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प्राकृत में अनुवाद करें 1. वह इक्कीस साल (वर्ष) चारित्रपालन करके समाधिपूर्वक मृत्यु पाकर
बारहवें देवलोक में देव हुआ । .... 2. भगवान महावीर आश्विन महीने की अमावास्या की रात्रि में आठ कर्मों का क्षय
करके मोक्ष में गये, उसके बाद कार्तिक महीने की प्रतिपदा को गौतमस्वामी
को केवलज्ञान हुआ, इसलिए ये दो दिन जगत् में श्रेष्ठ माने जाते हैं । 3. जैन छह द्रव्य, आठ कर्म, जीवादि नौ तत्त्व, दश यतिधर्म और चौदह
गुणस्थानक मानते हैं। 4. श्रावकों को जिनमन्दिर की चौरासी (84) आशातना और गुरु म. की
तैंतीस (33) आशातनाओं का त्याग करना चाहिए । 5. जो भरतक्षेत्र के तीन खण्ड जीतते हैं वे वासुदेव और छह खण्ड
जीतते हैं वे चक्रवर्ती बनते हैं | तीर्थंकर भगवंतों को चार (4) अतिशय जन्म से होते हैं तथा कर्मक्षय से ग्यारह (11) अतिशय और देवकृत उन्नीस (19) अतिशय इस
प्रकार चौंतीस अतिशयों से सुशोभित तीर्थंकर होते हैं । 7. सभी अंग और उपांगादि सूत्रों में पाँचवाँ भगवती अंग श्रेष्ठ और सबसे
बड़ा है। 8. चौंसठ इन्द्र मेरुपर्वत पर तीर्थंकर भगवंतों का जन्ममहोत्सव करते हैं | 9. सिद्ध भगवंत आठों कर्म से रहित होते हैं । 10. कुमारपाल राजा ने अठारह देशों में जीवदया का पालन करवाया था । 11. श्री हेमचन्द्रसूरिजी ने सिद्धहेमव्याकरण के आठवें अध्याय में प्राकृत
व्याकरण दिया है। 12. इस जंबूद्वीप में छह वर्षधर पर्वत और भरतादि सात क्षेत्र हैं । 13. जीव दो प्रकार से, गति चार प्रकार से, व्रत पाँच प्रकार से और भिक्षु की
प्रतिमा बारह प्रकार से हैं। 14. इस पण्डित ने इस व्याकरण के आठ अध्याय बनाये हैं और प्रत्येक
अध्याय के चार-चार पाद हैं, मैंने सात अध्याय और आठवें अध्याय के
दो पाद पढ़े हैं। 15. उस यक्ष के दो मुँह और चार हाथ हैं, उसमें से एक हाथ में शंख है,
दूसरे हाथ में गदा है, तीसरे हाथ में चक्र और चौथे हाथ में बाण है । 16. इस पुस्तक के मैंने पच्चीस पाठ पढ़े, इसके चार हजार शब्द याद
किये, हजारों वाक्य किये, अब मुझे प्राकृत सुलभ बने इसमें आश्चर्य क्या ?
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