भावना। देना, ३. प्रतीक्षा करना। ४. सक्षम होना, सहन करना। _ 'क्षमाप्रार्थनां करोमि' (जयो० वृ० १७/६०) क्षम (वि०) [क्षम् अच्] १. समर्थ, सक्षम, योग्य, पर्याप्त। | क्षमाप्रार्थिन् (वि०) क्षमा याचक, विनत, नम्रशील। 'तस्यै 'किन्त्वद्यापि न वेत्सि तां विकलतां तान्नासि मोक्तुंक्षमः' विनतोऽस्मि क्षमाप्रार्थी भवामि।' (जयो० वृ० २६/३३) (मुनि० १९) निर्मातुं क्षमः समर्थः स्यात्। (जयो०९/२८) क्षमाभावः (पुं०) क्षमा परिणाम। क्षमणं (नपुं०) प्रायश्चित्त, अन्यकृत् अपराध क्षमा। 'चित्तेऽपराध- क्षमाभूः (स्त्री०) सहिष्णु स्वभाव। 'माभूत्क्षमाभूर्लभतेऽवलग्नं क्षमणादिवेदं' (भक्ति०९) 'क्षमणं स्वस्यान्यभूतापराधक्षमा' सैषा सुकाञ्चीगुणतो ह्यविघ्नम्। (जयो० ११/२४) (जैन०ल०२८२) 'खमणं स्वस्यान्यभूतापराधक्षमा' | क्षमाभृत् (वि०) क्षमाशीला 'क्षमाभृतो मुनेर्वत्क्रात् प्रतिध्वनिरियान (भ० आ०टी०७०) भूत्। (समु० ७/३४) For Private and Personal Use Only

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