Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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छट्ठ सयं : छठा शतक
छठे शतक की संग्रहणीगाथा
१. वेयण १ आहार २ महस्सवे य ६ सपदेस ४ तमुयए ५ भविए ६ ।
साली ७ पुढवी ८ कम्मन्नउत्थि ९-१० दस छट्ठगम्मि सते ॥ १ ॥
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[१. गाथा का अर्थ -] १. वेदना, २. आहार, ३ . महाश्रव, ४. सप्रदेश, ५. तमस्काय, ६. भव्य ७. शाली, ८. पृथ्वी, ९. कर्म और १०. अन्ययूथिक - वक्तव्यता; इस प्रकार छठे शतक में ये दस उद्देशक हैं ।
पढमो उद्देसओ : 'वेयण'
प्रथम उद्देशक : वेदना
महावेदना एवं महानिर्जरायुक्त जीवों का निर्णय : विभिन्न दृष्टान्तों द्वारा
२. से नूणं भंते ! जे महावेदणे से महानिज्जरे ? जे महानिज्जरे से महावेदणे ? महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिज्जाए ?
हंता, गोयमा ! जे महावेदणे एवं चेव ।
[२ प्र.] भगवन् ! क्या यह निश्चित है कि जो महावेदना वाला है, वह महानिर्जरा वाला है और जो महानिर्जरा वाला है, वह महावेदना वाला है ? तथा क्या महावेदना वाला और अल्पवेदना वाला, इन दोनों में वही जीव श्रेयान् (श्रेष्ठ) है, जो प्रशस्तनिर्जरा वाला है ?
[२ उ.] हाँ, गौतम ! जो महावेदना वाला है, समझना चाहिए।
· इत्यादि जैसा ऊपर कहा है, इसी प्रकार
३. [ १ ] छट्ठी-सत्तमासु णं भंते! पुढवीसु नेरइया महावेदणा ?
हंता, महावेदणा ।
[३-१ प्र.] भगवन् ! क्या छठी और सातवीं (नरक) पृथ्वी के नैरयिक महावेदना वाले हैं ?
[ ३-१ उ.] हाँ, गौतम ! वे महावेदना वाले हैं।
[२] ते णं भंते ! समणेहिंतो निग्गंथेहिंतो महानिज्जरतरा ?
गोयमा ! णो इट्टे समट्ठे ।