Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 01
Author(s): Vijaykastursuri, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan
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धान्य धन्न नपुं. (धान्य) धीरज धिइ स्त्री. (धृति)
पकड़ना गिण्ह (ग्रह) धीरे-धीरे सणियं अ. (शनैस्)
पक्षी पक्खि पुं. (पक्षिन्) ध्यान झाण नपुं. (ध्यान)
पका हुआ पक्व वि. (पक्व) ध्वज धअ, झअ पुं. (ध्वज)
पण्डित अहिण्णु वि. (अभिज्ञ)
पंडिअ पुं. (पण्डित) नगर नयर नपुं. (नगर)
बहु पुं. (बुध) नट नड पुं. (नट)
पथ्य पच्छ वि. (पथ्य) ननन्द नणंदा स्त्री. (ननान्दृ) परन्तु अवि, पि, वि. अ. (अपि) नरक निरय, नरय पुं. (नरक) किंतु अ. (किन्तु) नहीं तो, वरना अन्नह-अन्नहा अ. परम परम वि. (परम) (अन्यथा)
परलोक परलोअ, परलोग पुं. नाचना नच्चू (नृत्य)
(परलोक) नाटक नाडग, नट्ट नपुं. (नाटक- परस्त्री परदारा स्त्री. (परदारा) नाट्य)
परस्पर अणोण्ण, अण्णमण्ण वि. नाव नावा स्त्री. (नौ)
(अन्योन्य) नाश नास पुं. (नाश) . परोपकारी परोवयारि वि. (परोपकारिन्) नित्य सासय वि. (शाश्वत)
पर्याय पज्जाय पं. (पर्याय) । निदान नियाण नपुं. (निदान) पर्वत पव्वय, गिरि पुं. (पर्वत, गिरि) निर्जरा निज्जरा स्त्री. (निर्जरा) पर्षद् परिसा स्त्री. (परिषद्) निश्चल निच्चल वि. (निश्चल) पवन पवण पुं. (पवन) . नीति नाय पुं. (न्याय)
वाउ पुं. (वायु) नय पुं. (नय)
पशु पसु पुं. (पशु) नीइ स्त्री. (नीति)
पश्चाताप पच्छायाव पुं. (पश्चाताप) नीतिशास्त्र नीइसत्य नपुं. पहला पुरं-पुरा अ. (पुरस्-पुरा) (नीतिशास्त्र)
पुन, पढम वि. (प्रथम) . सां (नेत्र) नेत्र नेत्त पुं. नपुं. (नेत्र)
प्रहर जाम, पहर पुं. (याम, प्रहर) नेमि (जिनेश्वर) नेमि पुं. (नेमि) पाठशाला पाठशाला स्त्री. (पाठशाला) नैमित्तिक नेमित्तिअ वि. (नैमित्तिक) पानी जल नपुं. (जल) न्याय नाय पुं. (न्याय)
वारि नपुं. (वारि) न्यायमार्ग नायमग्ग पुं. (न्यायमार्ग) उदग-दग नपुं. (उदक)
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