Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

Previous | Next

Page 252
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir औदारिकः २४२ औपमिक औदारिकः (पुं०) औदारिकशरीर विशेष, जीव प्रदेश के | औधस्यं (नपुं०) [ऊधस्+ष्यञ्] दुध, क्षीर। परिस्पन्दन का कारणभूत प्रयत्न। 'उदारं प्रधानं, उदारमेवौ- | औनोदर्य (नपुं०) अवमौदर्य, ऊनोदर अल्पाहार। दारिकम्' औन्नत्यं (नपुं०) [उन्नत-प्यञ्] उन्नत, ऊँचा उठा हुआ। औदारिककायः (पुं०) औदारिक शरीर। उदारैः शेषपुद्गलापेक्षया औपकर्णिक (वि०) [उपकर्ण ठ] कर्ण की सन्निकटता वाला। स्थूलैः पुद्गलैनिवृत्तमौदारिकम् तच्च तच्छरीरं'। औपकार्य (नपुं०) [उपकार्य अप्] १. उपकारक कार्य। २. औदारिक-काय-योगः (पुं०) औदारिक शरीर के आश्रय रूप अस्थाई वास, ढेरा, तम्बू। शक्ति। (धव० १/२९) औपक्रमिकी (स्त्री०) [उपक्रम किणि] उपक्रम से होने वाली औदारिकनामः (पुं०) औदारिक शरीर की उत्पत्ति। वेदना। 'उपक्रमणमुपक्रम:, स्वयमे व समीप औदारिकमिश्रः (पुं०) कार्मण शरीर के साथ मिश्रित। भवनमुदीरणाकरणेन वा समीपानयनम्। तेन निर्वृत्ता औदारिक-शरीरः (पुं०) स्थूल रूप शरीर। उदारं स्थूलम्, औपक्रमिणी। (जैन०ल० ३०९) उदारे भवमौदारिकम्, उदारं प्रयोजनमस्येति वा औदारिकम्। | औपग्रस्तिकः (पुं०) [उपग्रस्त ठञ्] ग्रहण लगना, सूर्य या (स० सि० २/३६) उदारात्-स्थूल-वाचिनो भवे प्रयोजने चन्द्र पर आवरण पड़ना। वा ठञ्। (त० वा० २/३६) औपचारिक (वि०) [उपचार+ठञ् ] गौण, लाक्षणिक, प्रमुख औदारिक-संघात: (पुं०) औदारिक शरीर की पुष्टता। से अतिरिक्त। औदार्य [उदार+प्यञ्] १. उदारता, महानता, उच्चता, श्रेष्ठता. औपचारिक विनयः (नपुं०) उपचार रूप विनय, श्रद्धानपूर्वक नदीनभावा ( वीरो० २/३७) २. यथोचित् व्यवहार-कारुण्य- कृत विनय। 'उपचरणं उपचारः,-श्रद्धानपूर्वक : क्रिया मौदार्यमियद् हृदा चानुकूल्य सम्वादविधिश्च वाचा। (समु० विशेषलक्षणो व्यवहारः, स प्रयोजनमस्येत्यौपचारिक:'। ८/२९) औदार्य रूपमारोग्यं दृढत्वं पटुवाक्यता। (दयो०७०) औपजानुक (वि०) [उपजानु+ ठक्] घुटने के समीप होने वाला। औदासीन (वि०) उदासीनता, उन्मनस्कता। औपदेशिक (वि०) [उपदेश+ठक्] उपदेश/व्याख्यान से औदासीन्य (वि०) उन्मनस्कता, उदासीनता। १. उपेक्षा, नि:स्पृहता, जीविकोपार्जन करने वाला। शिक्षण से धन कमाने वाला। एकान्तता. एकाकी, उदासीनता युक्त। (जयो० २४/४२) औपधर्म्य (नपुं०) [उपधर्म प्य । मिथ्यामत, मिथ्यासिद्धान्त। औदासीन-वचः (०) उदासीनता युक्त वचन। 'औदासीन- औपधिक (वि०) | उपाधिः ठन] १. उपाधि को प्राप्त। २. __ वचोऽवचाय' (जयो० २४/१४२) धूर्त, छल-कपटी। औदुंबर (वि०) [उदुम्बर+अञ्] गूलर वृक्ष से निर्मित। औपधेयं (नपुं०) [उपाधि+ ठञ्] रथचक्र। औद्गात्रं (नपुं०) उदगाता पद। औपनायनिक (वि०) [उपनयन ठक्] उपनयन संस्कार सम्बंधी। औद्दालकं (नपुं०) [उद्दाल+अण] कडुवा/तिक्तपदार्थ। यज्ञोपवीत संस्कार से युक्त। औद्देशिक (वि०) [उद्देश ठञ्] उद्देश से किया गया, निमित्त | औपनिधिक (वि०) [उपनिधि ठक्] न्यास रखने वाला, से बनाया गया आहार। २. प्रकट करने वाला, संकेतक, धरोहर से सम्बन्ध रखने वाला। न्यासी।। निर्देशक। देवतार्थं पाखण्डार्थ कृषणार्थं चोद्दिश्य यत्कृतमन्नं औपनिषद् (वि०) [उपनिषद् अण] उपनिषद में कथित/निरूपित तन्निमित्तं निष्पन्नं भोजन तदौद्दशिकम्। (मूला०वृ०६/६) आध्यात्मिक शिक्षा, ज्ञान। 'उद्देशिकं श्रमणानुद्दिश्य कृतं भक्त्यादिकम्' (भ०आ०४२१) औपनीविक (वि०) [उपनीवि ठक्] नाड़े की गांठ रखता औद्धत्यं (नपुं०) [उद्धत+ष्यञ्] उद्दण्ड भाव, हठवादी। मद हुआ, गांठ करने वाला। युक्त अबौद्धत्य युक् चाषि कुतो जघन्यः (जयो० ११/२७) औपपत्तिक (वि०) [उपवत्ति+ठक] १. सन्निकट, समीप। २. उचित। औद्धारिक (वि०) [उद्धार ठञ्] विभक्त करने योग्य, उद्धार औपमिक (वि०) [उपमा+ठक्] उपमा से निर्मित, उपमान करने योग्य। जन्य। 'उपमया निवृत्तमौपमिकम्' उपमामन्तरेण यत्कालऔद्धदं (नपुं०) [उद्भिद्। अण] निर्झर जल, धारितजल। प्रमाणमनतिशयिना गृहीतुं न शक्यते तदौपमिक- मिति।' औवाहिक (वि०) [उद्वाह ठञ्] वैवाहिक सम्बंध रखने वाला। (जैन०ल० ३१०) For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438