Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 01
Author(s): Vijaykastursuri, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 282
________________ निअसीलबलेण (निजशीलबलेन) निव पुं. (नृप) राजा अपने शील के बल से निवइ पुं. (नृपति) राजा निंदा स्त्री. (निन्दा) बुराई निवास पं. (निवास) वास-स्थान, डेरा निक्कारण वि. (निष्कारण) बिना निव्वाण नपुं. (निर्वाण) मोक्ष कारण, अहेतुक । निबुइ स्त्री. (निर्वृत्ति) मोक्ष निगम पं. (निगम) व्यापार प्रधान निसा स्त्री. (निशा) रात्रि स्थान, व्यापारी समूह निहस पुं. (निकष) कसौटी निग्गुण वि. (निर्गुण) गुणरहित. निहि वि. (निधि) खजाना, भंडार निच्च वि. (नित्य) अविनश्वर, चक्रवर्ती राजा की संपत्ति विशेष । शाश्वत, निरंतर, हमेशा नीह स्त्री. (नीति) न्याय निच्चल वि. (निश्चल) स्थिर, अचल, नीइसत्थ न. (नीतिशास्त्र), दृढ़ नीतिशास्त्र निज्जरा स्त्री. (निर्जरा) कर्म का क्षय नीसंद पुं. (निःस्यन्द) रस-स्तुति निठुर वि. (निष्टुर) निष्ठुर, निर्दय रस का झरन पुरुष नेउर-निउर-नुउर नपुं. (नूपुर) निद्दय वि. (निर्दय) दयारहित नूपुर, स्त्री के पाँव का नूपुर निप्फल वि.. (निष्फल) निरर्थक नेत्त पुं. नपुं. (नेत्र) नेत्र, आँख फलरहित नेमि पुं. (नेमि) बाईसवें मे तीर्थंकर निबंध पुं. (निर्बन्ध) आग्रह नेमित्तिअ वि. (नैमित्तिक) निमित्त निबद्ध वि. (निबद्ध) बँधा हुआ शास्त्र जाननेवाला निम्मलयर वि. (निर्मलतर) नेह पुं. (स्नेह) स्नेह राग अतिशय निर्मल निमेस पुं. (निमेष) निमीलन, अक्षिसंकोच . पइ अ. (प्रति) व्याप्ति, आभिमुख्य, निय वि. (निज) अपना विरोध, सामीप्य निययकुल न. (निजककुल) स्वकुल का पडदा स्त्री. (प्रतिष्ठा) प्रतिष्ठा. नियववसायाणुरूवं न. कीर्ति, आदर (निजव्यवसायानुरूपम्) स्व पइण्णा स्त्री. (प्रतिज्ञा) प्रतिज्ञा व्यवसाय के समान पइदिण नपुं. (प्रतिदिन) सदा, हर नियाण नपुं. (निदान) नियाणा, रोज कारण, हेतु -२५९ - प -

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