________________ आगम निबंधमाला बिखरने का विवेक होना चाहिए / बच्चों को एवं घर के प्रत्येक सदस्य को, इस प्रकार के संस्कार देने चाहिए। (6) रसोई घर में उपयोग में आने वाला सचित्त जल विवेक से योग्य स्थान में रखना चाहिए / (7) हरी सब्जी काटने, सुधारने आदि के लिए मार्ग में न बैठ कर एक तरफ बैठना चाहिए / (8) कोई भी सचित्त पदार्थ, सचित्त कचरा घर में बिखर जाय तो उसे साफ सफाई करने में आलस्य व लापरवाही नहीं करनी चाहिए / (9) घर का मुख्य दरवाजा भिक्षा के समय अंदर से बंद नहीं रखना चाहिए। (10) घर के छोटे-बड़े सभी सदस्यों को भिक्षा सम्बन्धी सुसंस्कारों से भावित एवं अभ्यस्त करते रहना चाहिए / (11) भिखारी आदि को घर के आगे अधिक समय तक खड़ा नहीं रहना पड़े ऐसा विवेक रखना चाहिए / (12) अग्नि, चूल्हे आदि पर निष्पन्न भोजन जैसे-साग, रोटी, दूध आदि को सचित्त पर या सनित्त के संघट्टे में न रख कर योग्य स्थान पर रखना चाहिए / (13) दिन भर बीड़ीऐं पीना, पान खाते रहना, सचित्त पदार्थ खाते रहना या भोजन करते समय सचित्त पदार्थ खाना या संघट्टे में रख कर बैठना, अविवेक प्रवृत्तिएँ है, ऐसी आदतें छोड़नी चाहिए अन्यथा सुपात्र दान का अवसर प्राप्त होने पर भी लाभ से वंचित रहना पड़ता है / (14) नि:स्वार्थ भक्ति भाव से एवं निर्जरा के लिए. घमंड-कपट का त्याग करके, विवेक पूर्वक शुद्ध-सरल भावों से दान देना चाहिए। (15) अन्य भी अनेक दोष एवं विवेक है जिनकी जानकारी दशवैकालिक सूत्र, आचारांग सूत्र एवं आवश्यक सूत्र आदि के भावार्थ से जान लेनी चाहिए। नोट :- इन विधि नियमों का चार्ट घर में योग्य स्थान पर लगाकर रखना चाहिये। |169