Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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૧૬૧
७८ तेंतीसवे सभवायमें नारठियों छी स्थिति छा नि३पारा
૧પ૭ ७८ योंतीसवे सभवाय में तीर्थरो हे अतिशय हा नि३पारा
૧પ૮ ८० योंतीसवे सभवाय में यवाहिया नि३पारा ८१ पैंतीसवे सभवायमें सत्यवयन उ प्रतिशय छा नि३पारा ૧૬૨ ८२ छत्तीसवे सभवायमें उत्तराध्ययन हे अध्ययन आहि नाभ छा नि३पारा
૧૬૨ ८3 सेंतीसवे सभवायमें सत्तरहवे तीर्थटर कुंथुनाथ भगवान डे गाया और गाधर आहिछा नि३पारा
૧૬૩ ८४ अऽतीसवे सभवायमें पार्श्वनाथ अर्हत डे गा और गायाधर आहिठा नि३पारा
૧૬૪ ८५ उनयालीसवे सभवाय में अवधिज्ञानियों ही संज्या आहिता नि३पारा
૧૬પ ८६ यातीसवे सभवाय में अरिष्टनेभि महंत साध्वि आष्टि छा नि३५
૧૬૬ ८७ छगतालीसवे सभवाय में नभिनाथ महत साध्विष्ठायें आदि ठा नि३पारा
૧૬૬ ८८ अयालीस वे सभवाय में श्रमाया भगवान् महावीर हे श्राभाय पर्यायाठिा नि३पारा
૧૬૭ ८८ तेंतालीसवे सभवायमें धर्मविपाठ अध्ययनाहि छा नि३पारा १७१ ८० यौवालीसवे सभवायमें ऋषिभाषित अध्ययन छा नि३पारा १७२ ८१ पैतालीसवे सभवायमें क्षेत्राहि ठा नि३पारा
૧૭ર ८२ छियालीसवे सभवायमें दृष्टिवा स्व३पष्ठा नि३पारा १७३ ८3 सेंतालीसवे सभवायमें प्रवयन भातृष्ठा हे अक्षराहिठा नि३पारा १७3 ८४ अऽतालीस वे सभवाय में यवर्ती ठे नगराटि छा नि३५ १६४ ८५ उनयासवे सभवायमें भिक्षुप्रतिभा आहिला नि३पारा १६५ ८६ पयासवे सभवाय में जिसवे भुनिसुव्रत नाथ डे साध्वि आहिला नि३पारा
૧૬૬ ८७ छध्यावनवे सभवाय छा नि३पारा
૧૬૭ ८८ भावनवे सभवायमें भोहनीयर्भावन नाभाठिा नि३पारा १६८ ८८ तिरपनवे सभवायमें हेवा३ उत्तरछु३क्षेत्रठेवा आहिछा नि३पारा
१७०
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર

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