Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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१८ तीसरा समवाय में नारडियों के स्थित्याहि प्रा नि३पा १८ चौथे समवाय में प्रषायाहि डा नि३पा
२० चौथे समवायमें नारडियों डी स्थित्याहि प्रा नि३पा २१ पांचवें समवाय में डियाहि प्रा नि३पा
२२ पांचवे समवाय में नारडियों के स्थित्याहि प्रा नि३पा २३ छठे समवाय में लेश्याहि प्रा निपा
२४ छठे समवाय में नारडियों डी स्थित्याहि प्रानि३पा २५ सातवे समवाय में हिलोऽलय परलोडलय प्रानि३पा २६ सातवे समवाय में नारडियों जाहि के स्थित्याहि प्रा नि३पा २७ आठवे समवाय में महस्थानाहि प्रा निपा
२८ नववे समवाय मे नव ब्रह्मयर्य गुप्ति जाहि डा नि३पा २८ नववे समवाय में नारडिडोंडी स्थित्याहि प्रानि३पा 30 शवे समवाय में श्रमधर्माहि डा नि३पा
३१ घ्शवे समवाय में नारडियों के स्थित्याहि प्रा नि३पा ३२ ग्यारहवे समवाय में ग्यारह उपास प्रतिभाहिडा नि३पा 33 ग्यारहवे समवाय में नारडियों के स्थित्याहि प्रा नि३पा ३४ जारहवे सभवाय में भिक्षुप्रतिभा जाहि नि३पा उप जारहवे समवाय में नारडियों के स्थित्याहि प्रा नि३पा ३६ तेरहवे समवाय में तेरह डियास्थानाहिडा निपा ३७ तेरहवे समवाय में नारडियों के स्थित्याहि नि३पा ३८ यौहवे समवाय में यौह भवसमूह डा नि३पा उ८ यौहवे समवाय में नारडियों के स्थित्याहि प्रा नि३पा ४० पंद्रहवे समवाय में पंद्रह परमाधर्मित्रों प्रानिपा ४१ पंद्रहवे समवाय में नारडियों के स्थित्याहि डा निश्पा ४२ सोलहवे समवाय में गाथा षोडषाहि प्रा निपा ४३ सोलहवे समवाय में नारडियों में स्थित्याहि प्रा नि३पा ४४ सतरहवें समवाय में सतरह असंयमाहि प्रानि३पा ४५ सतरहवें समवाय में भंधायारहि भुनियो गत्याहि प्रा नि३पा
४६ सतरहवें समवाय में नारडियों के स्थित्याहि डा नि३पा ४७ अठारहवे सभवाय अठारह प्रकार के
यर्याहि डा नि३पा
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
४१
४३
के हो के के छे
४६
४६
४८
४६
૫૩
૫૪
પદ
पट
६०
૬૩
૬૬
६८
७०
७३
७४
८१
८१
८३
८४
Co
૯૧
८६
८६
१००
૧૦૦
१०२
१०४
૧૦૫