Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 01
Author(s): Vijaykastursuri, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 320
________________ ल ववस् (व्यवृ + सो) प्रयत्न करना, लज्ज् (लस्ज्-लज्ज) शर्मिन्दा होना, चेष्टा करना, निर्णय करना शरमाना वस् (वस्) वास करना, रहना लव् (लप्) बोलना, कहना वसीकुण्-वसीकर (वशी + कृ) वश में लह-लम् (लभ) प्राप्त करना करना लिंप् (लिप) लीपना, चुपड़ना वह (वह) ले जाना, ढोना लिह (लिह) चाटना वागर (वि + आ + कृ) प्रतिपादन लिह-लेह (लिख) लिखना करना, कहना लुण् (लू) काटना वाच् (वाचय) पढ़ना, पढ़ाना लडम (लभ्य) लोभ करना, आसक्ति वाहर (वि + आ + कृ) बालना कहना करना बुलाना. लुह (मृज) धोना, साफ करना , पोंछना वाया (वाच्-वा) वचन, वाणी विउव्व (वि + कृ) बनाना, करना, दिव्य सामर्थ्य से उत्पन्न करना विक्किण्-विक्के (वि + क्री) बेचना वंच (वञ्च) ठगना विज्ज् (विद्-विद्य) होना, अस्तित्व वद् (वन्द्) वदन करना, प्रणाम करना होना वक्खाण (व्याख्यानय्) विवरण करना, विज्झ्-विंद्य् (व्यध-विध्य) बींधना भेदना कहना, स्पष्ट समझाना विढ (अर्ज) उपार्जन करना, प्राप्त वच्च् (व्रज) जाना करना वर्ज़ (वर्जय) त्याग करना विणास् (वि + नाशय) नष्ट करना, वज्जर (कथ) कहना, बोलना क्षय करना, विध्वंस करना वट् (वृत्-वर्त) बरतना, होना, विण्णव् (वि + ज्ञपय) विनंति करनी, आचरण करना प्रार्थना करनी वड्ढ् (वृध्-वर्ध) बढ़ना वियस् (वि + कस्) विकास होना वण्ण-वन्न् (वर्णय) वर्णन करना विरम् (वि + रम्) अटकना, निवृत्त वय (वद्) बोलना, कहना होना, विराम लेना वर (वृ-व) सगाई करना, संबन्ध करना, वि + राय (वि + राज) शोभना, पसन्द करना चमकना वरिस् (वृष) वृष्टि करनी, बरसना विलव (वि + लव) विलाप करना, वलग्ग् (आ + रुह) चढ़ना, आरोहण रोना २९७

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