________________ आगम निबंधमाला 8. हेमचन्द्राचार्य ने - दिन में और रात्रि में बिना कुछ रोक टोक के खाने वालों को बिना सिंग पूंछ वाला जानवर होना सूचित किया है। जीवन शिक्षाएँ :1. रात्रि में कई छोटे बड़े जीव दिखते नहीं है वे खाने में आ जाय तो उससे कई प्रकार की बिमारियाँ हो जाती है। 2. अनेक पक्षी भी रात्रि को नहीं खाते हैं, कहा भी है - चिडी कमेडी कागला, रात चुगण नहीं जाय / .. नरदेहधारी जीव तूं, रात पड्या क्यों खाय // रात्रि में अन्धकार होता है / अन्धकार में यदि भोजन के साथ चींटी आ जाती है तो बुद्धि नष्ट हो जाती है। यदि मक्खी भोजन में आ जाती है तो शीघ्र वमन हो जाता है / यदि भोजन में जूंचली जाती है तो जलोदर जैसा भयंकर रोग पैदा हो जाता है / यदि छिपकली चली जाय तो कुष्ट जैसे महाव्याधि उत्पन्न हो जाती है। इसके अलावा उच्च रक्तचाप, दमा, हृदय रोग, पाचन शक्ति की खराबी आदि बिमारियों की सम्भावना बनी रहती है। . - सूर्यास्त के पूर्व भोजन करना पाचन की दृष्टि से सर्वोतम है। सोने के तीन घन्टे पूर्व भोजन करना आरोग्यदायक है / ऐसा करने से भोजन को पचने के लिए समय मिल जाता है। रात को 9-10 बजे भोजन करने वाला भोजन करके सो जाता है जिससे वह न तो जल बराबर पी सकता है और न उसका भोजन बारबर पच पाता है / सूर्य के प्रकाश की अपनी अलग ही विशेषता है / सूर्य प्रकाश में हीरे जवाहरात आदि का जो परीक्षण किया जा सकता है, वह विद्युत के प्रकाश में नहीं / सूर्य की रोशनी में कमल खिलते हैं / सूर्योदय होते ही प्राणवायु की मात्रा बढ़ जाती है / रात्रि में पाचन संस्थान भी बराबर कार्य नहीं करता। इसके अलावा कुछ सूक्ष्म जीव सूर्य की रोशनी में ही देखे जा सकते हैं, विद्युत के प्रकाश में नहीं / इन सब बातों का ध्यान रखते हुए विद्युत के प्रकाश को सूर्य के प्रकाश के समकक्ष नहीं समझना चाहिए / दोनों में महान अंतर है जो स्वत: सिद्ध है। 176