________________ आगम निबंधमाला सद्गति व सुलभ बोधि का भागीदार बन सकता है / यह परमार्थ, शुद्धाचारी एवं शिथिलाचारी सभी को ध्यान में रखना चाहिए / निबंध-१८ विविध गच्छों की समाचारियों का संकलन नोट :- संक्षिप्ताक्षर पहचान-श्वे-श्वेताम्बर, मू=मूर्तिपूजक, स्था= स्थानकवासी, प्रा.सं-प्रायः सभी, ज्ञा-ज्ञानगच्छ, सप्र-सप्रदाय, हु.स-हुक्मी संप्रदाय, गु-गुजरात, गु.ना-नानी पक्ष, तेरा-तेरापंथी।] 1. अचित्त कंद-मूल, मक्खन, कल का बना भोजन एवं बिस्कुट आदि नहीं लेना क्यों कि ये अभक्ष्य है। (श्वे.मू.) / 2. कच्चा दही और द्विदल के पदार्थों का संयोग नहीं करना और ऐसे खाद्य पदार्थ नहीं खाना, क्यों कि ये अभक्ष्य है / (श्वे.मू.) / 3. सूर्यास्त के बाद मस्तक ढंकना अथवा दिन में भी कभी प्रथम और चतुर्थ प्रहर में कम्बल ओढ़कर बाहर जाना / (स्था.+मू.) / 4. लिखने के लिए फाउन्टेन पेन, पेन्सिल और बिछाने के लिए चटाई, पुढे अखबार बारदान आदि नहीं लेना / (अनेक) / 5. नवकारसी(सूर्योदय बाद 48 मिनट) के पहले आहार-पानी नहीं लेना या नहीं खाना पीना / (श्वे.मू.)। 6. औपग्रहिक आपवादिक उपकरण में भी लोहा आदि धातु के औपग्रहिक उपकरण नहीं रखना। (प्रा.स.) / 7. आज आहार-पानी ग्रहण किये गये घर से कल आहार या पानी नहीं लेना / अथवा सुबह गोचरी किये गये घर से दोपहर को या शाम को गोचरी नहीं करना / (स्था+ज्ञा.) 8. विराधना न हो तो भी स्थिर अलमारी, टेबल आदि पर रखे गये सचित्त पदार्थों का परम्परा संघट्टा मानना / (प्रा.स.) 9. एक व्यक्ति से एक बार कोई विराधना हो जाय तो अन्य व्यक्ति से या पूरे दिन उस घर में गोचरी नहीं लेना / (असूझता कहना यह अनागमिक रूढ़ शब्द है / ) (प्रा.स.) |101 /