________________ आगम निबंधमाला धातु की कील भी नहीं होना / पाटा, आलमारी धातु का काम में आ सकता है / पड़िहारी पुस्तक में धातु रह सकती है / (प्रा.सं.) 22. शीशे की बनी होने से पेन्सिल व उसके लिखे अक्षर भी पास में नहीं रखना / (हु.स) 23. मिट्टी का पात्र मटकी आदि भी पड़िहारा नहीं लेना / (ज्ञान.) 24. घर में पहुंचने के समय जो व्यक्ति 'असूझता' हो फिर वह 'सूझता' भी हो जाय तो भी उसके मदद करने पर या बोलने पर फिर दिन भर वहाँ कुछ नहीं लेना / (प्रा.सं.) 25. बहुत बड़ी जाजम, चट्टाई आदि के परम्परा संघट्टे का भी वर्जन करना / (प्रा.सं.) 26. कई फल-मेवे अचित व निर्दोष हो तो भी नहीं लेना / बादाम पिस्ता आदि के अचित टुकड़े भी नहीं लेना / बिस्कूट, पीपरमेन्ट, डबलरोटी आदि नहीं लेना / (अनेक-व्यक्तिगत सं.) 27. साधु को अकेले नहीं विचरना और साध्वी को दो से नहीं विचरना। (वास्तवमें आचार्य उपाध्याय के अकेले विचरने का व साध्वी के अकेले विचरने का तथा प्रवर्तिनी को दो से विचरने का आगम में स्पष्ट निषेध है / इसके अलावा कोई भी एकान्त निषेध नहीं है / ) (परंपरा) 28. सदा दैवसिक प्रतिक्रमण में धर्मध्यान के भेदों का चिन्तन व रात्रि के प्रतिक्रमण में तप चिंतन पाँचवें आवश्यक में करना / लोगस्स नहीं करना / (गु.सं.) 29.24 ही घन्टे मुँहपत्ति बांधे रखना या मुँहपत्ति हाथ में रखना या बिना डोरे से बांधना / खुले मुंह बोलने से सावध भाषा होती है, इतना ही आगम में है। - भ. श. 16 उ. 2 / बांधने या नहीं बांधने की वार्ता आगम में नहीं है किंतु सावध भाषा से बचने के लिए बोलते समय मुख वस्त्रिका बांधना आवश्यक है, ऐसा समझना चाहिए / ) (अनेक) (समुत्थान सूत्र में बांधने का मूलपाठ है, वह सूत्र नंदी की आगम सूचि में है / उसे किसो न 32, 45 या 84 आगम संख्या में नहीं गिना है। |103