Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 297
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कालयुति कालयुति (स्त्री०) काल सम्भालना । कालयोगिन् (पुं०) मृत्युंजयी । कालरजनी (स्त्री०) श्यामल रात। कालरात्रिः (स्त्री० ) अंधेरी रात। कालरोगः (पुं०) विकराल व्याधि, मृत्यु। काललब्धिः (स्त्री०) सम्यक्त्व के ग्रहण करने योग्य समय। कातलब्धि तो छमस्थ ज्ञान से बाहर की चीज है। (सम्य० ७३ ) काललोकः (पुं०) समय आवलि आदि। 'काललोक: समयावलिकादिः । " www.kobatirth.org कालवर्गणा (स्त्री०) लोक प्रमाण विशेष एक समय से लेकर असंख्यात लोक प्रमाण तक। कालवादः (पुं०) काल को महत्व देने वाला विचार । 'सव्वं कालो जणयदि भूदं सव्वं विणासदे कालो। ' (अंगपण्णत्ति०२७७) कालविप्रकर्ष: (पुं०) कालवृद्धि । कालप्रकृष्टः (पुं०) काल का व्यधान, लाभ-अलाभ, सुख-दुःख आदि व्यधान, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण आदि । कालविमोक्षः (पुं०) पर्वादि समय पर जीवघात का निषेध । कालबेला (स्त्री०) दिन का विशेष समय। कालवृद्धिः (स्त्री०) समय का विकास। कालव्यतिरेकः (पुं०) प्रत्येक समय की पृथक पृथक् व्यवस्था। 'अपि चैकस्मिन् समये यकाप्यवस्था भवेन्न साऽप्यन्या । भवति च सापि तदन्या द्वितीय समयेऽपि कालव्यतिरेकः । (पंचाध्यायी १/१४९) कालशत्रु ( पुं०) यमारात। (जयो० वृ० ७/३५) यमराज। कालशुद्ध (वि०) काल के शुद्ध, पात्र के लिए समयोचित शुद्धता। कालशुद्धदानं (नपुं०) दान देने के लिए निश्चित समय। 'कालं शुद्धं तु यत्किंचित्काले पात्राय दीयते' (जैन ल० ३५२) * कालशुद्धिः (स्त्री०) समय की शुद्धता, पर्व आदि पर व्यधान होने पर शुद्धता। काल-संरोष: (पुं०) बहुत समय तक काम न करना । कालसदृश (वि०) उपयुक्त, सामयिक कालसमवाय: (पुं०) काल की समानता । 'कालदो समवाओ - समय समएण मुहुत्तो मुहुत्तेण समो।' (धव० २/ २०१) २८७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिकी कालसमाधिः (स्त्री०) काल की प्रधानता पूर्वक समाधि कालसर्प (पुं०) विषैला सर्प कालसंक्रमः (पुं०) एक काल से अन्य काल को प्राप्त होना । 'कालस्य अपुव्यस्स पादुब्धाओ कालसंकमो (घव० १६ / १४०) कालसंयोगः (पुं०) सुषमादिकाल का सम्बन्ध। 'कालसंयोगपदानि यथा शारदः वसन्तः इत्यादीनि' (धव० १/७८ ) काल-संसार: (पुं०) समय चक्र, दिन, रात, घड़ी, घंटादि एवं गति चक्र परिभ्रमण, विविध पर्याय की प्राप्ति कालसंस्थानं (नपुं०) कालक्षेत्र, काललोक, संचरण रूप आकार । कालसामायिकं (नपुं०) अनुकूल-प्रतिकूल समय में समभाव । सामायिक समय में स्थिति । कालसूत्र (नपुं०) मृत्युकाल । कालस्तव: (पुं०) पंच कल्याणकों का स्तवन । कालस्पर्शनं (नपुं०) काल द्रव्य का अन्य द्रव्यों के साथ संयोग। कालागुरु ( पुं०) चंदन (जयो० ११/४) 'कालागुरोर्लेपन पङ्किलत्वाद्' (जयो० ११/४) कालाणु (पुं०) काल के अणु रत्न राशि की तरह हैं, जो एक-एक लोकाकाशप्रदेश के ऊपर स्थित हैं। कालातिक्रमः (पुं०) काल/समय का उल्लंघन 'अकाले भोजनं कालातिक्रमः' (त० वा० ७/३६) कालात्ययापदिष्ट (वि०) हेतु के विषय प्रत्यक्षादि से बाधित। कालानुगमः (पुं०) काल की प्ररूपणा । जम्हि जेण वा वत्तव्वं परुविज्जदि सो अणुगमो (धव० ९ / १४१ ) कालानुपूर्वी (स्त्री० ) समय रूप स्थिति। कालानुयोग (पुं०) भेद-प्रभेद की प्ररूपणा । कालान्तर - वर्तिनी (स्त्री०) काल के अनन्तर होने वाली उत्पत्ति। कालाप: (पुं० ) [ काल+आप+घञ्] सिर के बाल, २. सर्प फन ३. राक्षस, पिशाच भूत। ४. कपाल। कालोमृत्युः आप्यते यस्मात्। For Private and Personal Use Only कालापक: (पुं० ) [ कालाप+ वुन् ] कलाप शिक्षा । कालावग्रह: (पुं०) अपनी आयु का प्रमाण ! कालिक (बि०) [काल ठक्] काल सम्बन्धी, कालाश्रित कालिका (स्त्री०) कालापन, मसी, स्याही। + कालिकी (स्त्री०) समयोचित समय के अनुकूल, समयोचित

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