Book Title: Agam Nimbandhmala Part 01
Author(s): Tilokchand Jain
Publisher: Jainagam Navneet Prakashan Samiti

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Page 240
________________ जैनागम नवनीत एवं प्रश्नोत्तर सर्जक आगम मनीषी श्री तिलोकचद्रजी का परिचय जन्म : 19-12-46 दीक्षा ग्रहण : 19-5-67 गच्छ त्याग: 22-11-85 श्रावक जीवन स्वीकार : 12-7-2011 निवृत्ति-संलेखना : 2016 जनवरी से दीक्षा-संथारा : 19 दिसम्बर 2016 दीक्षागुरु : श्रमण श्रेष्ठ पूज्यश्री समर्थमलजी म.सा. / निश्रागुरु : तपस्वीराज पूज्यश्री चम्पालालजी म.सा. (प्रथम शिष्य) आगमज्ञान विकास सानिध्य : श्रुतधर पूज्यश्री प्रकाशचंद्रजी म.सा. / लेखन, संपादन, प्रकाशन कला विकास सानिध्य : पूज्यश्री कन्हैयालालजी म.सा. कमल',आबूपवंत। नवज्ञान गच्छ प्रमुखता वहन : मधुरवक्ताश्री गौतममुनिजी आदि संत गण की। बारह वर्षी अध्यापन प्रावधान की सफलता में उपकारक : (1) तत्त्वचितक सफल वक्ता मुनिश्री प्रकाशचंद्रजी म.सा. (अजरामर संघ) (2) वाणीभूषण पूज्यश्री गिरीशचन्द्रजी म.सा. (गोंडल संप्रदाय)। गुजराती भाषा में 32 आगमों के विवेचन का संपादन-संचालन लाभ प्रदाता: तप सम्राट पूज्यश्री रतिलालजी म.सा. / आगम सेवा : चारों छेद सूत्रों का हिन्दी विवेचन लेखन (आगम प्रकाशन समिति ब्यावर से प्रकाशित) / 32 आगमों का सारांश लेखन / चरणानुयोग, द्रव्यानुयोग के५ खंडो में संपादन सहयोग / गुणस्थान स्वरूप, ध्यान स्वरूप, 14 नियम, 12 व्रत का सरल समझाइस युक्त लेखन संपादन। गुजरात तथा अन्य जैन स्थानकवासी समुदायों के संत सतीजी को आगमज्ञान प्रदान / 32 आगम के गुजराती विवेचन प्रकाशन में संपादन सहयोग / 32 आगमों के प्रश्नोत्तर लेखन संपादन (हिन्दी)। आगम सारांश गुजराती भाषांतर में संपादन एवं आगम प्रश्नोत्तर गुजराती भाषांतर संपादन। - लालचन्द जैन 'विशारद'

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