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पाठ -2 वर्तमानकाल - द्वितीयपुरुष एकवचन और बहुवचन के प्रत्यय (३/१४०-१४३) एकवचन
बहुवचन सि, से (सि-से)
ह, इत्था (थ-ध्वे) 1. जिस धातु के अन्त में 'अ' हो उसे ही 'से' प्रत्यय लगाया जाता है ।
. (३/१४५) उदा. भण् अ = भण सि = भणसि, भणसे. 2. स्वर के बाद स्वर आए तो पूर्व के स्वर का प्रायः लोप होता है । (१/१०) उदा. भण् अ इत्था = भणित्था, जिण इंदो = जिणिंदो ।
द्वितीय पुरुष के रूप एकवचन
. बहुवचन भणसि, भणसे
भणह, भणित्था, भणेसि
भणेह, भणेइत्था,
भणइत्था,
भणेत्था 3. एक ही पद में दो स्वर साथ में आएँ तो संधि नहीं होती है ।
उदा. हसइ, हसइत्था, देवाओ, यह नियम कुछ स्थानों में नहीं लगता है अर्थात् एक पद में भी सन्धि होती है । उदा. होहिइ = होही. बिइओ = बीओ । प्राकृत में जहाँ सन्धि होती है वहाँ संस्कृत के नियमानुसार सन्धि करनी चाहिए अर्थात् सजातीय स्वर साथ में आये तो दोनों स्वर मिलकर दीर्घ स्वर बनता है । उदा. अ या आ के बाद अ या आ = आ, इ या ई के बाद इ-ई-ई, उऊ के बाद उ-ऊ-ऊ, विषम आयवो = विषमायवो (विषमातपः), मुणि ईसरो = मुणीसरो (मुनीश्वरः), साऊ उअयं = साऊ अयं (स्वादूदकम्). अ या आ के बाद इ-ई या उ-ऊ आये तो दो स्वरों के स्थान पर पीछेवाले स्वर का गुण रखा जाता है । उदा. अ या आ के बाद इ-ई = ए, अ या आ के बाद उ-ऊ = ओ -, हस इत्या = हसेत्था, तित्थ ईसरो = तित्थेसरो = (तीर्थेश्वर:), गूढ उअरं = गूढोअरं = (गूढोदरम्).
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