Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 01
Author(s): Vijaykastursuri, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan
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वेरूव वि. (विरूप) कुरूप, कुत्सित विहि पुं. (विधि) विधि, अनुष्ठान प, भयानक रूप
विहीण-विहूण वि. (विहीन) वर्जित, रोह पुं. (विरोध) विरोध, प्रतिकूल, वैर रहित वेवत्ति स्त्री. (विपत्ति) दुःख विहुर वि. (विधुर) दुःखी, व्याकुल वेवरीअ-विवरिअ वि. (विपरीत) उल्टा, वीणा स्त्री. (वीणा) वीणा, वाद्यविशेष तिकूल
वीयराग-वियराग पुं. वि. (वीतराग) वेवाय पुं. (विवाद) चर्चा, झगड़ा जिन, रागरहित ग्युद्ध, कलह
वीर पुं. (वीर) वीर, पराक्रमी , वेविह वि. (विविध) अनेक प्रकार, शक्तिशाली, बलवान, उत्तम, श्रेष्ठ ज, बहुविध, भाँति-भाँति
वीसत्य वि. (विश्वस्त) विश्वास- योग्य, विहचरित वि. (विविधचरित्र) अलग- विश्वासवाला लग चरित्र
वीसाम-विस्साम पुं. (विश्राम) विश्रान्ति, वेग पुं. (विवेक) विचार, भेद, बाँटना, विराम । वेक
वीसुं अ. (विष्वक्) समन्तात्, चारों स पुं. नपुं. (विष) विष, जहर, तरफ लाहल
वुट्ठि स्त्री. (वृष्टि) वृष्टि, बारिस सम वि. (विषम) तीक्ष्ण, अतुल्य, वुड्ढत्तण नपुं. (वृद्धत्व) वृद्धावस्था कट, भयानक
बुड्डि स्त्री. (वृद्धि) वृद्धि, समृद्धि, वेसमीसिअ वि. (विषमिश्रित) अभ्युदय, उत्थान हरयुक्त
वुत्त वि. (उक्त) कथित, प्रतिपादित सय पुं. (विषय) पाँच इन्द्रियों के कहा हुआ ब्दादि विषय
वेज्ज पुं. (वैद्य) वैद्य, चिकित्सक, सयविस पुं. नपुं. (विषयविष) इन्द्रिय भिषग षय रूप विष
वेरुलिअ-वेडूरिअ-वेडुज्ज पुं. नपुं. साय पुं. (विषाद) खेद, शोक, दुःख (वैडूर्य) वैडूर्यरत्न साल वि. (विशाल) बड़ा वेयावच्च-वेयावडिअ नपुं. (वैयावृत्य) सेस पुं. नपुं. (विशेष) विशेष प्रकार, सेवा, शुश्रूषा द, असाधारण
वेर-वइर नपुं. (वैर) शत्रुता , दुश्मनी, हव पुं. (विभव) समृद्धि, ऐश्वर्य विरोध, वैमनस्य, द्रोह हवि वि. (विभविन्) समृद्धिवान वैरग्ग नपुं. (वैराग्य) वैराग्य, हलिय वि. (विह्वलित) व्याकुल विरागभाव, उदासीनता, विमुखता
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