________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ऐक्षभारिक
२३८
ऐश्वर्यमदं
ऐक्षभारिक (वि.) [इक्षुभार+ठक्] ईख का भारवाहक, गन्ने ऐंधन (वि०) ईंधन युक्त। का ढोने वाला।
ऐंधनं (पुं०) रवि, सूर्य, दिनकर, तेज। ऐक्ष्वाक (वि०) [इक्ष्वाकु+अ] इक्ष्वाकु कुल से सम्बन्धित। ऐयत्यं (नपुं०) [इयत्+ प्यञ्] परिमाण, संख्या। ऐक्ष्वाकु: (पुं०) इक्ष्वाकु संतति, इक्ष्वाकुपुत्र।
ऐरावण: (पुं०) १. इन्द्र हस्ति, सद्गगज एरावत। (वीरो० ऐक्ष्वाकुशासित (वि०) इक्ष्वाकु कुल द्वारा शासित।
७/१०) 'गीयते मद इतीन्द्रसद्गजमस्तके (जयो० ९७/१०१) ऐगुद (वि०) इंगुदी तरु से प्राप्त
सद्गज-ऐरावण (जयो० वृ०७/१०१) २. स्तवक गुच्छनगर ऐगुदं (नपुं०) इंगुदी पादप का फल।
के राजा का नाम। बहुदान विधान-कारकक-स्फुटमैऐच्छिक (वि०) १. इच्छा जन्य, कामना युक्त। २. अपनी रावणनामधारकः। (समु० २।१६)
रुचि के अनुसार, मनोनुकूल, मन के योग्य, इच्छापरक। ऐरावणभूपतिः (पुं०) ऐरावण राजा, स्तवक गुच्छ नगर का ऐडक (वि०) भेड़ युक्त।
राजा (समु०२/२१) ऐडकः (पुं०) मेष, भेड़।
ऐरावतः (पुं०) १. ऐरावत क्षेत्र, अयोध्या नगरी के राजा ऐडल: (पुं०) कुबेर।।
ऐरावत के नाम से इस क्षेत्र का नाम ऐरावत पड़ा। ऐण (वि०) मृग के उत्पन्न त्वचा, ऊन।
(रा०वा०३/१०) २. हत्थि, इन्द्रहस्ति, गजराज। (वीरो० ऐणेय (वि०) हिरणी से उत्पन्न पदार्थ।
वृ० ४/४१) सुरहस्ति -(जया० वृ० १/२५) (इरा आप: ऐता (सक०) उत्पन्न करना। (सुद० १२३)
तद्वान इरावान् समुद्रः, तस्मादुत्पन्न अण) ऐगवत हाथी। ऐत-तादात्म्य (नफु) [एतदात्मन्ष्य ञ्] विशेष गुण, समीचीन अवस्था। विस्तृत वर्णन के लिए देखें-जैनेन्द्र सिद्धान्त माक्ष भाग ऐतिहासिक (वि०) [इतिहास+ठक्] इतिवृत्त सम्बंधी, इतिहास एक (पृ० ४६८) ३. ऐरावतो नारङ्गनाम वृक्ष (जयो० वृ० सम्बंधी परम्परा गत।
२४/१०६) नारङ्गी के वृक्षा प्रसिद्ध ऐरावत एप किं वा ऐतिहासिकः (पुं०) इतिहासकार, पौराणिक आख्यानकार। कुबेरको नन्दनवत्ततो यत्। (जयो० २४/१०८) ऐतिह्यं (नपु०) परम्परागत शिक्षा, ऐतिहासिक शिक्षा। ऐरावत-गजः (पुं०) ऐरावत हाथी। ऐतीश्वरीत्वरी (वि०) दुराचारिणी। (सुद० १०३)
ऐरावत-क्षेत्रं (नपुं०) ऐरावत क्षेत्र। ऐधितुम्-शिथिलता युक्त. शिथिलाचार। मन्दत्वमेवमभवत्तु ऐरावत-नगरं (नपुं०) ऐरावत नामक नगर. अयोध्या का यतीश्वरेषु तद्वच्छनैश्च गृहमेधिनुमाधरेषु।
अपर नाम। ऐनसं (नपुं०) पाप, अपराध। (सु०११९) (वीरो० २२/१०) | ऐरावत हस्तिः (पुं०) ऐरावत हाथी। (जयो० ११/४४) ऐन्द्रि (वि०) इन्द्र सम्बन्धी।
ऐलः (पुं०) मंगलग्रह। ऐन्द्रिजालं (नपुं०) जादू, इन्द्रजाल, मायावी दृष्टि।
ऐलकः (पुं०) ग्यारहवें प्रतिमा युक्त उत्कृष्ट श्रावक। ऐन्द्रजालिक (वि०) [इन्द्र+जाल ठक्] जादू से सम्बन्धित, (वसु० श्रा०३०१) मायाचार युक्त, भ्रामकता जनक।
ऐलेयः (पुं०) [इला+ढक्] १. सुगन्धित द्रव्य। २. मंगलग्रह। ऐन्द्रजालिकः (पुं०) जादूगर, बाजीगर।
ऐश (वि०) [ईश+अण] १. ईश्वर से सम्बंधि। २. परम प्रिय, ऐन्द्रध्वजः (पुं०) इन्द्र सम्बन्धी पूजा।
सर्वोपरि। ऐन्द्रलुप्तिक (वि०) [इन्द्रलुप्त+ठक्] १. इन्द्रिय शून्यता युक्त। ऐशान (वि०) ईश्वर से सम्बन्ध रखने वाला। २. गंजापन।
ऐशानः (पुं०) देवों में एक देव ऐशान/ईशान देव। ऐन्द्रशिरः (पुं०) [इन्द्रशिर+अण] हस्ति जाती, हाथियों की ऐश्वर (वि०) ईश्वरी, पूजनीय, सामर्थ्यवान, वैभव सम्पन्न। ति।
ऐश्वर्यं (नपुं०) [ईश्वर+ष्यञ्] १. सर्वोपरि, सर्वोत्तम, शक्तिशाली, ऐन्द्रिः (पुं०) [इन्द्रस्यापत्यम्-इन्द्र इञ्] १. अर्जुन, जयन्त, वैभव युक्त। २. शक्ति, बल, आधिपत्य। ३. दिव्यशक्ति बने। २. काक, कौआ।
विशेष। 'ऐश्वर्यस्य समग्रस्य धर्मस्य यशसः श्रियः' (जयो० ऐन्द्रिय (वि.) [इन्द्रिय+अण] इन्द्रिय सम्बंधी, इन्द्रिय गोचरता वृ० ६/८८) इन्द्रिय विषय युक्त।
ऐश्वर्यमदं (नपुं०) धन-सम्पत्ति का मद।
For Private and Personal Use Only