________________ आगम निबंधमाला निबंध- 39 - आगम अनुसार पाट की गवेषणा सदोष एवं निर्दोष उपाश्रय के विकल्पों की जानकारी होने के साथ पाट सम्बन्धी विकल्पों की जानकारी होना भी आवश्यक है / क्यों कि कई उपाश्रयों में सोने बैठने के लिये पाट भी रहते हैं। उन पाटों के सम्बन्ध में भी तीन विकल्प होते हैं - 1. निर्दोष, 2. सदोष, 3. अव्यक्तदोष। (1) निर्दोष पाट- (1) कई प्रान्तों में प्रचलित परिपाटी के अनुसार गृहस्थो के घरों में, सामाजिक कार्यों के मकानों में, पाठशालाओं में तथा पुस्तकालयों आदि में आवश्यकतानुसार पाट बनाये जाते हैं। वे घरों में रखे हो अथवा उपाश्रय में भेंट दे दिये हों। (2) कई गाँवो में मकोड़े, बिच्छु आदि जीवों के उपद्रव के कारण श्रावक श्राविकाओं के दया, संवर, पौषध, आदि करते समय उपयोग में लेने के लिये कई पाट बनवाये जाते हैं। ये उक्त दोनों तरह के पाट पूर्ण शुद्ध है। (2) सदोष पाट- (1) सन्त-सतियों के बैठने या शयन करने के लिये अथवा व्याख्यान वाचते समये बैठने के लिये छोटे-बड़े पाट बनवाये जाते हैं / (2) कई जगह साधु और गृहस्थ दोनों के उपयोग में लेने के लिये पाट बनवाये जाते हैं / (3) बने हुए पाट साधु-साध्वियों के उद्देश्य से खरीदकर उपाश्रय में भेंट किये जाते हैं / ये तीनों साधु के उद्देश्य से खरीदे या बनाये गये पाट है, अतः सदोष है। . (3) अव्यक्त दोष वाले पाट- (1) शादी आदि के विशेष अवसरों पर पाट बनवाकर भेंट दिये जाते हैं, उस समय उपाश्रय में आवश्यक है या नहीं इसका कोई विचार नहीं किया जाता है। (2) मेरा नाम उपाश्रयों में रहे इसके लिए पाट ही देना विशेष उपयुक्त है, ऐसे विचार से भी उपाश्रयों में पाट भेंट किये जाते हैं। ये निरुद्देश्य या अव्यक्त उद्देश्य से बनाये गये पाट है। आगम विमर्श- पाट आदि संस्तारकों के सम्बन्ध में औद्देशिकादि गुरुतर दोषों का कथन करने वाले आगम पाठ नहीं मिलते हैं तथा किस 157