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कदम्बः
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कदम्ब: (पुं०) १. कदम्ब वृक्ष, २ हलदी, ३. घास विशेष । जिसके पुष्प मेघगर्जना से पुष्पित होते हैं। कदम्बराज (पुं०) कदम्ब नाम राज्य । (वीरो० १५/४२) कदम्बकं (नपुं०) समु दाय, समूह, ओघ । २. कदम्ब फूल । कदय (वि०) कुत्सित, दया रहित। (जयो० ६ / १५ ) कदर : (पुं० ) [ कं जलं दारयति नाशयति-क+ह+अच्] आरा, लकड़ी चीरने की मशीन । १. अंकुश। कदर्थिभावः (पुं०) खोटा भाव। (वीरो० १८/३४) कदर्थित (वि०) दुश्चिन्तित बुरा चिन्तन (समु० ७/२५) 'स्विदहमस्म्यनयेन कदर्थित:' (जयो० ९/३२)
कदर्य (वि०) दया रहित धनोपार्जन, कष्टजनित धन संचय यो
भृत्यात्म पीडाभ्यामर्थं संचिनोति स कदर्य (जैन०ल०३१४) कदल: (पुं०) [कद्+कलच्, कन् च] कदली वृक्ष, केले का पादप । कदलकः (पुं०) कदली तरु, केले का वृक्ष । कदली (स्त्री०) १. केला, कदल पादप २. रम्भा जन्मदात्री
रम्भा कदल्यपि जिता ।' (जयो० ५/८१) ३. 'मोचा नाम कदली' (जयो० वृ० ११ / २०) कदली का एक नाम 'मोचा' भी है। ३. मृग, ४. हस्ति पर शोभित ध्वजा । कदलीघात (पुं०) सहसा आयु का घात, विस-वेषण- रक्तक्खयभय-सत्यग्गहण सॉकलेसेहिं । आहारस्सोस्सासाणं णिरोहदो छिज्जदे आऊ ।। ( धव० १/२३)
कदा (अव्य० ) [ किम्+दा] कब, किस समय कस्मिन् काले जयो० ११/८५) नाहं भवेयं कदा (सुद० ९६ ) 'कदा समय स समायादिह' (सुद० ७१) कदाचनान्यं (वीरो० १७/८) किसी समय ।
कदाचरण (वि०) कुत्सित आचरण (जयो० २/९) कदाचारक (वि०) कुत्सिताचरण, भ्रष्टाचारी, पतित आचरण
वाला । 'नरं तञ्च रङ्क कदाचारकम्' (जयो० २ / १३१) कदाचित् (अव्य०) कभी-कभी, एक बार, अब। (हित सं०१३, सम०६/८, जयो० १/७७)
कदाञ्छी (स्त्री०) पल्लव देश के नरेश की पुत्री, राजा मरूवर्मा की रानी। (वीरो० १५ / ३५) कदाचिदपि (अव्य०) कभी भी। (जयो० ४/६०)
,
कदाचिद्यदि (अव्य०) फिर भी कभी तो (वीरो० ३/१०) कदात्मन् (वि०) कृतघ्न आत्मा वाला, कुत्सित आत्मा सहित (जयो० २/१०२)
कदादरि (वि०) निरादरकारी, निरादर करने वाला। (जयो० ९/१०) नहि कदापि कदादरि मे मनः'
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कनिष्ट
कदानृणत्व (वि०) सभी ऋण रहित। (जयो० २०/७०) कदापि (अव्य०) कभी भी किसी भी समय क्वापि (जयो० वृ० २३/३२) चित्ते न कदाप्युपवास' (जयो० १/२२) अथान्यदा (जयो० २३/७१) जीवो मूति न हि कदाप्युपयाति तत्त्वात् (सुद० १२९)
कदाश्रवः (पुं०) अशुभ समागम ।
कटु (वि०) [ कद्+रु] भूरे रंग का कथिक (वि०) कथन ( वीरो० २२/९)
कनकः (पुं०) मंगलावती देश के कनकपुर का राजा (वीरो० ११/२६)
कनकं (नपुं०) १. धत्तूर, धतूरा, ढाक का वृक्ष (जयो० वृ० २५/१४) २. स्वर्ण, सोना, ३. वज्रायुध 'कन्यका-कनककम्बलान्विति' (जयो० २/१००) काच कनकमणि-मुक्ता (जयो० ३/७९)
कनक कम्बलं (नपुं०) स्वर्णमयी कम्बल (जयो० २/१०० ) कनक कुम्भ: (पुं०) स्वर्णघट। 'कनकस्य स्वर्णस्य कुम्भयोः कलशयोर्युगमेव राजते' (जयो० ० ५/४५) कनकगिरि: (पुं०) स्वर्णगिरि, सुमेरु । कनकटङ्कः (पुं०) स्वर्णमयी कुठार | कनकदण्डं (नपुं०) स्वर्णदण्ड, छत्र, राजच्छत्र कनकपत्र (नपुं०) स्वर्ण निर्मित कर्णाभूषण | कनकपरागः (पुं०) स्वर्णमयी रज, पीली धूल कनकपुर: (पुं०) मंगलावती देश का एक नगर । (वीरो० ११/२१ )
कनकमाला ( स्त्री०) नाम विशेष, एक मंगलावती के राजा कनक की रानी (वीरो० ११ / २२६) राज पुत्री का नाम । कनकमेरुः (पुं०) सुमेरु पर्वत ।
कनकरस: (पुं०) हरताल, एक धातु विशेष. स्वर्ण भस्म । कनकस्थली (स्त्री०) स्वर्णमयी भूमि, स्वर्णाकार, सोने की
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खदान ।
कनकाद्रीन्द्रः (पुं०) सुमेरु पर्वत (जयो० १२/७४) कनखलं ( नपुं०) तीर्थस्थान विशेष ।
कनङ्गरा (स्त्री०) नौका को स्थिर करने वाली सांकल, लंगर, बेड़ा, नाव- पत्थर |
कनयति कम करना, घटाना, न्यून करना । कनाशक (वि०) पाप घातक (सुद० १३६ )
कनिष्ट (वि०) (इष्टं इच्छा विषयीकृतं कं] अभीष्ट (जयो० वृ० ३/२३) यशोविशिष्ट ।