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एषणासमितिः
२३७
ऐक्षक
एषणासमितिः (स्त्री०) मुनि आहारचर्या की समिति। उद्गमदोष | ऐकागारिकः (पुं०) [एकागार+ठञ्] १. चोर, २. एक घर का वर्जन विधि। 'अन्नादावुद् गमादि-दोष-वर्जन
गृहस्था मेषणासमितिः।' (त० वा० ९/५) दोष रहित अन्नपान का ऐकाग्रयमात्मन् (वि०) एकाग्र युक्त आत्मा। 'ऐकाग्रयमात्मग्रहण। (त०९/५)
प्रकृतोपयोगे' (समु० ८/३४) एषणिका (स्त्री०) स्वर्णकार की तराजू।
ऐकाग्रयं (नपुं०) एक रूपता, एकाग्रता। एषिणी (वि०) अभिलाषिणी। (जयो० ६/१९६)
ऐकाङ्गः (पुं०) [एकाङ्ग-अण्] सिपाही, एक ही समुदाय का एषा (स्त्री०) इच्छा, वाञ्छा. चाह, कामना।
आरक्षी, सुरक्षाकर्मी। एषित (वि०) प्रशस्त हुआ। (जयो० २८/६९)
ऐकात्म्यं (नपुं०) [एकात्मन्+ष्यञ्] एकता, समानता, एषिन् (वि०) [इष् णिनि ] कामना करते हुए, इच्छा करते हुए।
समरूपता, समत्वभाव। एषर्णा (स्त्री०) रेशम का कीड़ा। (मुनि० २०)
ऐकाधिकरण्य (नपुं०) एक रूपता, समानता, सादृशता, तुल्यता। एह-दिखता-(सुद० १०२)
ऐकाधिकरणं (नपुं०) [एकाधिकरण+ष्यञ्] एक ही विषय एहिक (वि०) इस लाक संबंधी (मुनि० १/)
की व्याप्ति। ऐकार्थ्यं (नपुं०) [एकार्थ+ष्यञ्] एक ही अर्थ/प्रयोजन वाला,
एक ही उद्देश्य वाला।
ऐकाहिक (वि०) [एकाह ठक्] एक दिन सम्बंधी, दैनिक, ऐ: (पुं०) संस्कृत वर्णमाला का बारहवां स्वर, इसका उच्चारण
दिन का। स्थान कण्ठ और तालु है।
ऐकाहिकः (पुं०) हिक्का-हिचकी, एक व्याधि विशेष। 'णमो ऐ (अव्य०) यह विस्मयादि बोधक अव्यय है, इसका प्रयोग
सप्पिसवीणं चैकाहिकारुगक्षणम्' (जयो० १९/८०) स्मरण, आमंत्रण, आह्वान आदि के लिए होता है।
ऐकीभूय (वि०) एकत्रित। (जयो० २६/८१) ऐ (पुं०) १. कल्याण। २. महादेव, शिव।
ऐक्यं (नपुं०) १. एकरूपता, समानता, समभाव। २. भेद ऐका (अव्य०) शीघ्र, त्वरित, जल्दी। ऐकध्यं (नुपं०) [एकधा+ध्यमुञ्] ऐकान्तिकता, समय की
रहित, भिन्नता रहित, पृथक्ता रत्ति, एक दूसरे में एकाग्रता, समय का ध्यान।
समाहितं तादाम्य। अङ्गाङ्गिनोनैक्यमिती हरीतिर्न भो: प्रभो ऐकपत्यं (नपुं० ) [एकपति-ष्यञ्] परम-उत्कर्ष, सर्वोपरिशक्ति
भाति यथाप्रतीतिः सत्या त्वदुक्तिः शतपत्रनीतिगुणेषु नष्टेषु अत्यधिक बल, संप्रभुत्ता।
परेऽपि हीतिः।। (जयो० २६/८१) अङ्ग और अङ्गी-अवयव ऐकपादिक (वि०) [एकपद+ठ] एक पद से सम्बन्धित,
और अवयवी में ऐक्य-अभेद नहीं है, पृथक्ता ही है, वाक्य रचना के एक चरण सम्बन्धी।
ऐसा कहना ठीक नहीं जान पड़ता है, परन्तु आपका ऐकपा (नपुं०) शब्दों की एक रूपता, पद्य का ऐक्य रूप।
ऐक्य/अभेद कथन शतपत्र के समान सत्य है। जैसे कि सौ ऐकमत्यं (नपुं०) [एकमत+ष्यञ्] सहमति, एकरूपता, एक
पत्रों-कलिकाओं का समूह शतपत्र और कमल में भेद विचारधारा।
नहीं है-अभेद है। ऐकान्तिक (वि०) एकान्त विचार वाला। १. पूरा, सम्पूर्ण,
ऐक्यभावना (स्त्री०) एकात्मकता का भाव। (जयो० वृ० ९/४७) समग्र। २. विश्वास
ऐक्ययुग (वि०) ऐक्यभावना युक्त। त्वमपरोऽप्यपरोऽहमियं ऐकान्तिकमिथ्यात्व (वि०) एक ही धर्म का अभिनिवेश/आग्रह। भिदा व्रजतु बुद्धिभृदैक्ययुजा विदा। भवति सम्मिलने बहुसम्पदा
जीवादि वस्तु सर्वथा सत् ही है या असत् ही है, एक ही विरहिता जगतामपि कम्पदा।। (जयो० ९/४७) है या अनेक ही है, प्रतिपक्ष का निरपेक्ष अभिप्राय | ऐक्ययुज् देखो ऊपर। ऐकान्तमिथ्यात्व है। 'अस्थिचेव, णत्थिचेव, एगमेव अणेगमेव, ऐक्यवस्तु (वि०) मेल, मिलाप युक्त। (वीरो० २२/१५) सावयवं चेव निरयव चेव, णिच्चमेव अणिच्चमेव, इच्चाइओ ऐक्षव (वि०) [इक्षु+ ण्यत्] गन्ने से बनी वस्तु। एयंताहिणिवेसो एयंतमिच्छत्तं' (धव० ८/२०)
ऐक्षुक (वि०) [इक्षु+ठञ्] इक्षु वाला, गन्ने वाला, ईख युक्त।
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