Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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काश्
२८९
काश्यं
काश (सक०) प्रकाशित करना, मुद्रित करवाना, जलाना,
प्रज्वलित करना। काशः (पुं०) [काश्+अच्] घांस, (जयो० ९/३२) कांश
विशेष का घांस, जो खेतों में अनावश्यक रूप से उत्पन्न हो जाता है, इसके ऊपरी भाग पर सफेद रुई की तरह
गुच्छेदार पुष्प होते हैं, यह चटाई बनाने के काम आता है। काशम् (नपुं०) काश पुष्प। (जयो० ९/३२) काशयशः श्रियि (वि०) काश के पुष्प की तरह यश एवं
लक्ष्मी वाले। अयि महाशय काशयशः श्रिया परिकृतोऽरिकृतोऽसि मयाऽधिया। (जयो० ९/३२) 'कस्यात्मन आशाऽ
भिलाषा यत्र तस्य यशसः श्रिया' (जयो० वृ० ९/३२) काशि (स्त्री०) [काश्+इक्] एक देश का नाम। काशि (स्त्री०) [काश्+इन्, काश्+अच्+ङीप्] काशी नगरी,
जिसे वाराणसी, बनारस भी कहते हैं, यह गंगा किनारे स्थित गोमुखी आकृति की रमणीय नगरी है। (जयो०
५/३५) काशिका (स्त्री०) काशिका नामक वृत्ति, टीका, टिप्पणी।
(जयो० ९१) आचार्य पूज्यपाद की वृत्ति पाणिनीय व्याकरण पर वृत्ति काशिकानामाष्टाध्याय्या उपरि कृतां वृत्तिं सर्वतोऽपि समन्तादपि धिषणाभिर्बुद्धीभिः ययु' (जयो० वृ० ४/१६) २. नगरी-अमी सर्वे अर्ककीर्त्यादय काशिकां नगरी। (जयो०
वृ०४/१६) काशिकाधिकरणः (पुं०) १. राजा अकम्पन। २. अतिवृद्ध।
(जयो० वृ० ७/६३) काशिका नगरी अधिकरणं यस्य स काशिकाधिकरणोऽकम्पन: स महान् पूज्य एव, इतोऽस्मत्पावें। अथवा कस्य यमस्य याशिकाऽभिलाषा साऽधिकरणं
यस्य सः, अतिवृद्ध इयवज्ञा ध्वन्यते' (जयो० वृ० ७/६३) काशिकानरपतिः (पुं०) काशिराज, राजा अकम्पन राजा।
(जयो० ४/१) काशिकानृपतिः (पुं०) काशिराज, राजा अकम्पन। (जयो०
५/५५) काशिकानृपति-चित्त-कलापी सम्मदेन सहसा समवापि। (जयो० ५/५५) काशिकाया नृपतेः श्री ।
अकम्पनमहाराजस्य' (जयो० वृ० ५/५५) काशिकापतिः (पुं०) काशिराज (जयो० ४/२१) काशिन् (वि०) प्रभा, क्रान्ति। काशिनरपतिः (पुं०) काशिराज अकम्पन। काशिनरेश (पुं०) काशिराज। (जयो० ४/२८. ५/६) काशिनृपतिः (पुं०) राजा, काशीराज।
काशिपतिः (पुं०) काशिराज। (जयो० ४/१७) काशिप्रभुः (पुं०) काशिराज। (जयो० ७/२२) काशिभूपतिः (पुं०) काशिराज, राजा अकम्पन। (जयो०
५/३५, ५/५६) काशिभूमिपतिः देखो ऊपर। काशिराज (पुं०) काशिपति, काशी का राजा। (जयो० वृ० ___७/२२) काशी (स्त्री०) [काश्+इन+ङीप्] काशी नगरी, प्राचीन नगर।
'विस्तृता व्यापन्नवर्त्मवती काशी' (जयो० वृ० ३/८४) २. शिवपूः, काशी मुक्तिश्च। (जयो० वृ० ३/११४) काशिमाशु सकलाः समवापू राजतेऽतिविमला खलु या पूः।' (जयो० ५/५) यस्या सा काशी: स्वर्गपुर्येव वर्तते।' (जयो० ७०
३/३०) श्रीधरोऽधीश्वरो यस्याः सा काशी रूचिरा पुरी। काशी (वि०) आत्माभिलाषिणी। 'क' अर्थात् आत्मा की
आशा वाली आत्म स्वरूप प्राप्त करने वाली
आत्माभिलाषिणी। (वीरो० १४/ काशीदेशः (पुं०) काशीक्षेत्र। (जयो० ९/३०) काशीनरेशः (पुं०) काशी राजा, श्रीधर राजा का बड़ा भाई।
(जयो० वृ० ३/९०) काशीनगरी (स्त्री०) काशीपुरी। (जयो०८/६७) काशीपतिः (पुं०) काशिराज, अकम्पन, शान्तिवर्मा राजा।
(जयो० ३/७१) काशीराज (पुं०) काशिराज अकम्पन राजा। काशीविशा (पुं०) काशपति। काशीशसुतः (पुं०) काशिराज का पुत्र। काशीशसुता हेमाङ्ग
वाद्या इतो जयकुमारपार्श्वतो (जयो० वृ०८/५३) काशीश्वर-तनु (पुं०) काशिराज का पुत्र। काश्चन (अव्य०) किसी, कोई। स कमप्यद आह काश्चनाएँ।
(जयो० २/१११) काश्भरी (स्त्री०) एक लता, छोटा पादक विशेष, जो गंध
युक्त होता है। काश्मीर (वि०) काश्मीर देश का उत्पन्न। (जयो० ६/७३) काश्मीरं (नपुं०) केशर।। काश्मीरज (वि०) काश्मीर में उत्पन्न। (जयो० ६/७६) काश्मीरजन्मन् (नपुं०) केशर, जाफरान। काश्मीरपतिः (पुं०) कश्मीर देश का राजा। अयमस्ति रतिप्रतिमे
काश्मीर पति: रतीशमतिः। (जयो० ६/७३) काश्यं (नपुं०) मदिरा, मद्य, शराब। कुत्सितं अश्यं यस्मात्।
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